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महंगे बाजारों पर नहीं पड़ेगा असर

Last Updated- December 14, 2022 | 9:20 PM IST

शीर्ष डेवलपरों का कहना है कि 2 करोड़ रुपये तक के मकानों के सर्किल रेट और समझौता मूल्य के बीच अंतर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के कदम से मुंबई और दिल्ली-एनसीआर में रियल एस्टेट के कारोबार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि देश के इन दो प्रमुख संपत्ति बाजारों में मकानों का मूल्य 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसके पहले सर्किल रेट और समझौते में 10 प्रतिशत अंतर की अनुमति थी। इसके ऊपर की राशि को खरीदार व विक्रेता के हाथ में आमदनी माना जाता था। सरकार ने नई राहत 30 जून, 2021 तक के लिए दी है।
सबसे बड़े सूचीबद्ध डेवलपर डीएलएफ के मुख्य कार्याधिकारी राजीव तलवार ने कहा, ‘मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े महानगरों पर इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा। लेकिन बड़े और मझोले शहरों पर इसका असर होगा, जहां कीमतें 65 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक हैं।’
हीरानंदानी कम्युनिटीज के प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि 2 करोड़ रुपये की सीमा तय किए जाने से मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों के खरीदारों व डेवलपरों को मदद नहीं मिलेगी, जहां कीमतें मुख उपनगरीय इलाकों में 2 करोड़ रुपये से ज्यादा हैं। हीरानंदानी ने कहा, ‘हालांकि इससे छोटे शहरों में मदद मिलेगी, लेकिन वे 2 करोड़ रुपये की सीमा को खत्म कर सकते हैं। इसे वाणिज्यिक रियल एस्टेट पर भी लागू किया जा सकता है।’
एचडीएफसी के वाइस चेयरमैन और सीईओ केकी मिस्त्री ने कहा कि लाभ लेने के लिए कोई सीलिंग राशि नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘सस्ते से लेकर महंगे, हर सेग्मेंट में मकानों के दाम गिरे हैं। मध्य और दक्षिण मुंबई में, जहां संपत्ति के दाम 2 करोड़ रुपये से ज्यादा हैं, कीमतें बहुत ज्यादा गिरी हैं। अगर महंगे मकानों तक इसका लाभ पहुंचाया जाता है तो यह इस कदम के प्रभाव को बढ़ाएगा।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘बड़ी संख्या में बिना बिके मकान बिक जाएंगे और खरीदारों को सर्किल रेट और समझौता मूल्य में अंतर पर कम कर का भुगतान करना होगा।’ सीतारमण ने कहा कि इस कदम से मध्य वर्ग को मदद मिलेगी, जो ऐसे समय में मकान खरीदना चाहते हैं, जब आपूर्ति बहुत ज्यादा है और बिना बिके मकानों की संख्या बढ़ रही है।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘मकान के खरीदारों को साफतौर पर इससे अतिरिक्त वित्तीय लाभ मिलेगा, जो इस समय ऑफर और डिस्काउंट पा रहे हैं। साथ ही खरीदार को कर छूट मिलेगा और इससे सस्ते और मझोले सेग्मेंट के मकानों की मांग बढ़ेगी।’ पुरी ने कहा कि इससे डेवलपरों को बगैर बिके मकानों को बेचने में मदद मिलेगी।  एनारॉक रिसर्च के मुताबिक देश के  7 प्रमुख शहरों में 5.45 लाख बगैर बिके मकान हैं, जिनकी कीमत 1.5 करोड़ रुपये तक है। वहीं 1.5 करोड़ से 2.5 करोड़ रुपये तक के 49,290 बगैर बिके मकान हैं।
इस घोषणा का बेंगलूरु के डेवलपरों ने स्वागत किया है।
बेंगलूरु के डेवलपर प्रेस्टीज इस्टेट प्रोजेक्ट्स के चेयरमैन इरफान रजाक ने कहा, ‘इस राहत से बिक्री की राह आसान होगी। अच्छी बात यह है कि यह पहली बिक्री पर लागू होगा।’  
वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-शहरी) के लिए 18,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटन की घोषणा की है, जो इस साल पहले ही खर्च किए जा चुके 8,000 करोड़ रुपये से ऊपर है। इससे 12 लाख नए मकान बनाने और 18 लाख मकानों को पूरा करने में मदद मिलेगी। सीतारमण ने न्यू इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) 2.0 की भी गोषणा की है, जिसमें दबाव वाले 26 क्षेत्रों की मझोले आकार की कंपनियां शामिल होंगी। इनमें रियल एस्टेट भी है। ईसीएलजीएस 1.0 में इन क्षेत्रों को छोड़ दिया गया था।
बहरहाल वित्तमंत्री की घोषणाओं पर रियल एस्टेट के शेयरों में कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली। बीएसई रियल्टी इंडेक्स बुधवार की तुलना में करीब 0.8 प्रतिशत चढ़कर 1884.1 पर बंद हुआ। डीएलएफ के शेयर पहले की बंदी से 0.2 प्रतिशत घटकर 182.6 रुपये पर बंद हुए।

First Published - November 12, 2020 | 11:20 PM IST

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