facebookmetapixel
100 गीगावॉट लक्ष्य के लिए भारत में परमाणु परियोजनाओं में बीमा और ईंधन सुधारों की जरूरत: एक्सपर्टCII ने बजट 2026-27 में निवेश और विकास बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों का रखा प्रस्तावRBI ने बैंकों को कहा: सभी शाखाओं में ग्राहकों को बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित करें, इसमें सुधार जरूरीसाल 2025 बना इसरो के लिए ऐतिहासिक: गगनयान से भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की उलटी गिनती शुरूदिल्ली देखेगी मेसी के कदमों का जादू, अर्जेंटीना के सुपरस्टार के स्वागत के लिए तैयार राजधानीदमघोंटू हवा में घिरी दिल्ली: AQI 400 के पार, स्कूल हाइब्रिड मोड पर और खेल गतिविधियां निलंबितUAE में जयशंकर की कूटनीतिक सक्रियता: यूरोप ब्रिटेन और मिस्र के विदेश मंत्री से की मुलाकात‘सच के बल पर हटाएंगे मोदी-संघ की सरकार’, रामलीला मैदान से राहुल ने सरकार पर साधा निशानासेमाग्लूटाइड का पेटेंट खत्म होते ही सस्ती होंगी मोटापा और मधुमेह की दवाएं, 80% तक कटौती संभवप्रीमियम हेलमेट से Studds को दोगुनी कमाई की उम्मीद, राजस्व में हिस्सेदारी 30% तक बढ़ाने की कोशिश

विनिवेश लक्ष्य पाना सरकार के लिए मुश्किल

Last Updated- December 11, 2022 | 11:43 PM IST

बीएस बातचीत
बजट को एक ऐसी अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है जो बड़ी तेजी से महामारी के प्रभाव से उबर रही है और जो अब कोविड से पूर्व के स्तर पर पहुंच सकती है। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने श्रीमी चौधरी के साथ बातचीत में विनिवेश लक्ष्य, उर्वरक सब्सिडी, एलआईसी आईपीओ, सहित विभिन्न मुद्दों पर बात की। पेश हैं मुख्य अंश:
आगामी केंद्रीय बजट की थीम क्या होगी?
मैं थीम को लेकर बात नहीं कर सकता क्योंकि इसका निर्णय पूरी तरह से सरकार को करना है न कि वित्त सचिव को। मैं आपको यह बता सकता हूं कि बजट को एक ऐसी अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है जो कम से कम आज बड़ी तेजी से महामारी के प्रभाव से बाहर आ रही है और इसकी वृद्घि दर में वह संभावना नजर आ रही है जिससे यह कोविड से पूर्व के स्तर पर पहुंच सकती है। मुझे लगता है कि अगले वर्ष आर्थिक वृद्घि दर 2018-19 और उससे पहले के वर्ष के स्तर पर पहुंच सकती है। लेकिन अनिश्चितताएं बरकरार हैं। कोई नहीं जानता कि वास्तव में कोविड समाप्त हो चुका है अथवा नहीं। इसके अलावा कई सारे अंतरराष्ट्रीय मुद्दे भी हैं जिनसे अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, घरेलू स्तर पर परिदृश्य बेहतर नजर आ रहा है।

उर्वरक की बढ़ी हुई कीमत चिंता की बात है ऐसे में सरकार क्या कदम उठा रही है?
उर्वरकों की कीमत में भारी वृद्घि हुई है जिसके कारण उर्वरक सब्सिडी का भार बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हम इस साल संशोधित अनुमानों में काफी अधिक प्रावधान करने जा रहे हैं। केवल उर्वरकों के लिए ही सब्सिडी का अतिरिक्त आवंटन 40,000 करोड़ रुपये हो सकता है जो कि जीडीपी का 0.2 फीसदी होता है। आपूर्ति बढ़ाने के उपायों का निर्णय उर्वरक मंत्रालय द्वारा किया जाएगा लेकिन हम जरूरी अतिरिक्त उर्वरक सब्सिडी के लिए प्रावधान करने पर सहमत हैं।

क्या आपके पास इस अतिरिक्त प्रावधान के लिए गुंजाइश है?
राजस्वों में अच्छी खासी वृद्घि हुई है। खर्च के लिए कई मद सामने हैं। और कुछ गैर-कर राजस्वों में कमी आने की संभावना है खासकर विनिवेश। कोविड के कारण पहली दो तिमाहियों में विनिवेश की योजना के बेपटरी हो जाने से बजट में निर्धारित 1.75 लाख करोड़ रुपये के विविवेश लक्ष्य पर पहुंच पाना मुश्किल है। हमारे राजस्व में इजाफा हुआ है लेकिन खर्चों में भी वृद्घि हुई है। उर्वरक के अलावा हम 56,000 करोड़ रुपये के निर्यात प्रोत्साहन बकाये का भी भुगतान कर रहे हैं।

एलआईसी का आईपीओ बाजार में कब तक आने की उम्मीद है?
चालू वित्त वर्ष में एलआईसी में इक्विटी की बिक्री की संभावना काफी अधिक है। इसको लेकर मैं सावधानीपूर्वक आशावादी हूं।

First Published - November 5, 2021 | 11:49 PM IST

संबंधित पोस्ट