अमेरिका समर्थित क्वाड गठबंधन का लक्ष्य भारत की फार्मास्युटिकल क्षमता में निवेश करना है, क्योंकि यह कोविड टीका उत्पादन में तेजी लाता है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि प्रमुख सामग्री के निर्यात पर अमेरिकी प्रतिबंध इस प्रयास को बाधित कर सकता है। क्वाड गठबंधन, जो अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का समूह है, वैश्विक टीकाकरण का विस्तार करना चाहते हैं और बदले में दक्षिण पूर्व एशिया और दुनिया भर में चीन की बढ़ती टीकाकरण कूटनीति का मुकाबला करना चाहते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता है।
इस गठबंधन का पहला वर्चुअल शिखर सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न होगा। सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि इसमें भारत की तरफ से जो एक प्रमुख आश्वासन मांगा जाएगा वह निर्यात प्रतिबंधों में ढील है। अमेरिका ने पिछले सप्ताह कहा था कि उसने यूएस डिफेंस प्रोडक्शन ऐक्ट लगा दिया है, जो स्थानीय उत्पादन को प्राथमिकता देने के लिए सामग्री के निर्यात को रोकता है और यह दवा निर्माता मर्क को जॉनसन ऐंड जॉनसन के कोविड-19 का टीका विकसित करने में सहायता करने के लिए है।
एक सरकारी सूत्र ने इस बात की जानकारी दी कि भारत ने क्वाड सहयोगियों से कच्चे माल और निवेश दोनों में सहयोग करने की मांग की है और एक बार जब इस पहलू को हल कर लिया जाएगा तो क्वाड गठबंधन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में बड़े पैमाने पर वितरण शुरू कर सकता है। इससे पहले अमेरिका और जापान अमेरिकी दवा निर्माता नोवावेक्स इंक और जेऐंडजे के लिए टीका बनाने वाली भारतीय कंपनियों का वित्त पोषण करेंगे। भारत से कुछ अतिरिक्त आपूर्ति दक्षिण पूर्व एशिया में जाएगी क्योंकि चीन इंडोनेशिया, फिलीपींस और इस क्षेत्र के अन्य देशों को आपूर्ति करने के लिए अपने स्वयं के टीकों को बढ़ावा दे रहा है।
हालांकि दुनिया की सबसे बड़ी टीका विकसित करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कहा है कि वह फिल्टर और बैग जैसी सामग्री के निर्यात पर अमेरिकी प्रतिबंध और उन्हें अमेरिकी कंपनियों के लिए रखने से चिंतित है क्योंकि इससे उत्पादन सीमित हो सकता है। कंपनी की चिंता विशेषकर नोवावैक्स को लेकर है।
ऑक्सफर्ड या ऐस्ट्राजेनेका टीके का जिक्र करते हुए इस मामले से जुड़े एक करीबी सूत्र का कहना हैं कि नोवावैक्स उत्पादन और विस्तार इससे काफी प्रभावित हो सकता है और अगर यह प्रतिबंध कायम रहा तो कोविशील्ड के आने का काम भी धीमा हो सकता है। हालांकि एसआईआई ने इसपर अपनी टिप्पणी नहीं दी हैं।
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर कोई तत्काल टिप्पणी नहीं की हैं। नोवावैक्स और कोविशील्ड के उत्पादन को सिमित करने से जीएवीआई / डब्लूएचओ कोवैक्स पहल को भी धक्का लग सकता है, जो उन दो टीकों पर बहुत अधिक निर्भर है क्योंकि वे गरीब देशों के साथ टीका साझा करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इससे टीकों और संबंधित सामग्री के विनिर्माण, आपूर्ति और खरीद को लेकर बहुत अधिक चिंताएं होंगी। डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने पिछले हफ्ते विश्व बैंक की चर्चा कहा, ‘टीके के निर्माण के लिए, शीशियों, प्लास्टिक और स्टॉपर्स जैसे जरूरी सामग्री की कमी है। हमें इन कच्चे माल के लिए वैश्विक समझौते और समन्वय की आवश्यकता है – निर्यात प्रतिबंध करने की नहीं।’
भारत की बायोलॉजिकल-ई ने प्रति वर्ष अपने टीके की 60 करोड़ खुराक निर्माण के संभावित अनुबंध के लिए जेऐंडजे के साथ समझौता किया है। उन्होंने एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन उत्पादन की मात्रा पर सहमति नहीं दी गई है।
भारत वैश्विक स्तर पर उत्पादित सभी टीकों का 60 प्रतिशत से अधिक का उत्पादन करता है और यहां की कंपनियों ने प्रति वर्ष 3 अरब से अधिक कोविड टीके बनाने का वादा किया है। अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस सप्ताह बताया कि क्वाड पहल का उद्देश्य विनिर्माण बैकलॉग को कम करना, टीकाकरण को गति देना और कोरोनोवायरस म्यूटेशन को हराना है।