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Maharashtra Elections: साख बचाने के लिए पवार ने छोड़ा इमोशनल ब्रम्हास्त्र

प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में शरद पवार ने संन्यास वाला इमोशनल दांव चल दिया है। शरद पवार ने 1967 में कांग्रेस से अपना राजनीतिक सफर किया । 1999 में उन्होंने एनसीपी पार्टी बनाई थी।

Last Updated- November 05, 2024 | 10:12 PM IST
क्या राजनीतिक अस्तित्व को बचा पाएंगे पवार!, Political turmoil: Will Pawar be able to save his political existence?

Maharashtra Elections: मराठा राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने गढ़ बारामती को बचाने की है। 83 साल को बुजुर्ग नेता ने बारामती में भविष्य में चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया।

साथ अजीत पवार की जगह बारामती की जिम्मेदारी युगेन्द्र पवार को सौंपने का आव्हन भी कर दिया। इस बार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बारामती सीट शरद पवार और अजित पवार के बीच जनमत संग्रह जैसा है, जहां दोनों की साख दांव पर लगी है।

बारामती में चुनाव प्रचार करते हुए भविष्य में चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करते हुए पवार ने कहा कि मैं अभी सत्ता में नहीं हूं। राज्यसभा में मेरा कार्यकाल डेढ़ साल बचा है। इसके बाद मैं भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा। कहीं न कहीं रुकना पड़ेगा।

पवार के इस भावुक भाषण से बारामती का खेल पलट सकता है, जहां से उनके भतीजे अजित पवार छठी बार मैदान में हैं। अजित पवार का मुकाबला भी भतीजे युगेंद्र पवार से है।

बारामती में एक सभा को संवोधित करते हुए पवार ने कहा कि आपने मुझे एक या दो बार नहीं बल्कि चार बार मुख्यमंत्री बनाया है। आपने मुझे 1967 में निर्वाचित किया था, और मैंने महाराष्ट्र के लिए काम करने से पहले 25 साल तक यहां काम किया। मैंने सभी स्थानीय शक्तियां अजीत दादा को सौंप दीं, उन्हें सौंप दिया सभी निर्णय, स्थानीय निकायों, चीनी और दुग्ध निकायों के लिए कार्यक्रमों और चुनावों की योजना बनाने के लिए।

अजित पवार ने 25 से 30 साल तक इस क्षेत्र में काम किया और उन्होंने जो काम किया, उसमें कोई संदेह नहीं है। अब, भविष्य के लिए तैयारी करने का समय आ गया है। हमें ऐसे नेतृत्व को तैयार करने की जरूरत है जो अगले 30 वर्षों तक काम करे। हर किसी को अवसर मिलना चाहिए और उन्होंने कभी किसी को पीछे नहीं रखा ।

अजित पवार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई कहता रहेगा कि वह सब कुछ ले लेगा, तो लोग कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन इसे अस्वीकार कर देंगे। हालांकि वह हाल में वोट मांगने नहीं आए हैं, लेकिन बारामती के लोगों ने उन्हें कभी निराश नहीं किया है। हालिया लोकसभा चुनाव कठिन था, क्योंकि यह परिवार के भीतर लड़ा गया था, लेकिन लोगों ने उनकी बेटी सुप्रिया सुले के लिए शानदार जीत सुनिश्चित की और उन्हें विधानसभा चुनावों में भी लोगों के समर्थन का भरोसा है।

आम चुनाव में बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने बारामती लोकसभा सीट पर अपनी भाभी और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हराया था । युगेंद्र पवार अजित के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं ।

दरअसल, अजित की पार्टी पूरे महाराष्ट्र में हारकर भी बारामती जीत जाती है तो शरद पवार का 60 साल पुराना वर्चस्व उनके अंतिम राजनीतिक पारी में खत्म हो जाएगा। अगर युगेंद्र जीतते हैं तो अजित पवार के पास शरद पवार के साथ लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में शरद पवार ने संन्यास वाला इमोशनल दांव चल दिया है। शरद पवार ने 1967 में कांग्रेस से अपना राजनीतिक सफर किया । 1999 में उन्होंने एनसीपी पार्टी बनाई। पवार ने पहली बार बारामती सीट से चुनावी जीत हासिल की थी। इसके बाद से यह सीट पवार परिवार के पास ही रही। 2023 में भतीजे अजीत पवार के बगावत के बाद उन्होंने तीसरी बार नई पार्टी एनसीपी (शरदचंद्र पवार) का गठन किया।

First Published - November 5, 2024 | 6:47 PM IST

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