US Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत और रूस के आर्थिक संबंधों की आलोचना की और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को “डेड” बताया है और रूसी राजनेता दिमित्री मेदवेदेव को अमेरिका को उकसाने के खिलाफ चेतावनी दी है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट करते हुए कहा, “मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी डेड इकॉनमीज को साथ नीचे ले जा सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिका ने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है क्योंकि नई दिल्ली ने आयात शुल्क बहुत ऊंचा रखा है।
“भारत के टैरिफ बहुत अधिक हैं, दुनिया में सबसे अधिक में से एक,” ट्रंप ने कहा- यह शिकायत उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी कई बार दोहराई थी।
ट्रंप ने रूस के साथ किसी भी महत्वपूर्ण व्यापार संबंध से इनकार करते हुए कहा, “रूस और अमेरिका के बीच लगभग कोई व्यापार नहीं होता। इसे ऐसे ही रहने दें।”
साथ ही उन्होंने मेदवेदेव को चेताते हुए कहा, “मेदवेदेव, जो रूस के असफल पूर्व राष्ट्रपति हैं और खुद को अब भी राष्ट्रपति समझते हैं, उन्हें अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए।”
अमेरिका का भारत पर 25% शुल्क लगाने का ऐलान, ट्रंप बोले- रूस से ईंधन खरीद पर भी लगेगा ‘जुर्माना’
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि 1 अगस्त से अमेरिका भारत से आने वाले उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाएगा। इसके साथ ही उन्होंने रूस से ईंधन की खरीदारी को लेकर भारत पर ‘जुर्माना’ लगाने की बात भी कही है। इससे पहले अप्रैल में भी ट्रंप ने भारत पर 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी।
वर्तमान में अमेरिका, भारत से आयात होने वाले सामानों पर सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (MFN) के तहत लगने वाले शुल्क के अतिरिक्त 10 फीसदी बुनियादी शुल्क भी वसूलता है। ट्रंप के ताजा बयान से साफ है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और गहराने वाला है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब भारत और अमेरिका के बीच पांच दौर की गहन बातचीत के बावजूद 1 अगस्त से पहले कोई अंतरिम व्यापार समझौता नहीं हो पाया है। अमेरिका पहले ही अपने सभी व्यापारिक साझेदारों के लिए देश-विशिष्ट जवाबी शुल्क लागू करने की समयसीमा 1 अगस्त तय कर चुका है।
डॉनल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर कहा, ‘भारत हमारा मित्र है लेकिन बीते वर्षों में हमने उनके साथ कम व्यापार किया है क्योंकि वे बहुत ऊंचे शुल्क लगाते हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं। उनके यहां गैर-शुल्कीय व्यापार बाधाएं भी सबसे कठोर हैं। भारत हमेशा अपने सैन्य उपकरण रूस से खरीदता रहा है और वह रूस-चीन के साथ मिलकर रूसी ईंधन का बड़ा खरीदार भी है, जबकि दुनिया चाहती है कि रूस यूक्रेन में हत्याएं बंद करे। यह ठीक नहीं है।’
उन्होंने आगे कहा कि भारत को अब 1 अगस्त से 25 फीसदी शुल्क देना होगा और रूस से ईंधन खरीद पर उसे ‘जुर्माना’ भी भरना पड़ेगा।
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित अंतरिम समझौते को फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने साल के अंत तक अंतिम रूप देने की सहमति दी थी। यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार करार का पहला चरण माना जा रहा था। भारत के अधिकारियों ने अब तक संकेत दिया था कि बातचीत जारी है और इसका अगला दौर अगस्त के दूसरे पखवाड़े में नई दिल्ली में होने की संभावना है।
हालांकि, अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत कृषि और वाहन क्षेत्र से जुड़े शुल्कों पर असहमति के चलते समझौते के लिए तैयार नहीं हुआ। भारत इस मामले में सतर्क रुख अपना रहा है और जल्दबाजी में ऐसा कोई समझौता नहीं करना चाहता जिससे उसे कोई ठोस फायदा न मिले।
फिलहाल, वाणिज्य विभाग ट्रंप की घोषणा के प्रभावों का गंभीरता से विश्लेषण कर रहा है। अधिकारियों की ओर से इस पर तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अब नजर इस पर टिकी है कि आगामी दौर की बातचीत में किस तरह की प्रगति होती है।