facebookmetapixel
100 गीगावॉट लक्ष्य के लिए भारत में परमाणु परियोजनाओं में बीमा और ईंधन सुधारों की जरूरत: एक्सपर्टCII ने बजट 2026-27 में निवेश और विकास बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों का रखा प्रस्तावRBI ने बैंकों को कहा: सभी शाखाओं में ग्राहकों को बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित करें, इसमें सुधार जरूरीसाल 2025 बना इसरो के लिए ऐतिहासिक: गगनयान से भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की उलटी गिनती शुरूदिल्ली देखेगी मेसी के कदमों का जादू, अर्जेंटीना के सुपरस्टार के स्वागत के लिए तैयार राजधानीदमघोंटू हवा में घिरी दिल्ली: AQI 400 के पार, स्कूल हाइब्रिड मोड पर और खेल गतिविधियां निलंबितUAE में जयशंकर की कूटनीतिक सक्रियता: यूरोप ब्रिटेन और मिस्र के विदेश मंत्री से की मुलाकात‘सच के बल पर हटाएंगे मोदी-संघ की सरकार’, रामलीला मैदान से राहुल ने सरकार पर साधा निशानासेमाग्लूटाइड का पेटेंट खत्म होते ही सस्ती होंगी मोटापा और मधुमेह की दवाएं, 80% तक कटौती संभवप्रीमियम हेलमेट से Studds को दोगुनी कमाई की उम्मीद, राजस्व में हिस्सेदारी 30% तक बढ़ाने की कोशिश

संकट पर केंद्र का घातक रुख

Last Updated- December 12, 2022 | 12:22 AM IST

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को कहा कि केंद्र कोयला संकट होने की बात स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने की उसकी नीति देश के लिए घातक साबित हो सकती है। सिसोदिया ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने आज कहा कि कोयला संकट नहीं है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को एक पत्र नहीं लिखना चाहिए था। यह दुखद है कि केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने इस तरह गैर जिम्मेदाराना रुख अपनाया है।’
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि केंद्र सरकार संकट से दूर भागने के लिए बहाने बना रही है। सिसोदिया ने कहा, ‘उन्होंने उस वक्त भी यही चीज किया था जब देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था। उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया था कि ऐसा कोई संकट है। इसके बजाय वे राज्यों को गलत साबित करने की कोशिश करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कोयला संकट बिजली संकट पैदा कर सकता है जो देश की प्रणाली को पूरी तरह से ठप कर सकता है। यह उद्योगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।’   

First Published - October 10, 2021 | 11:15 PM IST

संबंधित पोस्ट