पिछले दो हफ्ते के दौरान कोविड की तीसरी लहर में गिरावट देखी जा रही है और इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि दूसरी लहर के शीर्ष स्तर के मामले की तुलना में यह निचले स्तर पर है जब रोजाना के संक्रमण मामलों ने 4,14,188 के स्तर को छू लिया था। तीसरी लहर के दौरान इस साल 21 जनवरी को संक्रमण के सबसे ज्यादा 3,47,245 मामले देखे गए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘हम संक्रमण की लहर के संदर्भ में नहीं बल्कि जो डेटा मौजूद हैं, उनके लिहाज से हम देखते हैं। रोजाना के मामलों में कमी आ रही है लेकिन यह अब भी 1,00,000 से अधिक है। इसका मतलब यह भी है कि हमें ज्यादा सतर्क रहना होगा।’ देश में पिछले दिन कोविड संक्रमण के 1,72,000 नए मामले दर्ज किए गए। सरकार ने कहा कि 2022-23 में टीकाकरण के लिए 5,000 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया गया है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) और राष्ट्रीय कोविड कार्यबल के प्रमुख वी के पॉल का कहना है, ‘यह कहा गया है कि जरूरत के मुताबिक अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।’ पॉल एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि कम आवंटन का अर्थ यह है कि सरकार मुफ्त टीकाकरण का प्रावधान खत्म कर देगी और क्या यह रकम बूस्टर तथा बच्चों के टीकाकरण के लिए यह रकम पर्याप्त है या नहीं।
केंद्र ने पिछले साल के बजट में टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था जिसे 2021-22 के संशोधित अनुमान में बढ़ाकर 39,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कोविड के हालात में सुधार दिख रहे हैं, हालांकि कुछ जगहों पर संक्रमण के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं। वहीं 34 राज्यों में संक्रमण और संक्रमण दर में रिकॉर्ड स्तर की गिरावट देखी जा रही है लेकिन केरल और मिजोरम में दोनों ही स्तर पर तेजी है। केरल में 3 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह के दौरान संक्रमण दर 47 फीसदी जबकि मिजोरम में यह दर 34.1 प्रतिशत है।
सप्ताह दर सप्ताह की तुलना के लिहाज से उन जिलों की तादाद में गिरावट देखी जा रही है जहां 10 फीसदी से अधिक संक्रमण दर है। पिछले हफ्ते 297 जिलों में इतनी संक्रमण दर थी जबकि इससे पहले के हफ्ते के दौरान 406 हफ्ते में इतनी संक्रमण दर देखी गई। इसके अलावा अब 169 जिलों में संक्रमण दर 5 से 10 प्रतिशत के बीच थी।
टीकाकरण से मृत्यु दर कम
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा कराए गए राष्ट्रीय क्लिनिकल रजिस्ट्री के एक अध्ययन की तुलना में ओमीक्रोन का एक महीना और इससे पहले के डेल्टा स्वरूप के एक महीने की तुलना में टीके वाले मरीजों में मरने वालों की संख्या कम है। अस्पताल में भर्ती कुल मरीजों में से 10 प्रतिशत उन लोगों की मौत हुई जिनको दोनों टीके लग चुके थे और 90 प्रतिशत लोगों थे जो अन्य बीमारियों से ग्रस्त थे। मरने वालों में टीका न लगाने वालों की तादाद 22 प्रतिशत से अधिक और करीब 83 प्रतिशत को अन्य बीमारियां हैं।
ऑक्सीजन की जरूरतें और मेकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरतें टीका न लगवाने वाले लोगों की तुलना में टीका लगवाने वाले लोगों में काफी कम थीं। यह अध्ययन देश के 37 अस्पतालों में भर्ती 1,520 लोगों पर कराया गया। इसमें यह भी पाया गया कि महामारी की दूसरी लहर में 55 साल से अधिक उम्र के लोगों की भर्ती करनी पड़ी जबकि इस बार करीब 44 साल के युवा मरीजों की संख्या अधिक थी और इस बार गले की खराश ज्यादा रही। डेल्टा लहर की तुलना में कम मरीजों को ही सांस लेने में ज्यादा कठिनाई हुई या बुखार और कफ की दिक्कत हुई। स्वाद और सूंघने की दिक्कत भी ओमीक्रोन महामारी के दौरान केवल 2.2 फीसदी मरीजों में देखी गई।
सर्जरी सुरक्षित
एम्स के एक अध्ययन में पाया गया कि पहले की तुलना में कोरोनावायरस के मौजूदा स्वरूप में सर्जरी सुरक्षित है और कोविड-19 संक्रमित मरीजों के मामले गंभीर होने या मरने की आशंका कम ही होती है।
अध्ययन में कहा गया, ‘मरीजों की सर्जरी को फिलहाल टालने की जरूरत नहीं है।’ इस अध्ययन का हिस्सा बने 53 मरीजों में से 60 फीसदी मरीजों को नियमित एनेसथिसिया दिया गया। इनमें से 32 मरीजों में 26 मामले गर्भवती महिलाओं के सी-सेक्शन ऑपरेशन से जुड़े थे लेकिन सर्जरी के दौरान और उसके बाद कोई दिक्कत नहीं आई। लेकिन अध्ययन में यह कहा गया कि जिन मरीजों को सामान्य एनेसथेसिया दिया गया, उनमें से चार की मौत हो गई। इसके मुताबिक, ‘सभी मौत मुख्यतौर पर किसी अन्य वजह से हुई और इसका कोविड संक्रमण से सीधा संबंध नहीं है और न ही इसकी वजह से जटिलताएं बढ़ी हैं।’