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बंदरगाह पर कार्गो में होने लगी वृद्धि

Last Updated- December 15, 2022 | 1:49 AM IST

लगभग सभी बड़े बंदरगाहों पर अप्रैल से अगस्त के दौरान कार्गो की ट्रैफिक में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले भारी कमी आई थी लेकिन हर महीने इस गिरावट में कमी आ रही है।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित देश के 12 बड़े बंदरगाहों पर अगस्त महीने में कार्गो में पिछले वर्ष के समान महीने के मुकाबले 10 फीसदी की कमी आई। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के एक वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी ने कहा, ‘कारोबार धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है और मुख्य तौर पर निर्यात के मोर्चे पर इसमें तेजी आ रही है। इसमें अगस्त महीने में जुलाई के मुकाबले 98.5 फीसदी का सुधार आया। अगस्त 2019 के मुकाबले हमने करीब 82 फीसदी कार्गो को कवर कर लिया है।’
जेएनपीटी देश का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह है। अगस्त में यहां 3,52,735 टीईयू माल का कारोबार हुआ जबकि जुलाई महीने में यह 3,44,316 टीईयू रहा और पिछले वर्ष के समान महीने में यह 4,33,986 टीईयू रहा था।
अधिकारी ने कहा, ‘ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए हम किसी तरह की छूट की पेशकश नहीं कर रहे हैं लेकिन हमने क्षेत्रवार 24 घंटे सप्ताह के सातों दिन के लिए कार्यालय स्थापित किए हैं ताकि वहां से ग्राहकों की शिकायतों का निवारण किया जा सके। इस पहल से मुद्दों को निपटाने में सहूलियत हो रही है जिससे कार्गो की मात्रा में इजाफा हो रहा है।’  
इंडियन पोर्ट एसोसिएशन (आईपीए) के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान बड़े बंदरगाहों पर 24.5 करोड़ टन के ट्रैफिक की आवाजाही हुई। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 16.56 फीसदी कम है। वहीं कामराज पोर्ट लिमिटेड जिसे पहले एन्नोर बंदरगाह के नाम से जाना जाता था, ने 8 महीने के लिए कार्गो की मात्रा में 32 फीसदी कमी आने की बात कही है।
कामराज बंदरगाह पर ट्रैफिक के मुख्य प्रबंधक ए करूपिया ने कहा, ‘कामराज बंदरगाह पर स्थिति सुधरने में कुछ महीने और लग सकते हैं क्योंकि निजी और तमिलनाडु की सरकारी बिजली संयंत्रों से ताप कोयले की कमजोर मांग के कारण इसके आयात में भारी गिरावट आई है। हम कारोबार को वापस पुरानी स्थिति में लाने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठा रहे हैं लेकिन तमिलनाडु फिलहाल पवन ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहा है वह अगले कुछ महीनों में मौसम में बदलाव की वजह से फिर से कोयले का इस्तेमाल शुरू कर देगा। इसके बाद फिर से कोयले की मांग बढ़ जाएगी।’
हर साल तमिलनाडु की बिजली इकाइयां कुछ विशेष अवधि के लिए पवन ऊर्जा का उपयोग करती हैं जिसके बाद फिर से कोयले का इस्तेमाल शुरू कर देती हैं। कामराज बंदरगाह पर आने वाला कुल कार्गो का करीब 60-70 फीसदी हिस्सा कोयला होता है।

First Published - September 17, 2020 | 12:35 AM IST

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