प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में आज बड़ा फेरबदल किया और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे तथा मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फिर सत्ता दिलाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबिनेट मंत्री बना दिया। मगर मंत्री बनने वालों से ज्यादा हैरत उन नामों पर हुई, जिन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इनमें स्वास्थ्य मंत्री हर्षवद्र्घन, आईटी एवं विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर जैसे नाम शामिल हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शाम को आयोजित समारोह में कुल 15 कैबिनेट मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इनमें सात नाम वे भी हैं, जो अभी तक राज्य मंत्री थे। मंत्रिमंडल में कुल 36 नए चेहरे शामिल हुए हैं और 13 मंत्रियों की छुट्टी हुई है।
समारोह में सबसे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने शपथ ली, जिनके बाद असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल हुए। असम चुनावों के बाद हिमंत विश्व शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सोनोवाल का केंद्र सरकार में आना तय था। कांग्रेस से भाजपा में आए मध्य प्रदेश के धाकड़ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। अपने राज्य में कमलनाथ की सरकार गिराकर एक बार फिर भाजपा को सत्ता में लाने वाले सिंधिया को भी मंत्री पद का तोहफा मिलना तय था।
मगर स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के रूप में खेल मंत्रालय संभाल रहे किरण रिजिजू को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। रिजिजू का रुतबा टोक्यो में ओलिंपिक खेल शुरू होने से ऐन पहले बढ़ाया गया है और इस तरह मोदी ने एक तीर से दो शिकार कर लिए हैं। अरुणाचल प्रदेश के रिजिजू के जरिये मंत्रियों को अच्छे काम का पारितोषिक मिलने का संदेश गया है और पूर्वोत्तर में पार्टी की पकड़ और भी मजबूत होने की उम्मीद भी बढ़ी है।
रिजिजू के अलावा वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर को भी तरक्की मिली है। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर भी बेदाग कामकाज की वजह से कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। पार्टी ने विभिन्न चुनावों का प्रभार संभाल चुके और गृह मंत्री अमित शाह के काफी करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र यादव को भी संगठन से सरकार में शामिल किया है। सर्वोच्च न्यायालय में वकील रह चुके यादव पार्टी के संकटमोचक भी माने जाते हैं। बिजली मंत्री आरके सिंह और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को भी तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है।
राज्यों में होने वाले चुनावों का ध्यान रखते हुए सहयोगी दलों और जातीय समीकरणों को साधने की पूरी कोशिश भी फेरबदल में की गई है। बिहार में भाजपा के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके सिंह कुर्मी समाज से आते हैं। इसी तरह विवादों में घिरी लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति कुमार पारस को शामिल कर पासवान समाज को साथ रखने की कोशिश की गई है। पशुपति बिहार के दिग्गज नेता स्वर्गीय रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं।
उत्तर प्रदेश में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां पार्टी के छोटे सहयोगी दल शिकायत भी करते आ रहे हैं। इसे देखते हुए अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल को राज्य मंत्री का पद दिया गया है। अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया कुर्मी समाज से हैं, जिसके वोट पूर्वांचल में काफी अहम हैं। पूर्वांचल में ही महाराजगंज से सांसद और दिग्गज कुर्मी नेता पंकज चौधरी को भी राज्य मंत्री बनाया गया है। इसी तरह बुंदेलखंड से जालौन के सांसद और अनुसूचित जाति के बड़े नेता भानुप्रताप सिंह वर्मा भी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं। आगरा से सांसद और अन्य पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता सत्यपाल सिंह बघेल को भी मंत्री बनाया गया है। नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी समेत सात महिलाओं को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। साथ ही योग्यता का भी पूरा ध्यान रखा गया है और कई डॉक्टर मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं।