facebookmetapixel
44,000 उड़ानें! Air India पीछे क्यों रह गई, सर्दियों के शेड्यूल में IndiGo निकली आगेStock Market Today: GIFT Nifty से कमजोर संकेत, एशियाई बाजार लाल निशान में; जानें कैसी होगी शेयर मार्केट की शुरुआतसुरंग परियोजनाओं में अब ‘जोखिम रजिस्टर’ अनिवार्यNARCL की वसूली में दो गुना से अधिक उछाल, फंसे ऋणों का समाधान तेजी सेआईपीओ में म्यूचुअल फंडों की भारी हिस्सेदारी, निवेशकों की नजरें बढ़ींविदेशी बाजारों की सुस्ती से ऑटो कलपुर्जा कंपनियों पर दबावAI बना एयरटेल का ग्रोथ इंजन, कैपेक्स और ऑपेक्स दोनों पर दिखा फायदाStocks to Watch Today: Wipro, Dr Reddy’s, Paytm समेत कई शेयर फोकस में; चेक करें लिस्ट100 गीगावॉट लक्ष्य के लिए भारत में परमाणु परियोजनाओं में बीमा और ईंधन सुधारों की जरूरत: एक्सपर्टCII ने बजट 2026-27 में निवेश और विकास बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों का रखा प्रस्ताव

दुष्यंत चौटाला के पास इस वक्त समय का अभाव

Last Updated- December 14, 2022 | 8:29 PM IST

देश में चल रहे किसान आंदोलन से हरियाणा सरकार की बेचैनी बढ़ रही है। हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी (भाजपा-जेजेपी) गठबंधन के मतभेद अभी तक जनता के बीच नहीं आए हैं, लेकिन जेजेपी में चिंता बढ़ रही है। कई नेताओं का कहना है कि अगर पार्टी ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया तो किसान उनसे दूर हो सकते हैं।
पिछले कुछ दिनों में, जेजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने किसानों के पक्ष में बात कही है। उनके अनुसार, पार्टी के 10 विधायकों में से आधे से ज्यादा कृषि कानूनों पर भाजपा का समर्थन करने के पार्टी के फैसले के खिलाफ हैं। एक जेजेपी विधायक ने कहा, ‘किसानों पर पुलिस का अत्याचार बर्बरतापूर्ण था। क्या इसीलिए उन्होंने हमें वोट दिया है? हम पार्टी नेतृत्व के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन अगर दुष्यंत चौटाला जल्दी कदम नहीं उठाते हैं तो वे जनाधार खो सकते हैं।’
स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए, जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने केंद्र से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर या उससे अधिक फसलों की खरीद का आश्वासन देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था, ‘जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री बार-बार यह आश्वासन दे रहे हैं कि एमएसपी जारी रहेगा, तो उसे लिखित में देने में कोई बुराई नहीं है।’ लेकिन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की चुप्पी पार्टी को बेचैन कर रही है। जेजेपी नेता, जिनमें से अधिकांश किसान हैं, यह महसूस करते हैं कि यह देरी उनके राजनीतिक भविष्य को नुकसान पहुंचाएगी। एक जेजेपी नेता ने कहा, ‘अगली बार हमें कौन वोट देगा? हम किसानों की वजह से सत्ता में आए, लेकिन अब हम उनकी आलोचना का सामना कर रहे हैं।’ चार जेजेपी विधायक – जोगी राम सिहाग (बरवाला), राम करन काला (शाहाबाद), राम कुमार गौतम (नारनौंद), और देवेंद्र बबली (टोहाना) पहले ही पार्टी लाइन तोड़कर किसानों का समर्थन कर रहे हैं और सरकार की कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बता रहे हैं।
कांग्रेस, इंडियन नैशनल लोकदल (इनेलो) के साथ ही सोमबीर सांगवान (दादरी) एवं बलराज कुंडू (मेहम) जैसे निर्दलीय जाट विधायक राज्य सरकार की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यह जेजेपी के मुख्य किसान वोट आधार को अपनी ओर करने की भी एक चाल है। हरियाणा पशुधन बोर्ड से सांगवान के इस्तीफे और मनोहर लाल खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेने से दुष्यंत पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है।
महाराणा प्रताप नैशनल कॉलेज, मुलाना में सहायक प्रोफेसर एवं राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख विजय चौहान ने कहा कि किसान यूनियन लगातार दुष्यंत को खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग कर रहे हैं। दुष्यंत लगातार इन मांगों को अनसुना करने का दिखावा कर रहे हैं। वह कहते हैं, ‘किसानों और खाप पंचायतों को नहीं सुनने से सरकार अपनी ही कब्र खोद रही है।’
हालांकि, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि दुष्यंत के पास विकल्पों की कमी है और भाजपा के पास राजनीतिक शक्ति है। भाजपा अपने विधायकों को साथ रखने में समर्थ रही है। हालांकि पूर्व विधायक और खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में मुख्य संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा ने किसानों के मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी है।
दुष्यंत के छोटे भाई और जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला ने प्रदर्शनकारियों के पक्ष में बोलते हुए कहा था कि शांतिपूर्वक विरोध करना किसानों का मौलिक अधिकार है और उन्होंने हरियाणा में किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री से बात करेंगे और किसानों के खिलाफ चल रहे मामले वापस लेने के लिए कहेंगे।’ लेकिन हरियाणा में प्रदर्शनकारी किसानों को खट्टर ने खालिस्तानी तत्त्व एवं ‘एजेंट’ कहा और हरियाणा के कृषि मंत्री ने विरोध प्रदर्शन पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘भारत को अस्थिर करने के लिए चीन एवं पाकिस्तान के प्रयासों’ ने किसानों को और अधिक भड़का दिया। हालांकि इन बयानों से दुष्यंत के सामने मुश्किलें बढ़ गई हैं। लोग उन्हें वह दिन याद दिला रहे हैं , जब वह किसानों का प्रतिनिधित्व करते हुए इनेलो सांसद के तौर पर ट्रैक्टर पर बैठकर संसद तक पहुंचे थे। वर्ष 2018 में जब उन्होंने अपने महान दादा, ‘ताऊ’ देवी लाल (उन्हें उनके समर्थक जननायक कहते थे) के नाम के साथ अपनी नई पार्टी शुरू की थी तो उन्होंने दावा किया कि वे देवीलाल की पगड़ी के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं। किसानों के विरोध पर दुष्यंत के रुख से नाराज जींद जिले के एक किसान करतार सिंह कहते हैं, ‘ऐसे कपूत ने ताऊ की पगड़ी मोदी की जूती पर धर दी।’ पिछले सात दिनों से सिंघु बॉर्डर पर बैठे एक किसान संदीप सिंह ने कहा, ‘अगर ताऊ जिंदा होता, तो वह शर्म से मर जाता।’
इनेलो नेता एवं देवीलाल के पोते अभय सिंह चौटाला ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि दुष्यंत ने किसानों की पीठ पर छुरा घोंपा है। वह कहते हैं, ‘लोगों ने देखा कि सत्ता और पैसे के लिए उन्होंने किसानों तथा ताऊ की विचारधारा को कैसे बेचा।’
, लोकनीति की राज्य पर्यवेक्षक और करनाल स्थित दयाल सिंह कॉलेज में राजनीति विज्ञान की सहायक प्रोफेसर अनिता अग्रवाल ने कहा, इस आंदोलन के साथ ‘किसान कमेरे की पार्टी’ के रूप में जेजेपी की पहचान समाप्त हो गई है। अग्रवाल कहती हैं, ‘किसानों के मुद्दे पर जेजेपी की चुप्पी से उनके मुख्य वोट बैंक के भरोसे की हार हो रही है जो हरियाणा में उनकी राजनीति पर सवालिया निशान लगाता है।’
नदियों को जोडऩा खाद्य सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण : कटारिया
केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने सोमवार को कहा कि जल शक्ति मंत्रालय को कमी वाले सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच जल बंटवारे के संबंध में मतैक्य निर्माण जैसे मसलों का हल परामर्श और सहयोग प्रक्रिया के जरिये होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजनाओं के लिए ज्यादातर मंजूरी दी जा चुकी है और मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश सरकारों के साथ विस्तृत परियोजना रिपोर्ट साझा की गई है।
सरकार पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना में जल बंटवारे पर भी चर्चा कर रही है।कटारिया ने कहा कि सरकार कोसी-मेची लिंक परियोजना में 4,900 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दे चुकी है जिससे उत्तर बिहार के बड़े हिस्से को बाढ़ के खतरे से राहत और 2,14,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलने की उम्मीद है। मंत्री ने कहा कि इस परियोजना से बिहार के सीमांचल क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आएगा।
नैशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी सोसाइटी की 34वीं वार्षिक आम सभा तथा और नदियों को जोडऩे के लिए बनी विशेष समिति की 18वीं बैठक को संबोंधित करते हुए कटारिया ने कहा कि देश के जल और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नदियों को आपस में जोडऩे का कार्यक्रम बहुत महत्त्वपूर्ण है और यह जल-संकट, सूखा-ग्रस्त तथा वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों को संसाधन उपलब्ध कराने में सहायक होगा। बैठक में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान के जल संसाधन मंत्रियों ने भी  हिस्सा लिया।  बीएस

First Published - December 7, 2020 | 11:05 PM IST

संबंधित पोस्ट