केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की तुलना उनके पिता माधव राव सिंधिया से होने लगी है। जूनियर सिंधिया उसी विभाग में पहुंचे हैं, जिसमें उनके पिता 1991 से 1993 तक काम कर चुके हैं। हालांकि जल्द ही ज्योतिरादित्य यह महसूस करेंगे कि राजीव गांधी भवन (वह भवन, जिमसें नागरिक उड्डयन मंत्रालय है) में उनका काम उनके पिता के काम से कितना अलग हो चुका है।
अब इस भवन में संरक्षणवाद के पक्ष में हवा चल रही है। 25 मई को आसमान खोले जाने के बाद सरकार क्षमता और किराये पर नियंत्रण कर रही है। इंडियन एयरक्राफ्ट ऐक्ट, 1934 के विशेष प्रावधानों का इस्तेमाल कर नौकरशाह मासिक आधार पर एयरलाइंस की क्षमता तय कर रहे हैं और यह बता रहे हैं कि एयरलाइंस न्यूनतम और अधिकतम कितना किराया ले सकती हैं।
ज्योतिरादित्य के पूर्ववर्ती हरदीप सिंह पुरी मुक्त बाजार में सरकार के हस्तक्षेप का जोरदार समर्थन करते रहे हैं, जिनका कहना था कि कमजोर बैलेंस सीट वाली एयरलाइंस जैसे स्पाइसजेट और गो एयर को दीवालिया होने से बचाने के लिए यह जरूरी है। इससे बाजार अग्रणी इंडिगो के एकाधिकार से सरकार के डर के साफ संकेत मिलते हैं। नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में माधवराव सिंधिया के दर्शन से यह विपरीत स्थिति है। सीनियर सिंधिया ने एयर कॉर्पोरेशन ऐक्ट 1953 वारपस ले लिया था, जिससे इंडियन एयरलाइंस का एकाधिकार खत्म हो गया था और निजी एयरलाइंस को कारोबार शुरू करने की अनुमति मिली थी। उसके बाद जेट एयरवेज व अन्य तमाम एयरलाइंस आईं और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में किराया कम हुआ और हवाईचप्पल वालों को हवाई जहाज में बैठने की सहूलियत मिली। सिंधिया को इंडियन एयरलाइंस और अपने पार्टी के नेताओं का विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन वह आगे बढ़े। 1992 में इकोनॉमिक टाइम्स से साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘एयरलाइंस मेरे बच्चे नहीं है।’ इसका मतलब यह था कि सरकार किसी एयरलाइंस को प्रतिस्पर्धा से नहीं बचाएगी।
जूनियर सिंधिया के प्रभार संभालने के बाद उनकी सबसे बड़ी चुनौती संक्रमण से उड्डयन को मुक्त और खुला बाजार बनाने को लेकर होगी, जहां सरकार की चिंता एयरलाइंस को बचाने से ज्यादा यात्रियों के हितों की रक्षा को लेकर होगी।
इस समय अंतरराष्ट्रीय आकाश में भी संरक्षणवाद मौजूद है, जहां एयर बबल व्यवस्था के मुताबिक हवाई सेवा समझौते हुए हैं। इस समझौते के मुताबिक भारत ने गल्फ एयरलाइंस, कतर एयरवेज, और एतिहाद को भारत के यात्रियों को दुबई, अबूधाबी और दोहा होकर लाने का समझौता किया है। कई सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के हितों की रक्षा के लिए हुआ है, जो यूरोप और अमेरिका की सीधी उड़ान से मुनाफा कमा रही है।
गुर्जर ने विद्युत राज्य मंत्री का पदभार संभाला
हरियाणा के फरीदाबाद से लोकसभा सदस्य कृष्ण पाल गुर्जर ने गुरुवार को बिजली राज्यमंत्री का पदभार संभाल लिया। उन्होंने बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा कैबिनेट मंत्री आरके सिंह की उपस्थिति में पदभार संभाला। उन्होंने बिजली सचिव आलोक कुमार और बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय लोक उपक्रमों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक समेत अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। भाषा