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सर्वोच्च न्यायालय में स्विस फार्मा कंपनी एफ हॉफमैन-ला रॉश की याचिका खारिज

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर के पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि यह केवल एक अंतरिम आदेश है

Last Updated- October 17, 2025 | 11:22 PM IST
supreme court

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को स्विस फार्मा कंपनी एफ हॉफमैन-ला रॉश एजी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने नैटको फार्मा को रिस्डिप्लैम की जेनेरिक दवा बनाने और बेचने की अनुमति दे दी थी।

रिस्डिप्लैम मुंह से लेने वाली दवा है। इसका उपयोग दो महीने या उससे अधिक उम्र के रोगियों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) के इलाज में किया जाता है। एसएमए एक दुर्लभ और आनुवंशिक रोग है जो रीढ़ की हड्डी में मोटर न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी और क्षय की समस्या होती है।

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर के पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि यह केवल एक अंतरिम आदेश है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के एकल पीठ और खंडपीठ दोनों ने एक जैसे निष्कर्ष दिए हैं। अदालत ने  उच्च न्यायालय से रॉश की याचिका का शीघ्र निपटारा करने को कहा है।

पीठ ने आदेश में कहा, ‘हम इसलिए हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं हैं कि यह अंतरिम आदेश है और निष्कर्ष भी समान हैं। हमने गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कहा है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि दीवानी आवेदनों में की गई टिप्पणियों का उद्देश्य केवल अपीलों का निपटारा करना है और अंतिम निर्णय पर इसका कोई असर नहीं होगा। उच्च न्यायालय को इस मुकदमे का शीघ्र निपटारा करना चाहिए।’

रॉश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने दलील दी कि उनके पास दवा का पेटेंट है, और नैटको ‘रिवर्स इंजीनियरिंग’ के बाद अधिकारों का दावा कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि रॉश ने लाखों डॉलर निवेश और वर्षों के शोध के बाद दवा विकसित की है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील पर विचार नहीं किया।

First Published - October 17, 2025 | 10:38 PM IST

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