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बंद के पहले मोदी का सुधारों पर जोर

Last Updated- December 14, 2022 | 8:29 PM IST

विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की ओर से आहूत बंद के एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि विकास के लिए सुधार जरूरी है। उन्होंने कहा कि पिछली सदी के कुछ कानून मौजूदा दौर में बोझ बन गए हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आगरा मेट्रो परियोजना के निर्माण का उद्घाटन करते हुए उन्होंने जोर दिया कि सरकार समग्र सुधार पर विश्वास करती है।
मोदी ने कहा, ‘विकास के लिए सुधार जरूरी है। इस्तेमाल किए जा रहे कुछ कानून पिछली सदी के लिए बेहतर थे, जो मौजूदा सदी में बोझ बन चुके हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार समग्र सुधार कर रही है। इसके पहले टुकड़े-टुकड़े में सुधार हो रहे थे।’
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब किसान 3 कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया है और उम्मीद की जा रही है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इसका व्यापक असर हो सकता है, जो चल रहे प्रदर्शन का मुख्य केंद्र है। बहरहाल अभी यह देखा जाना बाकी है कि देश के अन्य हिस्सों पर इसका कितना असर पड़ेगा, क्योंकि यह सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक ही चलेगा और कुछ कारोबारी व ट्रांसपोर्टरों के संगठनों ने इस बंद से दूर रहने की घोषणा की है।
हालांकि राष्ट्रीय राजधानी में ट्रांसपोर्टरों के सबसे बड़े संगठन आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन किया है। मेडिकल सेवाओं सहित आवश्यक सेवाओं को पहले ही इस बंद से बाहर रखा गया है।
प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि वह रोजमर्रा की जिंदगी में व्यवधान नहीं डालेंगे, जिसमें कार्यालय में काम करने के लिए जाने वाले और वैवाहिक कार्यक्रम में जाने वाले शामिल हैं और ‘अगर विवाह समारोह है तो वे निमंत्रण पत्र दिखाकर जा सकते हैं।’ भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘कल का भारत बंद सांकेतिक प्रदर्शन है।’
ज्यादातर विपक्षी दल बंद का समर्थन कर रहे हैं। बहरहाल केंद्र सरकार कोई मौका चूकना नहीं चाहती है। केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को सुरक्षा चौकस करने को लिखा है। देश व्यापी परामर्श में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि राज्य सरकारें व केंद्र शासित प्रदेश कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करें और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए शारीरिक दूरी बनाए रखने के नियम का पालन किया जाना चाहिए।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने आज कहा कि राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि भारत बंद के दौरान हर हाल में शांति व्यवस्था बनाए रखना है और सावधानी बरतनी है, जिससे कि कोई अवांछित घटना देश के किसी इलाके में न होने पाए।
प्रदर्शन कर रहे किसानों व सरकार के बीच बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकल सका और 9 दिसंबर को बातचीत होनी है, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने सरकार की ओर से कम खरीद को लेकर सफाई दी है। केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार द्वारा जितनी खरीद अब हुई है, उतना पहले कभी नहीं हुई थी।
सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि  राजनीतिक दल किसानों से जुड़ रहे हैं, जिसकी वजह से आंदोलन किसान नेताओं के हाथ से निकल रहा है और यूनियनें अपनी मांग बदल रही हैं।  एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पहले जहां किसान एमएसपी और खरीद की गारंटी का आश्वासन चाहते थे, अब वे अधिनियम को पूरी तरह वापस लेने की मांग कर रहे हैं।’
अधिकारी ने कहा, ‘2019 के चुनाव तक कांग्रेस की यह घोषित नीति थी और कृषि क्षेत्र में कुछ अन्य उदारीकरण का कांग्रेस समर्थन कर रही थी, लेकिन 2019 के बाद सब कुछ बदल गया।’
बहरहाल किसान अपनी मूल मांगों से हटने के संकेत नहीं दे रहे हैं, जिसमें नए कृषि कानून वापस लिया जाना और न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी देना शामिल है।
कल के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली व शेष भारत के बाजारों में फल एवं सब्जियों की आपूर्ति बाधित होने की संभावना है। आजादपुर मंडी के कारोबारी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में वाशी कृषि उत्पाद बाजार समिति कल किसानों के समर्थन में बंद रहेगी। इससे मुंबई में फल और सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। अन्य मंडियों के बंद होने या न होने की पुष्टि नहीं हो पाई है।
आज पंजाब के कुछ खिलाडिय़ों को पुलिस ने राष्ट्रपति भवन जाने से रोक दिया, जो विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में अपने राष्ट्रीय खेल पुरस्कार लौटाना चाहते थे।
1982 में अर्जुन पुरस्कार और 1987 में पद्मश्री पाने वाले करतार सिंह, ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले हॉकी के पूर्व खिलाड़ी गुरमेल सिंह और महिला हाकी की पूर्व कप्तान राजबीर कौर उन खिलाडिय़ों में शामिल हैं, जो पुरस्कार व सम्मान लौटाना चाहते थे। गुरमेल को 2014 में ध्यानचंद पुरस्कार मिला था, जबकि राजबीर को 1984 में अर्जुन पुरस्कार मिला था।
1978 और 1986 में एशियाई खेलों में स्वर्णपदक विजेता करतार ने कहा, ‘किसानों ने हमेशा हमारा समर्थन किया। हमें यह देखकर बहुत बुरा लग रहा है कि किसानों पर लाठीचार्ज हो रहा है, सड़कें बंद कर दी गई हैं। किसान इस कड़ी ठंड में अपने हक के लिए सड़क पर बैठे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं किसान का बेटा हूं और आईजी पुलिस होने के बावजूद अभी भी खेती करता हूं।’  (साथ में एजेंसियां)

First Published - December 7, 2020 | 11:07 PM IST

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