facebookmetapixel
100 गीगावॉट लक्ष्य के लिए भारत में परमाणु परियोजनाओं में बीमा और ईंधन सुधारों की जरूरत: एक्सपर्टCII ने बजट 2026-27 में निवेश और विकास बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों का रखा प्रस्तावRBI ने बैंकों को कहा: सभी शाखाओं में ग्राहकों को बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित करें, इसमें सुधार जरूरीसाल 2025 बना इसरो के लिए ऐतिहासिक: गगनयान से भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की उलटी गिनती शुरूदिल्ली देखेगी मेसी के कदमों का जादू, अर्जेंटीना के सुपरस्टार के स्वागत के लिए तैयार राजधानीदमघोंटू हवा में घिरी दिल्ली: AQI 400 के पार, स्कूल हाइब्रिड मोड पर और खेल गतिविधियां निलंबितUAE में जयशंकर की कूटनीतिक सक्रियता: यूरोप ब्रिटेन और मिस्र के विदेश मंत्री से की मुलाकात‘सच के बल पर हटाएंगे मोदी-संघ की सरकार’, रामलीला मैदान से राहुल ने सरकार पर साधा निशानासेमाग्लूटाइड का पेटेंट खत्म होते ही सस्ती होंगी मोटापा और मधुमेह की दवाएं, 80% तक कटौती संभवप्रीमियम हेलमेट से Studds को दोगुनी कमाई की उम्मीद, राजस्व में हिस्सेदारी 30% तक बढ़ाने की कोशिश

मॉनसून के कारण जुलाई में मनरेगा में काम की मांग घटी

Last Updated- December 11, 2022 | 5:05 PM IST

देश के कुछ इलाकों में जुलाई महीने में भारी मॉनसूनी बारिश के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम की मांग में करीब 35 प्रतिशत कमी आई है। जुलाई को सामान्यतया मनरेगा में काम की मांग के हिसाब से सुस्त महीना माना जाता है क्योंकि काम के स्थल भारी मॉनसूनी बारिश से प्रभावित होते हैं। लेकिन इसके बावजूद आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक जुलाई 2022 में करीब 204.3 लाख परिवारों ने काम की मांग की थी, जो किसी भी महामारी के पूर्व के साल की तुलना में मनरेगा में काम की रिकॉर्ड मांग थी।

सीएमआईई के हाल के आंकड़े भी इस गिरावट के संकेत देते हैं, जिसके मुताबिक कृषि क्षेत्र ने जुलाई में 94 लाख लोगों को व्यस्त कर लिया, यह आंकड़ा जून में 80 लाख था। अप्रैल 2022 में करीब 232.6 लाख परिवारों ने मनरेगा में काम मांगा था। मई में यह संख्या बढ़कर 307.4 लाख रह गई और उसके बाद यह जून में 316.7 लाख टन और जुलाई 2022 में घटकर 204.3 लाख टन रही।

इस योजना पर 3 अगस्त तक व्यय करीब 40,000 करोड़ रुपये रहा है, जिसका मतलब यह है कि वित्त वर्ष 23 के 73,000 करोड़ रुपये बजट का करीब 55 प्रतिशत पहले 4 माह में खर्च हो चुका है। इसकी वजह से योजना के लिए धन की पर्याप्तता की चिंता बढ़ रही है, जिससे भुगतान में देरी हो सकती है और कृत्रिम रूप से मांग घट सकती है।

जून महीने में भारत में सामान्य से करीब 8 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जो जुलाई में बढ़कर सामान्य से 17 प्रतिशत ज्यादा हो गई है। भारत में आधी कृषि भूमि में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। भारत की सालाना बारिश में मॉनसून की हिस्सेदारी करीब 75 प्रतिशत है। मॉनसून की बहाली से खरीफ फसलों की बुआई पहली बार 15 जुलाई को पिछले साल के स्तर पर पहुंच गई है, हालांकि धान व अरहर का रकबा अभी कम है। इसकी वजह से मनरेगा में काम की मांग कम हुई है।

वहीं एक और घटनाक्रम में नई दिल्ली के जंतर मंतर पर नरेगा संघर्ष समिति के बैनर तले 15 से ज्यादा राज्यों के हजारों की संख्या में मनरेगा मजदूर 3 दिन के प्रदर्शन के लिए जमा हुए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महामारी के बाद मनरेगा में बढ़ी मांग बनी हुई है,  वहीं सरकार इस योजना में कटौती करने में लगी हुई है, साथ ही भुगतान में देरी हो रही है और भुगतान भी तुलनात्मक रूप से कम है।

First Published - August 4, 2022 | 11:16 AM IST

संबंधित पोस्ट