पाकिस्तान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को 2026 का नोबेल शांति पुरस्कार देने की सिफारिश की है। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई है।
यह नामांकन एक आधिकारिक पोस्ट के ज़रिए एक्स (पहले ट्विटर) पर साझा किया गया, जिसमें ट्रंप की “सख्त कूटनीतिक पहल” और “निर्णायक नेतृत्व” की तारीफ की गई। पाकिस्तान के मुताबिक, ट्रंप की पहल ने दोनों देशों के बीच हालात को और बिगड़ने से रोका।
इस खबर के आने से ठीक पहले ट्रंप ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा था कि उन्हें कई बार नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए था। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में तनाव कम कराने से लेकर कांगो और रवांडा के बीच संभावित शांति समझौते तक, उन्होंने कई क्षेत्रों में शांति के प्रयास किए हैं। ट्रंप के अनुसार, कांगो-रवांडा संधि 23 जून को साइन की जा सकती है।
उन्होंने यह भी कहा, “मुझे अब तक चार-पांच बार नोबेल मिल जाना चाहिए था। लेकिन वे मुझे नहीं देंगे, क्योंकि वे सिर्फ उदारपंथियों (liberals) को ही यह पुरस्कार देते हैं।”
भारत ने ट्रंप के दावों को किया खारिज
भारत ने ट्रंप के इन दावों को सिरे से नकार दिया है। नई दिल्ली के अधिकारियों ने साफ कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं रही है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच 18 जून को 35 मिनट की बातचीत हुई थी, जिसमें पीएम मोदी ने पाकिस्तान से जुड़े मामलों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को साफ तौर पर खारिज किया।
पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि 10 मई को हुआ संघर्षविराम (ceasefire) सीधे भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों की बातचीत से हुआ था, इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हालिया व्हाइट हाउस यात्रा और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात को सिर्फ एक औपचारिक कूटनीतिक कदम मानना शायद सही नहीं होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मुलाकात के दौरान ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन का विचार भी सामने आया हो सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह पाकिस्तान की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद ट्रंप को खुश करना और संबंधों को मज़बूत करना हो सकता है। हालांकि नोबेल पुरस्कार की बात दूर की कौड़ी लग सकती है, लेकिन यह ट्रंप की खुद को “वैश्विक सौदागर” यानी डीलमेकर के तौर पर पेश करने वाली छवि से मेल खाती है।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हाल ही में ट्रंप से व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात को महज औपचारिकता नहीं माना जा रहा है। कुछ जानकारों का मानना है कि इस दौरान ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने का सुझाव भी दिया गया हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह पाकिस्तान की एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है, जिसमें ट्रंप की वैश्विक ‘डीलमेकर’ वाली छवि को सहलाकर अपना हित साधने की कोशिश की गई है। नोबेल पुरस्कार की बात भले ही अटपटी लगे, लेकिन यह ट्रंप की लंबे समय से चली आ रही छवि और महत्वाकांक्षा से मेल खाती है।