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कांग्रेस: 5 नहीं 10 अगस्त का इंतजार

Last Updated- December 15, 2022 | 3:50 AM IST

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अब अस्पताल से बाहर आ चुकी हैं और राहुल गांधी ने पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला से पार्टी नेताओं को यह बताने को कहा है कि वे आपसी तकरार पर लगाम लगाएं। लेकिन कांग्रेस के भीतर जारी जबानी जंग रोकने के लिए शीर्ष नेतृत्व की तरफ से कोई भी साफ संदेश नहीं आया है। कांग्रेस की मौजूदा हालत के लिए जिम्मेदार लोगों की शिनाख्त को लेकर दोषारोपण जारी है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस के भीतर आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला 10 अगस्त के लिए माहौल बनाने की कवायद है। उस दिन सोनिया गांधी का पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर एक साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है। इस समय पार्टी के भीतर नेतृत्व शून्यता का मुद्दा भी उठ रहा है। राहुल के करीबी लोगों को उम्मीद है कि वह अपना मन बदलेंगे और फिर से पार्टी की कमान संभाल लेंगे। इस तरह कांग्रेस के भीतर इन नेताओं की स्थिति सुरक्षित बनी रहेगी। दरअसल पिछले हफ्ते सोनिया की बुलाई राज्यसभा सदस्यों की बैठक में पार्टी की मौजूदा हालत के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान को लेकर काफी बहस हुई थी। इस दौरान नीतिगत मसलों के साथ ही शख्सियतों से जुड़े मामले भी उठाए गए। ऐसा लगता है कि यह सिलसिला जल्दी थमने वाला नहीं है। उस बैठक में राहुल के करीबी माने जाने वाले राजीव सातव और के सी वेणुगोपाल जैसे कई सांसदों ने कहा कि कांग्रेस की अगुआई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के प्रदर्शन की ही वजह से पार्टी आज इस हाल में है। इस तरह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की  सरकार एवं उसकी नीतियों की आलोचना की गई।
कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से भी कहा कि मनमोहन सिंह का सम्मान करने के बावजूद उनकी राय को तवज्जो देने की जरूरत है। महिला कांग्रेस की प्रमुख सुष्मिता देव ने कहा कि पार्टी के भीतर लोकतंत्र है और नेताओं को आंतरिक मंचों पर खुलकर अपनी बात कहने का अधिकार है। बहरहाल दूसरे धड़े ने फौरन इसका जवाब दिया। मनीष तिवारी ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 10 वर्षों तक सत्ता से बाहर रही। लेकिन उसने एक बार भी वाजपेयी या उनकी सरकार को अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया। दुर्भाग्य से कांग्रेस के भीतर कुछ लोग भाजपा और उसकी अगुआई वाली केंद्र सरकार के बजाय मनमोहन सिंह की संप्रग सरकार पर ही हमले करने लगते हैं। जिस समय एकजुट रहने की जरूरत है, वे बंटे हुए हैं।’ संप्रग सरकार में कनिष्ठ मंत्री रहे मिलिंद देवड़ा ने भी कहा, ‘2014 में पद से हटने के समय मनमोहन सिंह ने कहा था कि इतिहास उनका आकलन करने में नरमी दिखाएगा। क्या उन्होंने कभी यह सोचा भी होगा कि उनकी ही पार्टी के कुछ लोग देश की उनकी सेवा को उनकी मौजूदगी में ही नकारने लगेंगे?’
पार्टी के मुख्यमंत्रियों ने इस पर चुप्पी साधी हुई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे विवाद से खुद को अलग ही रखा है।
पार्टी के भीतर बहस कांग्रेस के बुनियादी दुश्मन को लेकर भी हो रही है। राहुल को कई नेताओं ने यह सुझाव दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बराबरी की कोशिश एक गलती है क्योंकि मोदी की लोकप्रियता चरम पर है। इसके बजाय कांग्रेस को भाजपा और उसकी अगुआई वाली केंद्र सरकार के भीतर मौजूद खामियों की पहचान कर उन पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे नेताओं में आर पी एन सिंह और जयराम रमेश शामिल हैं। ऐसा दिख नहीं रहा कि राहुल उनकी सलाह पर अमल कर रहे हैं।

First Published - August 3, 2020 | 11:28 PM IST

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