केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज आदर्श किरायेदारी अधिनियम को मंजूरी दे दी। इस अधिनियम का मकसद मकान मालिकों और किरायेदारों के हितों में संतुलन लाना है। इस अधिनियम को अब राज्य और केद्र शासित प्रदेश लागू कर सकते हैं। सरकार ने कहा कि इस अधिनियम के लागू होने के बाद ऐसे मकान मालिक भी अपने घरों को किराये पर देने के लिए प्रेरित होंगे जो पुराने किरायेदारी और किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत अपनी संपत्ति किराये पर देने से हिचकते थे।
नए कानून के तहत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बिना लिखित समझौते के संपत्ति को किराये पर देना अवैध है। इससे किराये वाले मकान के छद्म बाजार को औपचारिक बनाने, खाली संपत्तियों को खोलने, किराये से आमदनी को बढ़ाने और पंजीकरण में प्रक्रियात्मक बाधाओं को कम करने में मदद मिलेगी।
इस कानून के तहत किरायेदारी अवधि के दौरान किरायेदार को बेदखल करने पर प्रतिबंध है वहीं किरायेदार को संपत्ति के मालिक के साथ विवाद के लंबित होने के दौरान नियमित रूप से किराये का भुगतान करना होगा। अप्रत्याशित घटना के मामले में मकान मालिक किरायेदार को मौजूदा किरायेदारी समझौते की शर्तों पर अवधि समाप्त होने की तारीख से एक महीने तक कब्जा अपने पास रखने की अनुमति देगा।
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुमानों के मुताबिक फिलहाल शहरी इलाकों में कुछ 1.1 करोड़ घर खाली पड़े हैं क्योंकि मकान मालिक मौजूदा किरायेदारी और किराया नियंत्रण कानूनों में सुरक्षात्मक उपायों की कमी को मद्देनजर रखते हुए अपनी संपत्तियों को किराये पर देना नहीं चाहते। नए कानून से मकान मालिकों को काफी सुरक्षा मिलेगी जिससे अब वे अपनी संपत्तियों को किराये पर देने के लिए प्रेरित होंगे।
इस कदम का स्वागत करते हुए एनारॉक कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि इस कानून से किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच भरोसे की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। कानून में दोनों पक्षों के दायित्वों को निरूपित किया गया है और इससे देश भर में बंद पड़े मकानों को खोलने में मदद मिलेगी। उनके मुताबिक इस कानून में पहले से अधिक निवेशकों को आकर्षित कर किराये पर दिए जाने वाले मकानों की आपूर्ति पाइपलाइन को हवा देने की क्षमता है।
