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वैश्विक मंदी भले न आए लेकिन गिरावट संभव

Last Updated- December 11, 2022 | 5:15 PM IST

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा मंगलवार को जारी अनुमानों से पता चलता है कि वैश्विक मंदी नहीं आ सकती है, हालांकि आर्थिक वृद्धि में पहले के अनुमान की तुलना में अधिक गिरावट हो सकती है।
आईएमएफ ने 2022 के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के अनुमान से 0.4 प्रतिशत कम करके 3.2 प्रतिशत कर दिया है, जबकि 2023 के लिए वृद्धि अनुमान 0.7 प्रतिशत घटाकर 2.9 प्रतिशत कर दिया है। अगर  2021 की 6.1 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में देखें तो यह एक उल्लेखनीय गिरावट है, लेकिन यह मंदी नहीं है, जैसा 2020 में देखा गया था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
हालांकि इन बुनियादी अनुमानों में अन्य परिदृश्य में अलग संभावना बनती है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह हर परिस्थिति में सही साबित होगा। खासकर अगर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता बढ़ती है तो आंकड़े बदल भी सकते हैं।
आईएमएफ ने इसे साफ किया है। इसने कहा है कि मौजूदा परिदृश्य ‘असाधारण’ रूप से अनिश्चित है। कोष ने अपनी रिपोर्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक या डब्ल्यूईओ में कहा है, ‘बुनियादी अनुमान कई मान्यताओं पर आधारित हैं। इसमें यह अनुमान लगाया गया है कि रूस से शेष यूरोप को आपूर्ति की जाने वाली गैस के प्रवाह में आगे कोई और अप्रत्याशित कमी नहीं आएगी। दीर्घावधि महंगाई के अनुमान स्थिर रहेंगे। वैश्विक वित्तीय बाजारों में अवस्फीति की मौद्रिक नीति की सख्ती के परिणामस्वरूप अव्यवस्थित समायोजन से कोई गड़बड़ी नहीं होगी।’
इसमें चेतावनी दी गई है कि इस बुनियादी अवधारणा में उल्लेखनीय जोखिम यह है कि कुछ या सभी अनुमान गलत साबित हो सकते हैं। इसमें चेतावनी दी गई है कि हाल के महीनों में आर्थिक अनिश्चितता बढ़ी है और आने वाले समय में मंदी को लेकर चिंता भी बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मंदी की संभावना भी बढ़ी है। उदाहरण के लिए संपत्ति की कीमतों की सूचना के आधार पर 7 अर्थव्यवस्थाओं के समूह में मंदी की संभावना 15 प्रतिशत है। यह सामान्य स्तर की तुलना में 4 गुना ज्यादा है। जर्मनी में यह एक चौथाई रहने का अनुमान है।’
साथ ही अमेरिका पहले ही मंदी में हो सकता है, जैसा तकनीकी रूप से परिभाषित किया गया है कि उसकी जीडीपी में लगातार दो तिमाहियों में गिरावट आई है।
फंड ने कहा है, ‘अमेरिका में कुछ संकेतक जैसे फेडरल रिजर्व बैंक आफ अटलांटा के जीडीपी अनुमान मॉडल में कहा गया है कि तकनीकी रूप से मंदी पहले ही शुरू हो चुकी है।’  आईएमएफ ने यह भी कहा है कि चौथी तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही में वृद्धि का अनुमान संकेत देता है कि 2022 की दूसरी छमाही में गतिविधियां कमजोर हो रही हैं।
इसमें अनुमान लगाया गया है कि 2022 में चौथी तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही में वृद्धि 1.7 प्रतिशत और 2023  में 3.2 प्रतिशत रहेगी। बहरहाल उभरते और विकसित होते यूरोप में इस तिमाही में जीडीपी में 7 प्रतिशत गिरावट आ सकती है। इस समूह में मुख्य रूप से वे देश शामिल हैं, जो सोवियत संघ (यूएसएसआर) से अलग हुए थे,  जिसमें लाटविया, रोमानिया, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, हंगरी, स्लोवेनिया और स्लोवाकिया शामिल हैं। इस तिमाही में रूस की जीडीपी में 13.9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है। इसमें यह भी अनुमान लगाया गया है कि 2022 में 6 प्रतिशत और 2023 में 3.5 प्रतिशत गिरावट आ सकती है।
फंड ने चेतावनी दी है कि 2023 में मंदी का जोखिम बहुत ज्यादा है, जब कुछ देशों की वृद्धि निचले स्तर पर होगी और महामारी के दौरान हुई बचत खत्म हो जाएगी और यहां तक कि छोटे झटकों से भी अर्थव्यवस्था ठहर सकती है। इसमें कहा गया है, ‘उदाहरण के लिए हाल के अनुमान के मुताबिक 2023 की चौथी तिमाही में अमेरिका में रियल जीडीपी वृद्धि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में सिर्फ 0.6 प्रतिशत रह सकती है। यह मंदी को थामने के हिसाब से चुनौती होगी।’
स्टैगफ्लेशन ऐसी स्थिति को कहते हैं जब आर्थिक वृद्धि सुस्त हो जाती है, साथ ही बेरोजगारी बढ़ने के साथ महंगाई भी बहुत ज्यादा होती है।  आईएमएफ ने कहा है कि 2024 के अंत तक पूरी दुनिया में महंगाई दर महामारी के पहले के स्तर पर आने की संभावना है। लेकिन इसमें शर्तें हैं और कुछ वजहों से महंगाई की स्थिति लंबे वक्त तक बनी रह सकती है।

First Published - July 28, 2022 | 12:56 AM IST

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