पिछले छह महीने में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है और आर्थिक वृद्धि कम हो रही है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में बेहतर रुझान देखने को मिले और स्थिर खपत के साथ मांग में भी तेजी देखने को मिली। इनमें से कुछ क्षेत्रों को इस बात से फायदा मिला कि लोग घरों में बंद रह रहे हैं और ओवर द टॉप (ओटीटी) मंचों के जरिये अपना मनोरंजन कर रहे हैं। नतीजतन डेटा में खपत भी बढ़ी। लोगों के घरों में रहने की वजह से सामानों का ऑनलाइन ऑर्डर करना भी बढ़ा जिसमें किराने के सामान से लेकर फ र्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक्स तक के सामान शामिल हैं। दूरसंचार और ई-कॉमर्स की मांग में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली। दूसरी तरफ कुछ क्षेत्रों में फिर से तेजी दिखी जिनमें आईटी और फार्मास्युटिकल्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
लॉकडाउन के दौरान जब विनिर्माण क्षेत्र तक पर बड़ा असर दिखा तब भी ई-कॉमर्स के क्षेत्र में स्थिर मांग देखी गई। राजमार्गों पर ट्रकों की आवाजाही और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी शुरुआती दिक्कतों के बाद ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर काफ ी ऑर्डर देखे गए। जून के दौरान विश्लेषकों ने कहा था कि छोटी रकम वाले ऑर्डर भी आ रहे हैं क्योंकि लोग स्थानीय बाजार से भी बचने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि महामारी से इस क्षेत्र को मदद मिलने की उम्मीद है क्योंकि आने वाले त्योहारी सीजन के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों का वार्षिक सकल मर्केंडाइज मूल्य (जीएमवी) करीब 38 अरब डॉलर है जिसमें पिछले साल के मुकाबले लगभग 40 फ ीसदी तक की वृद्धि है। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से अधिकांश दुकानदार छोटे शहरों से हैं। आजकल व्हाट्सऐप आधारित खरीदारी का भी एक नया चलन है और त्योहारों के दौरान इसमें तेजी देखी जा सकती है।
इनमें से एक क्षेत्र में तेजी से रोजगार के मौके बनते देखे जा रहे हैं। मिसाल के तौर पर फ्लिपकार्ट ने कहा है कि त्योहारों के दौरान 70,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सीजनल नौकरियों के मौके बनेंगे। लोग घर पर रहते हैं ऐसे में वे न केवल ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं बल्कि घर से दफ्तर का काम करने के लिए, स्कूलों की ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन के लिए भी बड़ी मात्रा में डेटा का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रकार दूरसंचार क्षेत्र इस महामारी के बीच वृद्धि करने वाले क्षेत्रों में रहा है क्योंकि डेटा ट्रैफि क में वृद्धि हुई है। ओटीटी खिलाडिय़ों को अपनी सेवाएं मानक स्तर पर लाना पड़ा क्योंकि हाई डेफि निशन नेटवर्क पर भीड़ बढ़ गई। घर से काम करने की नीति की वजह से एंटरप्राइज बिजनेस सेगमेंट में भी पिछले छह महीनों में बढ़ोतरी हुई है।
मिसाल के तौर पर भारत में डेटा खपत (मार्च-जुलाई) कोविड से पहले के समय की तुलना में 947 फ ीसदी तक बढ़ी। फ्रैंकफर्ट के इंटरनेट एक्सचेंज डीई-सीआईएक्स के मुताबिक ओटीटी और वीडियो ऑन डिमांड (वीओडी) मंच पर डेटा खपत फरवरी 2020 के मुकाबले मार्च और अप्रैल के दौरान 249 फ ीसदी तक बढ़ी। हालांकि ई-कॉमर्स और दूरसंचार क्षेत्र में वृद्धि छूट की वजह से होती है लेकिन एक और क्षेत्र ने महामारी के वक्त लचीलापन दिखाया है जो देश का आईटी उद्योग है। एक कार्यस्थल के लिए स्वतंत्र मॉडल के तौर पर काम करने के लिए इस क्षेत्र की त्वरित अनुकूलनशीलता, क्लाउड माइग्रेशन के लिए बढ़ती मांग और बढ़ते डिजिटाइजेशन खर्चों ने महामारी के असर को झेलने में मदद दी है। प्रमुख सेवा प्रदाताओं ने कुछ हफ्ते के भीतर ही वैश्विक स्तर पर 75 फ ीसदी घर से काम करने की सेवाएं हासिल कर लीं। इसकी तुलना में फिलीपींस में घर से काम करने की क्षमता 62 फ ीसदी तक देखी गई। देश में शीर्ष सेवा प्रदाताओं ने 92 प्रतिशत से अधिक घर से काम करने के रुझान को दर्शाया।
महामारी के बावजूद आईटी कंपनियों में न केवल उछाल देखी गई है बल्कि टीसीएस जैसी कंपनियां भी वित्त वर्ष 2021 के अंत तक राजस्व वृद्धि के साथ वर्ष समाप्त करने के प्रति आश्वस्त हैं जिससे यह समग्र कारोबार में वृद्धि करने वाले कुछ उद्योगों में से एक बन गया है। दवाओं और फ ार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में भी एक स्थिर मांग देखी गई है खासतौर पर पुरानी बीमारियों वाले सेगमेंट में। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी बीमारियों और अन्य पुरानी बीमारियों के लिए दवाओं की मांग स्थिर रही है। मार्च में फ ार्मा क्षेत्र की बिक्री में सख्त लॉकडाउन और आपूर्ति व्यवधान के बावजूद 9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई क्योंकि मरीजों ने घबराहट में इनकी खरीदारी कर ली। हृदय संबंधी बीमारियों की दवाओं में मार्च में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। आपूर्ति में ढील के साथ आने वाले महीनों में यह रुझान स्थिर हो गया। वास्तव में जून, जुलाई में वृद्धि कम रही और अगस्त में यह ऋणात्मक हो गया। हृदय संबंधी बीमारियों के दवाओं के क्षेत्र में तेजी बरकरार रही और पिछले महीने इसमें 11.5 फ ीसदी तक की बढ़त देखी गई। इस बात में काफी हद तक सच्चाई है कि दवाओं के क्षेत्र में तेजी बरकरार है।
(साथ में साई ईश्वर, पीरजादा अबरार, मेघा मनचंदा और सोहिनी दास)