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सांठगांठ के कर्ज पर प्रबंधन से वसूला जाए हर्जाना : सीईए

Last Updated- December 12, 2022 | 7:16 AM IST

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने आज कहा कि मिली भगत के साथ कर्ज बांटने पर कर्जदाताओं और वित्तीय संस्थानों के वरिष्ठ प्रबंधकों से हर्जाना वसूला जाना चाहिए।  
बुनियादी ढांचा क्षेत्र में दबाव वाले कर्ज पर आयोजित उद्योग संगठन फिक्की के एक वेबिनॉर में उन्होंने कहा, ‘वित्तीय क्षेत्रों को अपने कॉर्पोरेट प्रशासन को बेहतर बनाना होगा और प्रत्येक संस्थान और उसके मुखिया को जिम्मेदारी लेनी होगी। बुनियादी ढांचा परियोजनाएं लंबी अवधि की होती हैं, ऐसे में वरिष्ठ प्रबंधन को ऐसी परियोजनाओं के लिए उसके मुताबिक कदम उठाने व बड़ी उधारी के मामले में सचेत रहने की जरूरत है।’
सीईए ने कहा कि एवरग्रीनिंग और जॉम्बिक लोन से असमान पूंजी का आवंटन होता है और इससे बचने की जरूरत है। उन्होंने ऑडिटरों से यह भी कहा कि इस तरह की क्रोनी लेंडिंग को चिह्नित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा आंकड़ों का विश्लेषण करना चाहिए, जिससे कि जवाबदेही तय हो सके। उन्होंने कहा, ‘ऑडिटर रक्षा की पहली कतार में हैं, जिन्हें हर एक कर्ज पर नजर रखने और जॉम्बिक लेंडिंग चिह्नित करने की जरूरत है। इस तरह की घटनाओं को चिह्नित करने के लिे पर्याप्त मात्रा में शोध और आंकड़ों का विश्लेषण है।’
वित्तीय व्यवस्था में खराब कर्ज की समस्या के बारे में उन्होंने कहा कि तमाम ऐसे बड़े कर्ज हैं, जो जरूरी नहीं है कि विश्वसनीय कर्जदारों को दिए जाते हैं, हालांकि सामान्यतया ऐसा होता है, लेकिन बुनियादी ढांचा की उधारी में यह ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में वित्तीय संस्थानों को खासकर इन पहलुओं के मुताबिक काम करने और भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में  नेतृत्त्व प्रदान करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बाहरी वजहों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उन्हें आंतरिक स्थिति देखनी चाहिए कि बुनियादी ढांचा परियोजना कैसी है और उच्च गुणवत्ता के आधार पर पूंजी का आवंटन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘बुनियादी ढांचा क्षेत्र में पूंजी आवंटन उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए और वित्तीय क्षेत्र की इसमें अहम भूमिका है। वित्तीय क्षेत्र को क्रोनी लेंडिंग बहाल करने से बचना चाहिए, जिसकी वजह से उधारी में समस्या आती है और इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है।’

First Published - March 10, 2021 | 12:25 AM IST

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