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म्यांमार में सैन्य तख्तापलट, सू ची हिरासत में

Last Updated- December 12, 2022 | 8:52 AM IST

म्यांमार में सेना ने सोमवार को तख्तापलट कर दिया और शीर्ष नेता आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया। लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ रहे इस दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र के लिए इस उलटफेर को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। पांच दशकों तक सैन्य शासन में रहे इस देश में सैन्य तख्तापलट की दुनिया के विभिन्न देशों और संगठनों ने निंदा की है और हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की मांग की है।
सेना के स्वामित्व वाले ‘मयावाडी टीवी’ ने सोमवार सुबह घोषणा की कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। इस घोषणा के दौरान सेना के तैयार किए संविधान के उस हिस्से का हवाला दिया गया, जो राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में देश का नियंत्रण सेना को अपने हाथों लेने की इजाजत देता है। उसने कहा कि तख्तापलट की वजह पिछले वर्ष नवंबर में हुए चुनावों में धोखाधड़ी के सेना के दावों पर कोई कदम नहीं उठाना तथा कोरोनावायरस संकट के बावजूद चुनाव स्थगित करने में सरकार की विफलता है। सैन्य तख्तापलट की आशंका कई दिनों से बनी हुई थी। सेना ने अनेक बार इन आशंकाओं को खारिज किया था लेकिन देश की नई संसद का सत्र सोमवार को आरंभ होने से पहले ही उसने यह कदम उठा लिया। म्यांमार 1962 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग था तथा यहां पांच दशक तक सैन्य शासन रहा। हाल के वर्षों में लोकतंत्र कायम करने की दिशा में आंशिक लेकिन अहम प्रगति हुई थी लेकिन आज हुए तख्तापलट से इस प्रक्रिया को खासा झटका लगा है। सू ची के लिए तो यह और भी बड़ा झटका है जिन्होंने लोकतंत्र की मांग को लेकर वर्षों तक संघर्ष किया, वर्षों तक वह नजरबंद रहीं और अपने प्रयासों के लिए उन्हें नोबल शांति पुरस्कार भी मिला।
सू ची की पार्टी नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के प्रवक्ता मायो यंट ने ऑनलाइन समाचार सेवा ‘द इरावेडी’ को बताया कि सू ची और अध्यक्ष के अलावा, पार्टी की केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्यों, इसके कई सांसदों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी हिरासत में ले लिया गया। देश में टेलीविजन सिग्नल बाधित हो गए हैं और देश के अन्य हिस्सों में फोन सेवाएं भी ठप है। हालांकि कई क्षेत्रों में लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर पा रहे हैं। इस बीच म्यांमार की सेना ने घोषणा की है कि वह सोमवार को घोषित एक साल के आपातकाल के बाद देश में नए सिरे से चुनाव कराएगी। घोषणा में कहा गया है कि एक बार चुनाव होने के बाद सेना जीतने वाले को सत्ता की बागडोर सौंप देगी। सेना के कदमों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचना हो रही है।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि म्यांमार की स्टेट काउंसलर सू ची एवं अन्य अधिकारियों समेत सरकार के नेताओं को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने की घटना से अमेरिका बेहद चिंतित है। ब्लिंकेन ने एक बयान में कहा, ‘हमने बर्मा की सेना से सभी सरकारी अधिकारियों और नेताओं को रिहा करने का आह्वान किया है और 8 नवंबर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हुए चुनावों में बर्मा की जनता के फैसले का सम्मान करने को कहा है। अमेरिका लोकतंत्र, स्वतंत्रता, शांति एवं विकास के आकांक्षी बर्मा के लोगों के साथ है। सेना को निश्चित रूप से इन कदमों को तुरंत पलटना चाहिए।’ उन्होंने अपने बयान में म्यांमार के पुराने नाम बर्मा का इस्तेमाल किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी सू ची तथा अन्य नेताओं को सेना द्वारा हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की तथा सत्ता सेना के हाथों में जाने पर चिंता जताई। गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘म्यांमार में नई संसद का सत्र आरंभ होने से पहले स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची, राष्ट्रपति यू विन मिंत तथा अन्य राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लेने के कदम की महासचिव कड़ी निंदा करते हैं।’ उन्होंने इसे म्यांमार में लोकतांत्रिक सुधारों के लिए एक बड़ा झटका बताया। कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक फिल्मकार मिन तिन को को ग्यी, लेखक माउंग थार चो तथा 1988 में छात्र आंदोलनों का चेहरा रहे को को ग्यी तथा मिन को नाइंग को भी हिरासत में लिया गया है। हालांकि उन्हें हिरासत में लेने की खबर की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है।
सेना के टीवी चैनल पर कहा गया कि कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग देश के प्रभारी होंगे तथा उप राष्ट्रपति मिंट स्वे को कार्यकारी राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। स्वे पूर्व जनरल हैं और 2007 में उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं के खिलाफ बर्बर कार्रवाई की थी। पिछले वर्ष के चुनाव के बाद सोमवार को संसद का पहला सत्र आयोजित होने वाला था। म्यांमार की सेना ने बाद में घोषणा की कि वह एक साल के बाद देश में नए सिरे से चुनाव कराएगी। घोषणा में कहा गया है कि एक बार चुनाव होने के बाद सेना जीतने वाले को सत्ता की बागडोर सौंप देगी। सू ची की नैशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी पार्टी ने पिछले साल नवंबर में हुए आम चुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी। सू ची (75) देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं और सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं थीं।     

भारत ने चिंता व्यक्त की
भारत ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और शीर्ष नेताओं को हिरासत में लिए जाने को लेकर सोमवार को ‘गहरी चिंता’ व्यक्त करते हुए कहा कि उसने उस देश में सत्ता के लोकतांत्रिक तरीके से हस्तांतरण का हमेशा समर्थन किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत म्यांमार में हालात पर निकटता से नजर रख रहा है। मंत्रालय ने म्यांमार के घटनाक्रम पर ‘गहरी चिंता’ जताते हुए कहा ‘भारत म्यांमार में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया का हमेशा समर्थक रहा है।’ उसने एक बयान में कहा, ‘हमारा मानना है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। हम हालात पर निकटता से नजर रख रहे हैं।’ 

First Published - February 2, 2021 | 12:50 AM IST

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