भारत में पहली बार मंकीपॉक्स से संक्रमित एक व्यक्ति का पता चलने के एक सप्ताह बाद वैश्विक स्तर पर ऐसे मामलों की संख्या में और वृद्धि हुई है। भारत में भी एक नया मामला सामने आया है। इस बीच यूरोपीय संघ (ईयू) के दवा नियामक ने मंकीपॉक्स के लिए टीकों को मंजूरी देने की अनुशंसा की।
एडॉर्ड मैथ्यू, सलोनी दत्तानी, हन्ना रिची, फियोना स्पूनर और मैक्स रोजर के शोध पर आधारित आवरवर्ल्डइनडेटा डॉट ओआरजी द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार 20 जुलाई तक दैनिक मामलों की कुल संख्या 555 थी। एक महीने पहले की तुलना में वैश्विक आंकड़ों में 208 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। एक महीने पहले मामलों की दैनिक संख्या सात दिनों के औसत आधार पर तकरीबन 180 थी। गुरुवार 14 जुलाई सबसे पहले एक मामला सामने आया था और इसके बाद सोमवार को कथित रूप से दूसरे मामले का पता चला।
दुनिया भर में 14 जुलाई के बाद से सात दिनों के अंदर कुल 3,389 मामले सामने आए हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 15,378 मामलों में से 90 प्रतिशत से अधिक मामले दस देशों के हैं। स्पेन 3,125 मामलों के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है। इसके बाद अमेरिका (2,322), ब्रिटेन (2,137), जर्मनी (2,110) और फ्रांस (1,453) का स्थान है।
अब तक वैश्विक मामलों में भारत की कुल हिस्सेदारी 0.02 प्रतिशत से भी कम है। सरकारी इलाज के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। नए देशों में फैल रही इस बीमारी के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सावधानी बरतने की सलाह दी है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहानोम गेब्रेयेसुस ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था, ‘हमें कुछ देशों में मामलों में कमी के रुझान दिख रहे हैं लेकिन अन्य देशों में अब भी इसमें तेजी दिख रही है। पिछले सप्ताह छह देशों में मंकीपॉक्स का पहला मामला दर्ज किया गया है। इनमें से कुछ देशों में जांच और टीकों तक पहुंच बहुत कम है जिससे इस तरह के मामलों की निगरानी करना और इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो गया है।’
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमन आपात समिति ताजा आंकड़े की समीक्षा करेगी ताकि इस पर विचार किया जा सके कि मंकीपॉक्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपातकालीन स्वास्थ्य संकट बन रहा है या नहीं और संक्रमण रोकने तथा लोगों की जान बचाने के लिए देशों की मदद करने के लिए डब्ल्यूएचओ हरसंभव कदम उठाता रहेगा।
मंकीपॉक्स में मरीजों में जिस तरह के लक्षण दिख रहे हैं उस लिहाज से यह चेचक के समान लगता है। वर्ष 1980 में चेचक के दुनिया से खत्म होने की घोषणा की गई थी। वर्ष 1970 के बाद से मंकीपॉक्स के कई छोटे रूपों का पता चलता रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ज्यादातर मामलों में सामान्य रूप से इलाज के बिना ही सुधार हो जाता है और आम तौर पर दो से चार सप्ताह के बीच लक्षण खत्म हो जाते हैं। इसमें कहा गया है कि गंभीर मामले आमतौर पर बच्चों में अधिक होते हैं। इसके अलावा प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण खराब नतीजे सामने आ सकते हैं।
ग्लोबल डॉट हेल्थ की 19 जुलाई की मंकीपॉक्स 2022 की वैश्विक महामारी विज्ञान की रिपोर्ट के अनुसार जिन मामलों की पुष्टि हुई है, उनमें औसत आयु 41 वर्ष है।