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फेसबुक-ट्विटर पर नजर रख रही ट्रंप सरकार? अमेरिकी लेबर यूनियनों ने खटखटाया अदालत का दरवाजा

लेबर यूनियनों ने ट्रंप सरकार की ओर से सोशल मीडिया निगरानी को बताया निजता और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन

Last Updated- October 17, 2025 | 12:24 PM IST
Trump social media
Representational Image

अमेरिका के कई प्रमुख लेबर यूनियन ने डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। आरोप है कि सरकार कानूनी रूप से वाशिंगटन में रहने वाले लोगों के सोशल मीडिया खातों की निगरानी कर रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक,  मुकदमा दायर करने वालों में यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स, कम्युनिकेशंस वर्कर्स ऑफ अमेरिका, और अमेरिकन फेडरेशन ऑफ टीचर्स जैसे प्रमुख यूनियन शामिल हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत में यह मामला होमलैंड सिक्योरिटी विभाग, स्टेट डिपार्टमेंट, यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज, और इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) के खिलाफ दायर किया है।

अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन

यूनियनों का कहना है कि सरकार द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट की स्कैनिंग- जैसे इजराइल की आलोचना या दक्षिणपंथी कार्यकर्ता चार्ली किर्क की हत्या से जुड़ी पोस्ट- अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन (First Amendment) का उल्लंघन है, जो अभिव्यक्ति, धर्म, प्रेस, सभा और याचिका की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

कम से कम छह लोगों के वीजा उनके सोशल मीडिया पोस्ट के चलते रद्द किए गए हैं। स्टेट डिपार्टमेंट ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा, “अमेरिका उन विदेशियों को होस्ट करने के लिए बाध्य नहीं है जो अमेरिकियों की मौत की कामना करते हैं।”

यूनियनों ने आरोप लगाया है कि ऐसी कार्रवाइयों से लोगों में भय और सेल्फ-सेंसरशिप बढ़ी है, जिससे हजारों लोग सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त करने से डर रहे हैं।

यह भी पढ़ें: टैरिफ विवाद के बीच ट्रंप का बड़ा बयान: शी जिनपिंग के लिए चिंता की जरूरत नहीं, अमेरिका देगा मदद

ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन नीति

यह मुकदमा ट्रंप प्रशासन की कड़ी इमिग्रेशन नीतियों के बीच आया है, जिनमें वीजा नियमों को सख्त करना और H-1B आवेदन पर $100,000 की नई फीस लगाना शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि विदेशी नागरिकों को अमेरिकी नागरिकों जैसी संवैधानिक सुरक्षा नहीं मिलती और वीजा “अधिकार” नहीं बल्कि “विशेषाधिकार” है।

अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी किया मुकदमा

इसी हफ्ते यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी ट्रंप सरकार के खिलाफ H-1B वीजा फीस को लेकर अलग मुकदमा दायर किया है। चैंबर का कहना है कि यह शुल्क इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट का उल्लंघन करता है क्योंकि यह वास्तविक प्रशासनिक लागत से कहीं अधिक है।

चैंबर के एग्जीक्यूटिव वाइस-प्रेसिडेंट नील ब्रैडली ने चेतावनी दी कि यह भारी शुल्क अमेरिकी कंपनियों के लिए ग्लोबल टैलेंट तक पहुंच “असंभव” बना देगा। उन्होंने कहा, “अमेरिकी अर्थव्यवस्था को विकास के लिए अधिक कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता है, न कि कम की।”

इस साल H-1B प्रोग्राम के तहत 4.7 लाख से ज्यादा आवेदन दाखिल किए गए, जबकि हर साल केवल 85,000 वीजा (65,000 सामान्य + 20,000 उच्च डिग्री धारकों के लिए) ही जारी होते हैं।

First Published - October 17, 2025 | 12:24 PM IST

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