अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं और उम्र 50 वर्ष या इससे अधिक है तो खबरदार हो जाएं। सरकार अब उन कर्मचारियों के प्रदर्शन पर कड़ी निगरानी रखने जा रही है, जिनकी काम करने की क्षमता कम हो गई है। इस कवायद के तहत सरकार ने सभी मंत्रालयों एवं विभागों को उम्र के हिसाब से कर्मचारियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। सूची में अधिक उम्र वाले वे कर्मचारी रहेंगे, जो अपेक्षानुरूप काम नहीं कर पा रहे हैं। उनके काम की हर तिमाही में समीक्षा होगी, जिसके बाद तय किया जाएगा कि उनकी सेवाओं की जरूरत है या उन्हें समय से पहले सेवानिवृत्त कर देना चाहिए।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने शुक्रवार को सभी मंत्रालयों एवं विभागों को भेजे निर्देश में 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले कर्मचारियों की पंजी बनाने के लिए कहा है। सभी विभागों के प्रमुखों को ऐसे कर्मचारियों के कामकाज की तिमाहीवार समीक्षा करने के लिए कहा गया है। केंद्र सरकार के सभी 35 लाख कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा अभी तक सालाना होती थी। लेकिन 50 या 55 साल के कर्मचारियों या 30 साल की सेवा पूरी कर लेने वाले कर्मचारियों के लिए नियम बदल जाएगा। विभाग ने कर्मचारियों की निजी फाइल देखने को भी कहा है, जिसमें सालाना गोपनीय रिपोर्ट में सार्वजनिक नहीं की गई टिप्पणियां भी शामिल हैं।
‘कार्य क्षमता में कमी’ और ‘निष्ठा पर संदेह’ के आधार पर सेवानिवृत्त करने की बात पहले भी उठी थी मगर सरकार चुप बैठ गई। अब एक बार फिर इस पर काम किया जा रहा है। कार्मिक विभाग के आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2014 से जनवरी 2020 तक केंद्र सरकार ने 320 अधिकारियों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। लेकिन इस बार और भी बड़े स्तर पर यह काम होगा।
कार्मिक विभाग कई साल से इस खबर का खंडन करता आ रहा है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र मौजूदा 60 वर्ष (सबसे निम्न स्तर के कर्मचारियों के लिए 62 वर्ष) से घटाकर 55 वर्ष करना चाहती है। अब 28 अगस्त को जारी निर्देश के जरिये उस प्रस्ताव के कुछ पहलू लागू किए जा सकते हैं। ऐसे में कामकाज में अधिक गिरावट वाले कर्मचारियों को निकालना आसान हो जाएगा।
इस ज्ञापन में कहा गया है, ’50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों की पंजी की समीक्षा हरेक तिमाही के शुरू में मंत्रालय, विभाग या कैडर का कोई वरिष्ठ अधिकारी करे ताकि सरकारी अधिकारियों की सेवाएं बरकरार रखने या समय से पूर्व सेवानिवृत्त करने का निर्णय तय समय में लिया जा सके।’
कार्मिक विभाग पहले भी इस बारे में परिपत्र जारी कर चुका था मगर उनमें इतना अधिक ब्योरा नहीं था। इस बार खास बात यह है कि पहली श्रेणी (ग्रुप ए) के शीर्ष अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा विभागीय सचिव के नेतृत्व में की जाएगी। ज्ञापन में कहा गया है, ‘समीक्षा समिति की अध्यक्षता संबंधित कैडर नियंत्रण प्राधिकरण के सचिव करेंगे। जहां सीबीडीटी, सीबीईसी, रेवले बोर्ड, डाक बोर्ड, दूरसंचार आयोग जैसे बोर्ड हैं, वहां समीक्षा समिति की कमान संबंधित बोर्ड के अध्यक्ष करेंगे।’
ज्ञापन में समीक्षा समितियों को कर्मचारी के पूरे सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा करने को कहा गया है। कर्मचारियों की उम्र और उनकी समीक्षा से जुड़ी कवायद पूरी करने के लिए सभी नियम तैयार रखने के लिए कहा गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए न्यायालयों के सभी आदेशों, मौजूदा नियम आदि बातों का भी ध्यान रखा गया है। ज्ञापन में कानूनी अड़चनों का भी ध्यान रखा गया है और समय पूर्व सेवानिवृत्त किए जाने वाले अधिकारियों को उनका पक्ष रखने का भी पूरा मौका दिया जाएगा। हालांकि ज्ञापन में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि केंद्रीय नागरिक सेवा (पेंशन) नियम और अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम के प्रावधानों के अनुसार सरकार को पूरा अधिकार है कि वह निष्ठा में कमी या अपेक्षित सेवा देने में अक्षमता के आधार पर अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त कर सकती है।
