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नई शिक्षा नीति को बजट में कम रकम

Last Updated- December 12, 2022 | 8:32 AM IST

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पेश करने के 6 महीने बाद आए केंद्रीय बजट में इस नीति को समर्थन नहीं मिल सका है। शिक्षा क्षेत्र के  विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अपनी ही नीति को समर्थन नहीं कर सकी है।
शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने एनईपी के तहत एकल नियामक निकाय हायर एजुकेशन कमीशन आफ इंडिया (एचईसीआई)के लिए कानून पेश किए जाने और नैशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) को 5 साल में 50,000 करोड़ रुपये वित्तपोषण जैसी घोषणाओं का स्वागत किया है। बहरहाल कई का यह मानना है कि बजट में स्कूलों व कॉलेजों के सुधार के लिए पर्याप्त धन का आवंटन नहीं हुआ है, जैसा कि राज्य सरकारों को एनईपी लागू करने को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीति में लक्ष्य रखा गया है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर अनिंद्य मलिक ने कहा कि नई नीति हाल ही में 2020 मेंं लाई गई है, इसे देखते हुए शिक्षा बजट के हिसाब से इस बजट को अहम माना जा रहा था। तमाम लोगों को इससे भी आश्चर्य हुआ है कि शिक्षा पर खर्च कम से कम 6,000 करोड़ रुपये घटा दिया गया है।
केंद्रीय बजट 2021 में शिक्षा मंत्रालय के दो विभागों को 93,224.31 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2020-21 के बजट अनुमान (बीई) की तुलना में 6,000 करोड़ रुपये कम है। पिछले साल तक सामान्यतया शिक्षा आवंटन में सामान्यतया 5 प्रतिशत बढ़ोतरी होती रही है, जिसमें व्यापक रूप से महंगाई शामिल रहती थी।
लेकिन 2020-21 के 99,311 करोड़ रुपये के बजट अनुमान की तुलना में 2021-22 का बजट अनुमान 93,224 करोड़ रुपये है और शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन मेंं करीब 6 प्रतिशत की कमी आई है। इसमें स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ही नुकसान हुआ है। उदाहरण के लिए उच्च शिक्षा के लिए आवंटन 39,366 करोड़ रुपये से घटकर 38,350 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि स्कूल शिक्षा का आवंटन 59,845 करोड़ रुपये से घटकर 54,873 करोड़ रुपये हो गया है।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) में उच्च शिक्षा समिति के चेयरपर्सन और सिंबियासिस इंटरनैशनल युनिवर्सिटी के प्रो चांसलर विद्या येरावडेकर ने कहा, ‘हमें पता है कि वित्त वर्ष 2020-21 बहुत असामान्य वर्ष था, जब शिक्षा जैसे तमाम अन्य क्षेत्र महामारी के कारण प्रभावित हुए और ऐसे में बजट आवंटन के कम इस्तेमाल की कल्पना की जा सकती है, जैसा कि संशोधित अनुमान में नजर आया। बहरहाल इस क्षेत्र में धन की कमी को देखते हुए सरकार को बजट आवंटन बढ़ाने पर विचार करना चाहिए था।’

First Published - February 9, 2021 | 11:59 PM IST

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