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जुगत लगाकर हारे, दरें नहीं घटीं

Last Updated- December 05, 2022 | 4:37 PM IST


अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष एस बर्नानके और नीति निर्माताओं की तमाम कोशिशों के बाद भी कर्ज लेने वालों के लिए मॉर्गेज की दरें घट नहीं पाई हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 30 वर्षों के लिए स्थाई दर पर दिए जाने वाले मॉर्गेज की दरों में 24 जनवरी के बाद से अब तक लगभग एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।


 


उक्त समय जहां ये दरें 5.5 फीसदी थीं वहीं अब यह बढ़कर 6.37 फीसदी पर पहुंच गई हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि वित्तीय संस्थानों को मॉर्गेज संकट से करीब 195 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है और ऐसे में नुकसान की भरपाई करने के लिए उनके पास दरों में बढ़ोतरी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।


 


सैकरामेंटो में कैलीफोर्निया बिल्डिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रमुख अर्थशास्त्री एलन नेविन के अनुसार, ”मॉर्गेज दरों में कमी नहीं आई है क्योंकि बैंकों को अपने नुकसान से बाहर निकल कर आना है।


 


उन्होंने कहा कि बैंकों को राजस्व बढ़ाना है और इसके लिए सबसे आसान तरीका है ज्यादा से ज्यादा ऋण लोगों को उपलब्ध कराना। उन्होंने कहा कि बैंक अगर 3.5 फीसदी की दर से राशि जुटाते हैं और फिर उसे लेनदारों को छह फीसदी की दर पर देते हैं तो उनके लिए यह मुनाफे का सौदा होगा।


 


पिछले दस वर्षों में अमेरिका में ट्रेजरीज और 30 वर्षों के लिए स्थाई दर पर मॉर्गेज 1.75 फीसदी के करीब रही है, पर पिछले हफ्ते यह बढ़कर 2.83 फीसदी पर पहुंच गई है।


 


फेडरल रिजर्व ने पिछले वर्ष सितंबर के बाद से ब्याज दरों में पांच बार कटौती की है और साथ ही पिछले हफ्ते वित्तीय बाजार को संकट से उबारने के लिए 200 अरब डॉलर देने की भी पेशकश की है।


 


यह अलग बात है कि फेडरल के इन प्रयासों के बावजूद निवेशकों के विश्वास में कोई सुधार देखने को नहीं मिला है। निवेशक अभी भी घरों के लिए कर्ज लेकर उस पैसे से प्रतिभूतियां खरीदने से कतरा रहे हैं।


 


बर्कले में रोजन रियल इस्टेट सिक्युरिटीज एलएलसी के अध्यक्ष केनेथ रोजन ने कहा लेनदार किसी भी प्रकार का ऋण लेने से कतरा रहे हैं। उन्होंने कहा, ”निवेशकों को अब ऋण लेकर कहीं पैसा लगाना जोखिम भरा काम लग रहा है।


 


उन्हें ऋण लेते समय जो कागजात सौंपे जाते हैं उन पर भी विश्वास नहीं रह गया है।पिछले हफ्ते फेडरल ने प्रतिभूति इकाइयों को 200 अरब डॉलर देने की घोषणा की थी क्योंकि भारी तादाद में निजी निवेशक मॉर्गेज समर्थित बांड को खरीदने से कतरा रहे थे।

 जानकारों का मानना है कि तमाम बैंक इस कोशिश में लगे हैं कि वह किस प्रकार अपने राजस्व को बढ़ा सकें। साथ ही वे जल्द से जल्द अनिश्चितता के इस दौर से निकलना चाहते हैं।

First Published - March 17, 2008 | 5:56 PM IST

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