दो साल पहले को सरकार ने कोविड-19 मामलों के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया था। लॉकडाउन के शुरुआती कुछ महीनों में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाए जाने और जांच के सीमित संसाधनों के चलते, लॉकडाउन की शुरुआत में संक्रमण का स्तर कम था। लेकिन जैसे ही सरकार ने प्रतिबंधों में ढील दी और 31 मई से संक्रमण की अधिक जांच शुरू हुई उसके बाद मामले बढऩे लगे। सितंबर 2020 में, भारत ने कोविड-19 के रोजाना 100,000 मामलों के आंकड़े पार कर लिए। कोरोनावायरस की पहली लहर में इसी अवधि के दौरान मरने वालों की संख्या भी रोजाना 1,000 से अधिक हो गई। 4 अक्टूबर, 2020 को भारत ने 100,000 से अधिक मौतें दर्ज की थीं। दूसरी लहर अधिक भयावह थी क्योंकि देश में 28 अप्रैल, 2021 से लेकर महज 66 दिनों के भीतर 200,000 मौत का आंकड़ा और जुड़ गया। दूसरी लहर के दौरान रोजाना होने वाली मौतों की संख्या 4,000 के आंकड़े को पार कर गई। इस लहर के दौरान संक्रमण के मामले 400,000 से ऊपर पहुंच गए। भारत ने तीसरी लहर के दौरान लगभग 350,000 मामले दर्ज किए, हालांकि अमेरिका और यूरोप की तुलना में मौत कम हुई। ओमीक्रोन लहर के दौरान मरने वालों की संख्या कम रहने की एक वजह टीकाकरण की तेज रफ्तार हो सकती है। ताजा आंकड़ों की बात करें तब 23 मार्च, 2022 तक 18 वर्ष से अधिक उम्र के 84 प्रतिशत लोगों को दोनों खुराकें दी गई हैं।
