प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization) की सलाना बैठक में भाग लेने कल उज्बेकिस्तान जाएंगे। यह सम्मेलन समरकंद में 15 और 16 सितंबर को होने वाला है। इस सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल होंगे। रूस- यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच होने वाले इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजर है।
क्या है शंघाई सहयोग संगठन
शंघाई सहयोग संगठन देशों का एक समूह है जिसके कुल आठ सदस्य हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से यह दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है जहां यूरोप और एशिया के क्षेत्रफल का 60 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले देश इसके सदस्य हैं। यह संगठन के अंतर्गत दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी और विश्व जीडीपी का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आता है। भारत, पाकिस्तान, चीन और रूस समेट चार मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान इसके सदस्य हैं। इसके अलावा चार अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया चार ऑब्जर्वर मेंबर के रूप में जुड़े हैं।
भारत को मिलेगी अध्यक्षता
इस साल सम्मेलन की अध्यक्षता भारत करेगा। भारत साल 2023 तक इस संगठन का अध्यक्ष बना रहेगा। अगले साल SCO की बैठक भारत में होने वाली है। भारत के लिए इसलिए यह बैठक काफी अहम है। SCO की स्थापना 2001 में हुई थी। संगठन की स्थापना के समय इसके कुल पांच सदस्य थे। साल 2017 में जाकर भारत और पाकिस्तान को इसकी सदस्यता मिली।
चीन के राष्ट्रपति से मिल सकते हैं प्रधानमंत्री मोदी
सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है। 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीनी सेना के झड़प के बाद दोनों देशों के बीच जारी तनाव के बीच मोदी और जिनपिंग के बीच पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी। वार्ता में दोनों देशों के राष्ट्रप्रमुख क्षेत्रीय शांति, सीमा पर जारी विवाद को कम करने और ताइवान के मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं।