भारत और घाना ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 6 अरब डॉलर करने पर सहमति व्यक्त की है। इस संबंध में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा के बीच अकरा में गहन चर्चा हुई। अधिकारियों ने संकेत दिया कि कारोबार में इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा दुर्लभ खनिजों के आयात से आएगा।
भारत, घाना के अग्रणी व्यापारिक भागीदारों में से एक है। वर्ष 1957 में स्वतंत्रता तक गोल्ड कोस्ट के रूप में जाना जाने वाला घाना व्यापक सोने के भंडार और अन्य खनिज संपदा का मालिक है। यह भारत के साथ अधिशेष व्यापार संतुलन बनाए रखता है, क्योंकि भारत वहां से भारी मात्रा में सोने का आयात करता है। इस पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र से होने वाले कुल आयात में सोने की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है।
मोदी और महामा ने अपने देशों के बीच व्यापारिक वस्तुओं में विविधता लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा घाना की पहली यात्रा में मोदी ने देश के कृषि और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों के लिए पूरे समर्थन का वादा किया। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) डम्मू रवि ने अकरा में कहा, ‘नेताओं ने सहयोग के कई अन्य क्षेत्रों पर चर्चा की। दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा बेहद खास रही।’
मोदी की एक दशक में अपनी सबसे लंबी पांच देशों की विदेश यात्रा में घाना भी एक पड़ाव है। यह यात्रा दुर्लभ खनिजों के आयात और प्रसंस्करण के लिए साझेदारी बनाने पर केंद्रित है। त्रिनिदाद और टोबैगो सहित नामीबिया, अर्जेंटीना और ब्राजील के साथ भी वार्ताएं इन्हीं मुद्दों पर केंद्रित रहने की संभावना है। भारत फिलहाल इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व और जबरदस्ती की रणनीति से चिंतित है और अन्य देशों को विकल्प के रूप में खड़ा करने का प्रयास कर रहा है।
मोदी की वर्तमान यात्रा विदेश में आठ दिनों का एक दुर्लभ विस्तार है। प्रधानमंत्री मोदी इसी तरह लंबी यात्रा पर जुलाई 2015 में गए थे, जब उन्होंने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस और पांच मध्य एशियाई गणराज्यों सहित छह देशों का दौरा किया था। नामीबिया की उनकी यात्रा 27 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। इसी तरह अर्जेंटीना में कोई भारतीय प्रधानामंत्री 57 साल बाद जा रहा है।
मोदी और महामा द्वारा एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय कंपनियां इन संसाधनों की खोज और खनन में सहयोग करेंगी। नामीबिया में भारतीय निवेश लगभग 80 करोड़ डॉलर है, जो मुख्य रूप से जस्ता और हीरे के प्रसंस्करण जैसे खनिजों में है। रवि ने सोमवार को कहा था, ‘नामीबिया एक बहुत ही संसाधन-समृद्ध देश है। इसमें यूरेनियम, तांबा, कोबाल्ट, बड़ी संख्या में दुर्लभ खनिज, लीथियम, ग्रेफाइट, टैंटलम जैसे प्राकृतिक संसाधन हैं। इन सभी में हमारी गहरी रुचि है।’ भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, जिनमें खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (काबिल) और नैशनल मिनरल डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन शामिल हैं, पूरे महाद्वीप में अवसरों की खोज कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी की घाना और नामीबिया दोनों की यात्रा बहुत महत्त्वपूर्ण है।’
एमईए में सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने कहा कि 8 जुलाई को ब्राजील की मोदी की द्विपक्षीय यात्रा भी खनन और दुर्लभ खनिजों पर केंद्रित होगी। मोदी 4 और 5 जुलाई को अर्जेंटीना में रहेंगे। बुधवार को नई दिल्ली से रवाना होने से पहले मोदी ने कहा कि अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई के साथ उनकी चर्चा अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ ऊर्जा और दुर्लभ खनिजों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर केंद्रित होगी।
अर्जेंटीना के पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शेल गैस भंडार और चौथा सबसे बड़ा शेल तेल भंडार है, साथ ही पारंपरिक तेल और गैस के पर्याप्त भंडार भी हैं। इसमें लीथियम, तांबा और अन्य दुर्लभ तत्वों के समृद्ध भंडार भी हैं। भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी काबिल ने 2024 से देश में कई रियायतें हासिल की हैं।
कुमारन ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि चिली और बोलीविया के साथ अर्जेंटीना तथाकथित लीथियम त्रिकोण का हिस्सा है और भारत लीथियम, मोलिब्डेनम और अन्य प्रमुख संसाधनों के लिए खनन अधिकार प्राप्त करने के प्रयास में उन तीन देशों के साथ-साथ पेरू से भी बातचीत कर रहा है। काबिल और कोल इंडिया लिमिटेड के बीच भारतीय पीएसयू ने अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में चार रियायतें हासिल कर ली हैं। भारतीय फर्म कैमेन के साथ काम कर रही हैं, जो एक स्थानीय प्रांतीय पीएसयू है, जो साइटों को विकसित करने, लीथियम निकालने, इसे परिष्कृत करने और इसे भारत भेजने के लिए काम कर रही है। कुमारन ने कहा कि भारतीय निजी कंपनियां भी अर्जेंटीना के दुर्लभ खनिज क्षेत्र में अवसरों की खोज कर रही हैं।
गुरुवार शाम को, मोदी अकरा से त्रिनिदाद और टोबैगो के लिए रवाना हो गए, जो उनकी पांच देशों की यात्रा का दूसरा पड़ाव है।