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भारत आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को झटका देने के लिए तैयार: सिंधु जल संधि स्थगित, FTF को मनाने की तैयारी

विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों का मानना है कि आने वाले दिनों में भारत की तरफ से कुछ और 'नॉन-काइनेटिक' या 'गैर-लड़ाकू' उपाय अपनाए जा सकते हैं।

Last Updated- May 06, 2025 | 8:34 PM IST
Pakistan
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत युद्ध के बिना ही पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके लिए सिंधु जल संधि को स्थगित करने, चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पानी का प्रवाह कम करने, आयात पर प्रतिबंध लगाने और बंदरगाहों पर पाकिस्तानी जहाजों की आवाजाही रोकने जैसे कई कदम उठाए गए हैं। यही नहीं, अब भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से उसे दिए जाने वाले 1.3 अरब डॉलर के ऋण को भी रुकवाने के प्रयास करेगा। इस ऋण पर 9 मई को वाशिंगटन में होने वाली बैठक में विचार हो सकता है। इस्लामाबाद के साथ जुड़ाव पर विश्व बैंक जैसी वैश्विक संस्थाओं और ऋणदाताओं को सतर्क करने की भी योजना बनाई जा रही है। एक और नॉन-काइनेटिक कदम उठाते हुए भारत वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण पर नजर रखने वाली 39 देशों की संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) को पाकिस्तान को दोबारा ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने के लिए मनाने की कोशिश करेगा। भारत इस संस्था का सदस्य है, जबकि पाकिस्तान नहीं है।

विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों का मानना है कि आने वाले दिनों में भारत की तरफ से कुछ और ‘नॉन-काइनेटिक’ या ‘गैर-लड़ाकू’ उपाय अपनाए जा सकते हैं। कोशिश की जाएगी कि पश्चिम एशिया में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे कुछ मित्र देश इस्लामाबाद को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोक दें। भारत की ओर से लगातार ऐसे उपाय किए जा रहे हैं या कदम उठाने पर विचार किया जा रहा है, जिनसे आतंक को शह देने वाले इस पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था को कड़ी चोट पहुंचाएं। इनमें कृषि क्षेत्र भी शामिल है।

दिलचस्प बात यह है कि रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने अपने 2024-25 के कार्यकाल के दौरान हाइब्रिड युद्ध में सशस्त्र बलों की तैयारी का आकलन करने के लिए साइबर, युद्धक और गैर-युद्धक एवं एंटी-ड्रोन क्षमताओं समेत 17 विषयों का अध्ययन किया था। समिति की इसी साल मार्च में पेश की गई रिपोर्ट में युद्ध लड़ने में इस्तेमाल की जाने वाली ड्रोन, अंतरिक्ष, साइबरस्पेस जैसी प्रौद्योगिकी में आए बदलाव एवं युद्धक तथा गैर-युद्धक उपायों के इस्तेमाल पर जोर दिया था।

सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला

भारत द्वारा 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को स्थगित करने का मतलब पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति को तत्काल बंद करना नहीं है। लेकिन, महत्त्वपूर्ण जल और बाढ़ से संबंधित जानकारी को रोकने से इसके जल प्रबंधन पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब भारत से होकर पाकिस्तान में बहने वाली नदियों में शुष्क महीनों के दौरान जल स्तर कम हो जाता है, तो इससे पाकिस्तान की कृषि योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। भारत की तरह ही पाकिस्तान में धान, कपास और मक्का मुख्य खरीफ फसलें हैं।

पाकिस्तान में लगभग 1 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। इसमें से वह लगभग 30 से 40 लाख टन का निर्यात करता है। पिछले साल नवंबर से पाकिस्तान ने लगभग 25.5 लाख टन चावल का निर्यात किया है। पानी की कमी से चावल की फसल प्रभावित होगी जिसका सीधा असर उसके निर्यात पर पड़ सकता है। 

प्रमुख व्यापार नीति विश्लेषक और ‘बासमती राइस: द नैचुरल हिस्ट्री ज्योग्राफिकल इंडिकेशन’ नामक पुस्तक के लेखक एस चंद्रशेखरन कहते हैं, ‘पाकिस्तान की कृषि जीडीपी का लगभग 40-45 प्रतिशत पशुधन क्षेत्र से आता है। पानी की कमी के कारण यदि धान और मक्का का उत्पादन प्रभावित हुआ, तो इसका सीधा असर पशु चारे की किल्लत के रूप में भी सामने आएगा।’ इसी प्रकार 2025-26 के सीजन में इसका वार्षिक गेहूं उत्पादन भी लगभग 40 लाख टन घटकर लगभग 270 लाख  टन रह सकता है। कई रिपोर्टों के अनुसार इसकी राज्य-संचालित अनाज प्रबंधन एजेंसी, पाकिस्तान एग्रीकल्चरल स्टोरेज एंड सर्विसेज कॉरपोरेशन बंद होने के कगार पर है।

पाकिस्तान में 2017-2020 तक भारत के अंतिम उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सिंधु जल संधि को स्थगित करना भारत की ओर से गंभीर संकेत है। बिसारिया ने कहा, ‘पाकिस्तान में लोग इसके प्रभावों को लेकर जरूर स्वयं से एवं अपनी सेना से सवाल करेंगे।’ इस्लामाबाद में वर्ष 2009 से 2013 तक भारत के दूत रहे शरत सभरवाल के अनुसार, ‘सिंधु जल संधि से भारत के पीछे हटने से पाकिस्तान में अनिश्चितता और चिंता का महौल है।’ भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ कहते हैं, ‘सिंधु समझौते से बाहर निकलने से भारत कुछ पानी बचा सकता है जो बदले में पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से चले आ रहे जल विवादों को हल करने में मदद कर सकता है।’ सभरवाल का कहना है कि भारत की कोशिश हो कि एफएटीएफ पाकिस्तान को दोबारा ग्रे सूची में डाल दे, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्त जुटाने में दिक्कत पेश आए। इससे पहले 2018 से 2022 तक पाकिस्तान इस स्थिति का सामना कर चुका है।

 

 

First Published - May 5, 2025 | 10:48 PM IST

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