दिल्ली सीमा पर आंदोलित किसानों ने पिछले दो दिन में दूसरी बार बिना शर्त बातचीत की पेशकश ठुकरा दी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि वह नए कृषि विपणन कानूनों के नाम पर किसानों को भ्रमित कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘इन ऐतिहासिक कृषि सुधार कानूनों पर किसानों को उन्हीं लोगों द्वारा भ्रमित किया जा रहा है, जो दशकों से उन्हें भ्रमित करते आ रहे हैं।’ उनका इशारा विपक्षी दलों की तरफ था, लेकिन उन्होंने सीधे किसी का नाम नहीं लिया। मोदी ने कहा कि इन अधिनियमों का विरोध करने वाले ही चिंताएं जता रहे हैं और विरोध कर रहे हैं। वे समाज को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इन्हीं लोगों ने पहले एमएसपी, ऋण माफी और उर्वरक सब्सिडी के नाम पर किसानों को भ्रमित किया था।’
इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने दो दिन में दूसरी बार बातचीत की पेशकश को खारिज करते हुए कहा कि वे ‘निर्णायक लड़ाई’ के लिए राष्ट्रीय राजधानी में आए हैं। उन्होंने कहा कि वे तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जाएंगी।
उन्होंने कहा, ‘हमारी मांगों पर सौदेबाजी नहीं हो सकती।’ उन्होंने दावा किया कि अगर सत्तारूढ़ पार्टी ने उनकी चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। किसान समूह के एक नेता ने कहा, ‘हम यहां निर्णायक लड़ाई लडऩे आए हैं।’
एक अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी ने कहा कि उनके आंदोलन को दबाने के लिए अभी तक करीब 31 मामले दर्ज किए गए हैं। चादुनी ने कहा कि किसान अपनी मांगें माने जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से अपील की थी कि वे बुराड़ी के मैदान में आंदोलन को स्थानांतरित करें। शाह ने कहा था कि वे जैसे ही निर्धारित स्थान पर पहुंचेंगे, केंद्र सरकार उनके साथ बातचीत को तैयार है। रविवार को करीब 30 किसान समूहों की बैठक हुई, जिसमें 3 दिसंबर की निर्धारित तिथि से पहले बातचीत की शाह की पेशकश खारिज कर दी और बिना शर्त के बातचीत की मांग की।
हजारों आंदोलनकारियों ने झुकने से इनकार कर दिया और सिंघु और टिकरी सीमा पर ठंड में दूसरी रात बितायी।
उनके प्रतिनिधियों ने कहा था कि विरोध-प्रदर्शन के स्थल को स्थानांतरित करने की शाह की शर्त स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बुराड़ी का मैदान एक खुली जेल है। प्रदर्शन स्थल की रिपोर्टों से पता चलता है कि किसानों ने लंबी लड़ाई के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली और अहम कृषि उपकरणों को अस्थायी आसरा बना लिया है।
ज्यादातर किसान एक ट्रैक्टर के साथ कम से कम दो ट्रॉली लेकर आए है, जिनमें एक में राशन एवं आवश्यक वस्तुएं और दूसरी को प्रदर्शनकारियों के सोने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बहुत से किसान ट्रॉली में पराली बिछाकर लाए हैं ताकि ठंड से बचाव के लिए उन पर गद्दे बिछाए जा सकें।’
प्रदर्शनकारियों में बहुत से पुरुष और महिलाएं शामिल हैं, जिनमें से कुछ की उम्र 70 साल से भी अधिक है। किसानों ने सोमवार को गुरु नानक देव के जन्मदिवस के मौके पर हरियाणा-दिल्ली सीमा पर ‘अरदास’ की और प्रदर्शनकारियों में कड़ाह प्रसाद बांटा।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन के लिए समर्थन जुटाने की खातिर एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया। पार्टी के नेता राहुल गांधी ने कहा कि जब किसान अपनी आवाज उठाते हैं तो इसकी गूंज देश भर में सुनाई देती है।
राहुल गांधी ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘मोदी सरकार ने किसानों को दंडित किया है। पहले यह काले कानून लेकर आई और फिर उनके खिलाफ लाठी इस्तेमाल की। लेकिन वह भूल गई कि जब किसान अपनी आवाज उठाते हैं तो उसकी गूंज देश भर में सुनाई देती है। आप भी किसानों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाएं और हैशटैग स्पीकअपफॉरफामर्स अभियान में शामिल हों।’
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र को प्रदर्शनकारी किसानों की चिंताएं दूर करनी चाहिए। इन चिंताओं में न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म होना या उपज की खरीद पर प्रतिकूल असर आदि शामिल हैं।
राजग की घटक आरएलपी के संयोजक व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को इस बारे में केंद्रीय मंत्री अमित शाह को संबोधित कर ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा है, अमित शाह जी, देश में चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से संबंंधित लाए गए तीन विधेयकों को तत्काल वापस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की संपूर्ण सिफारिशों को लागू करें व किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के अनुरूप उचित स्थान दिया जाए।
आज वामपंथी दलों ने अपनी राज्य इकाइयों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों के पक्ष में प्रदर्शन करने को कहा। पांच वामपंथी दलों माकपा, भाकपा, आरएसपी, एआईएफबी और सीपीआई (एमएल) ने संयुक्त बयान जारी कर किसानों के प्रदर्शन को अपना पूर्ण समर्थन दिया।
