अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल और उनके सहयोगी मंगलवार से दो दिवसीय बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक में ब्याज दरों को लेकर फैसला लिया जाएगा। यह बैठक ऐसे वक्त हो रही है जब अमेरिका पर राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है, व्यापार नीतियों में बदलाव हो रहे हैं और आर्थिक संकेतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
इस हफ्ते खास बात यह है कि फेड की बैठक के साथ-साथ अमेरिका सरकार भी तीन बड़े आर्थिक आंकड़े जारी करेगी—जीडीपी (GDP), रोजगार और महंगाई से जुड़ा आंकड़ा, जिसे फेड खास तौर पर देखता है।
ज्यादातर जानकारों को उम्मीद है कि फेड इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा और उन्हें स्थिर रखेगा। अनुमान जताया जा रहा है कि अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका की आर्थिक गतिविधियों में बढ़त देखने को मिल सकती है, जिसकी मुख्य वजह व्यापार घाटे में तेज गिरावट हो सकती है।
हालांकि, जुलाई महीने में रोजगार की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ सकती है। वहीं, जून महीने की महंगाई दर में मामूली तेजी आने के संकेत हैं।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी, उपभोक्ता खर्च और नौकरियों की गति भी सुस्त
अमेरिका की जीडीपी (GDP) की सरकारी अनुमान रिपोर्ट में इस तिमाही के लिए सालाना आधार पर 2.4% की वृद्धि दिखने की संभावना है, जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था में 0.5% की गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि, बुधवार को जारी होने वाली रिपोर्ट से साफ हो सकता है कि घरेलू मांग और कारोबारी निवेश में अभी भी ज्यादा तेजी नहीं आई है।
ब्लूमबर्ग के एक सर्वे में विश्लेषकों का अनुमान है कि इस तिमाही में उपभोक्ता खर्च केवल 1.5% बढ़ेगा, जो कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से लगातार दो तिमाहियों में सबसे कमजोर प्रदर्शन हो सकता है। साथ ही, कमजोर हाउसिंग मार्केट का असर भी दूसरी तिमाही की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा है।
हफ्ते के अंत में आने वाली जुलाई की जॉब रिपोर्ट से संकेत मिल सकता है कि कंपनियां अब नई भर्तियों को लेकर अधिक सावधानी बरत रही हैं। जून में एजुकेशन सेक्टर की नौकरियों में आई तेजी से जॉब ग्रोथ जरूर मजबूत दिखी थी, लेकिन अब जुलाई में यह रफ्तार कुछ धीमी रह सकती है। अनुमान है कि बेरोजगारी दर बढ़कर 4.2% तक पहुंच सकती है।
प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में भी सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं। निजी क्षेत्र में केवल 1 लाख नई नौकरियों की संभावना जताई गई है, जो बीते आठ महीनों में सबसे धीमा आंकड़ा हो सकता है। इस साल की पहली छमाही में नौकरियों की गति 2024 के औसत की तुलना में कम रही है। साथ ही, नौकरी के मौकों में विविधता की कमी भी दिख रही है। वहीं मंगलवार को आने वाले अलग आंकड़ों से पता चल सकता है कि जून में जॉब ओपनिंग्स में भी गिरावट आई है।
अमेरिका में कुछ फेडरल रिजर्व अधिकारियों ने रोजगार बाजार की कमजोरी को लेकर चिंता जताई है। इनमें दो अधिकारियों ने तो यह तक कहा है कि ब्याज दरों में कटौती पर विचार करने का यह सही समय हो सकता है।
बोर्डरूम के बाहर से भी फेड पर दबाव बढ़ रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चाहते हैं कि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल और उनकी टीम कर्ज की लागत घटाएं, ताकि आम लोगों और बिजनेस को राहत मिल सके।
ब्लूमबर्ग इकॉनॉमिक्स की राय:
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका की इकोनॉमी में उपभोग (खपत) की रफ्तार धीमी पड़ने का खतरा है। जून में खुदरा बिक्री के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे, लेकिन इसकी एक वजह कुछ सामानों की कीमतों में इंपोर्ट टैरिफ की वजह से आई तेजी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस साल जॉब मार्केट और कमजोर हुआ तो इसका सीधा असर खपत पर पड़ेगा।
ट्रंप की आलोचना और पॉवेल की प्रतिक्रिया:
ट्रंप पहले भी पॉवेल पर कई बार निशाना साध चुके हैं। उन्होंने न सिर्फ दरों में कटौती में देरी पर आपत्ति जताई है, बल्कि फेड की वॉशिंगटन स्थित इमारत की मरम्मत पर बढ़ते खर्च को लेकर भी पॉवेल की आलोचना की है।
हालांकि, पॉवेल और अन्य फेड अधिकारी अभी धैर्य बरतने की बात कह रहे हैं। उनका मानना है कि ट्रंप प्रशासन के इंपोर्ट टैरिफ से महंगाई में दोबारा तेजी आ सकती है। हालांकि, इस साल अब तक महंगाई का असर सीमित ही रहा है।
इस हफ्ते दुनियाभर के आर्थिक मोर्चे पर कई अहम घटनाएं होने जा रही हैं, जिनका असर शेयर बाजार से लेकर आम लोगों की जेब तक पर पड़ सकता है।
अमेरिका सरकार शुक्रवार को जून महीने के पर्सनल इनकम और खर्च से जुड़े आंकड़े जारी करेगी। इसमें खास नजर उस कोर महंगाई पर होगी जिसे फेडरल रिजर्व खासतौर पर ट्रैक करता है। रिपोर्ट में अनुमान है कि महंगाई में मामूली तेजी दिख सकती है, जिससे साफ होता है कि अमेरिका में आयात पर लगे टैरिफ का बोझ धीरे-धीरे ग्राहकों तक पहुंच रहा है।
कनाडा में ब्याज दरें स्थिर रहने की उम्मीद
उधर, कनाडा में भी इस हफ्ते बैंक ऑफ कनाडा की बैठक होने वाली है। उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक लगातार तीसरी बार ब्याज दरें 2.75% पर स्थिर रखेगा। इसकी वजह है व्यापार को लेकर जारी अनिश्चितता, कोर महंगाई में चिपचिपाहट और अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन करती अर्थव्यवस्था। बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट भी आएगी, लेकिन अभी यह तय नहीं है कि पिछली बार की तरह इस बार भी अलग-अलग संभावित परिदृश्य दिए जाएंगे या नहीं।
कनाडा की GDP में गिरावट का अनुमान
मई महीने के लिए इंडस्ट्री आधारित GDP और जून का शुरुआती अनुमान आने वाला है, जिसमें दूसरी तिमाही में गिरावट की आशंका जताई जा रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी 1 अगस्त से पहले अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने और प्रांतीय नेताओं ने ज्यादा उम्मीदें नहीं जताई हैं। उनका फोकस सिर्फ अच्छे समझौते पर है, जल्दीबाज़ी में नहीं।
ट्रंप की डेडलाइन पर टिकी दुनिया
वैश्विक स्तर पर भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शुक्रवार तक तय डेडलाइन अहम बन गई है। यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड जैसे देश अब भी अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन रविवार को स्कॉटलैंड में ट्रंप से मुलाकात करेंगी, ताकि किसी समझौते की उम्मीद कायम रहे। हालांकि EU अधिकारियों का कहना है कि अंतिम फैसला पूरी तरह ट्रंप पर निर्भर करेगा।
दूसरे देशों की मौद्रिक नीति और IMF की रिपोर्ट पर नजर
जापान और ब्राजील के सेंट्रल बैंक भी इस हफ्ते दरों को स्थिर रख सकते हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका, चिली, घाना, पाकिस्तान और कोलंबिया में दरों में कटौती की संभावना है। इसके अलावा इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की नई वैश्विक रिपोर्ट, विभिन्न देशों के PMI डेटा, यूरोप के GDP और महंगाई आंकड़े भी इस हफ्ते फोकस में रहेंगे।
एशिया में इस हफ्ते कई बड़ी आर्थिक घोषणाएं, बैंक ऑफ जापान की नीतिगत बैठक पर रहेगी नजर
इस हफ्ते एशिया में केंद्रीय बैंकों और आर्थिक आंकड़ों से जुड़ी कई अहम घोषणाएं होंगी। सबसे बड़ी घोषणा गुरुवार को जापान के केंद्रीय बैंक (बैंक ऑफ जापान) की ओर से आने वाली है। माना जा रहा है कि बैंक अपनी मुख्य ब्याज दर को 0.5% पर स्थिर रखेगा। इस फैसले के बाद गवर्नर काजुओ उएडा की प्रतिक्रिया खास तौर पर अहम होगी, क्योंकि हाल ही में उनके डिप्टी ने कहा था कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते से जापान की आर्थिक उम्मीदों को पूरा होने में मदद मिलेगी। ये बात आगे किसी संभावित ब्याज दर बढ़ोतरी के लिए अहम मानी जा रही है।
ट्रंप की टैरिफ नीति का असर दिखाएंगे व्यापार आंकड़े
इस हफ्ते फिलीपींस, हांगकांग, श्रीलंका, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया जैसे देशों के व्यापार आंकड़े जारी होंगे। इन आंकड़ों से डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का असर भी सामने आएगा। इसके अलावा, इन सभी देशों में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई (Purchasing Managers’ Index) के आंकड़े भी जारी किए जाएंगे, जिससे निर्माण क्षेत्र की स्थिति का आकलन किया जा सकेगा।
चीन के पीएमआई आंकड़ों पर बाजार की नजर
चीन में इस हफ्ते जुलाई महीने के दो अलग-अलग पीएमआई आंकड़े जारी होंगे। बाजार की नजर इस पर होगी कि क्या आधिकारिक आंकड़े लगातार तीसरे महीने तेजी दिखाएंगे और क्या एसएंडपी ग्लोबल का इंडेक्स विस्तार के दायरे में बना रहेगा।
इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, ताइवान और वियतनाम भी शुक्रवार को अपने पीएमआई आंकड़े जारी करेंगे।
ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान की आर्थिक रिपोर्ट्स भी अहम
ऑस्ट्रेलिया में दूसरी तिमाही के उपभोक्ता महंगाई आंकड़े जारी होंगे। अनुमान है कि महंगाई थोड़ी घटी है। अगर ऐसा होता है, तो रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया 12 अगस्त की बैठक में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक बुधवार को अपनी ब्याज दर में कटौती कर सकता है। यह फैसला देश में शुक्रवार को आने वाले नए महंगाई आंकड़ों से पहले लिया जा सकता है। इसी दिन इंडोनेशिया में भी महंगाई के आंकड़े जारी होंगे।
यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका: जीडीपी और महंगाई के आंकों पर रहेगी नजर
यूरोप में इस हफ्ते आर्थिक आंकड़े चर्चा में रहेंगे। ब्लूमबर्ग के एक पोल के अनुसार, विशेषज्ञों को उम्मीद है कि बुधवार को जारी होने वाले आंकड़ों में यूरो ज़ोन की जीडीपी दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में स्थिर रही होगी। इससे पहले पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में अर्थव्यवस्था में 0.6% की बढ़त दर्ज की गई थी।
पहली तिमाही की इस मजबूती का कारण व्यापार में तेजी था, जो डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संभावित वैश्विक आयात शुल्क लगाने की घोषणा से पहले ही कर लिया गया था। इस ‘फ्रंटलोडिंग’ यानी पहले से ज्यादा व्यापार ने आर्थिक वृद्धि को अस्थायी रूप से सहारा दिया।
अब जब व्यापार की वह अस्थायी तेजी खत्म हो चुकी है, दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के ठहराव की आशंका जताई जा रही है।
जर्मनी की इकॉनमी में गिरावट, लेकिन स्पेन की रफ्तार बरकरार; यूरो जोन में महंगाई नियंत्रण में
यूरो जोन की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से जर्मनी की हालत सबसे कमजोर रहने की आशंका है। ताजा अनुमानों के मुताबिक, जर्मनी की इकॉनमी में पिछली तिमाही के मुकाबले 0.1% की गिरावट हो सकती है।
वहीं, स्पेन की इकॉनमी 0.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। फ्रांस और इटली की आर्थिक वृद्धि बेहद मामूली रहने की संभावना है।
इस सप्ताह यूरोपीय यूनियन के छोटे देशों के तिमाही आंकड़े भी सामने आएंगे। इनमें सबसे पहले आयरलैंड सोमवार को अपने आंकड़े जारी करेगा, जो अक्सर यूरो जोन की अर्थव्यवस्था के लिए एक ‘वाइल्ड कार्ड’ साबित होता है।
इस बीच शुक्रवार को आने वाला यूरो जोन का महंगाई डेटा यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) के इस भरोसे को पुख्ता कर सकता है कि अब महंगाई नियंत्रण में है।
जुलाई में कंज्यूमर प्राइसेज 1.9% बढ़ने का अनुमान है, जो जून में दर्ज 2% से कम है और ECB के तय लक्ष्य से भी थोड़ा नीचे है।
कोर महंगाई (जिसमें फ्यूल और फूड जैसे वोलैटाइल आइटम शामिल नहीं होते) के 2.3% पर स्थिर रहने की उम्मीद है।
यूरोप में छुट्टियों का मौसम, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में इस हफ्ते कई सेंट्रल बैंक लेंगे नीतिगत फैसले
इस हफ्ते अधिकतर यूरोप छुट्टियों के मूड में है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) की ओर से केवल एक अधिकारी—स्पेन के जोसे लुइस एस्क्रिवा—सोमवार को सार्वजनिक रूप से बोलेंगे। वहीं, ECB के कंज्यूमर इन्फ्लेशन एक्सपेक्टेशन सर्वे का रिजल्ट मंगलवार को आएगा और बुधवार को वेज ट्रैकर जारी किया जाएगा।
ब्रिटेन में नीति-सन्नाटा, फोकस हाउसिंग डेटा पर
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 7 अगस्त को होने वाले ब्याज दर फैसले से पहले शांत अवधि में प्रवेश कर लिया है। इस दौरान यूके की आर्थिक रिपोर्ट्स मुख्य रूप से रियल एस्टेट से जुड़ी रहेंगी।
अफ्रीका के सेंट्रल बैंक लेंगे बड़े फैसले
अफ्रीकी देशों में इस हफ्ते कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले होने हैं:
लैटिन अमेरिका: चिली में 2025 की पहली कटौती संभव
मेक्सिको की दूसरी तिमाही के शुरुआती आंकड़े बुधवार को जारी हुए, जिनके अनुसार देश की इकोनॉमी में मामूली तिमाही और सालाना ग्रोथ दर्ज की गई है। हालांकि, ट्रंप की व्यापार और टैरिफ नीतियों की वजह से इकोनॉमिक मोमेंटम पर दबाव बना हुआ है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि साल की दूसरी छमाही में मेक्सिको को ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
लैटिन अमेरिका की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मेक्सिको के साथ ही ब्राजील की केंद्रीय बैंक Banco Central do Brasil ने इस हफ्ते अपना रेट फैसला सुनाया। सात बार की लगातार दरों में बढ़ोतरी के बाद अब बैंक ने प्रमुख ब्याज दर Selic रेट को 15% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है।
हालिया आंकड़ों में ब्राजील में महंगाई थोड़ी कम हुई है और निकट भविष्य में भी इसमें नरमी की उम्मीद है। फिर भी, नीति निर्धारकों ने संकेत दिया है कि ब्याज दरें लंबे समय तक स्थिर रह सकती हैं।
वहीं, कोलंबिया में हेडलाइन महंगाई अभी भी देश की सेंट्रल बैंक BanRep की तय सीमा से ऊपर बनी हुई है और कोर महंगाई भी ऊंची बनी हुई है। इसके बावजूद, जून के महंगाई आंकड़ों में थोड़ी राहत को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर इसे 9% कर दिया है।
पेरू में शुक्रवार को जुलाई महीने की महंगाई रिपोर्ट पेश होगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जुलाई की सालाना महंगाई दर जून के 1.69% के आसपास रह सकती है।
(-एजेंसी इनपुट के साथ)