भारत और चीन के बीच तनाव कम होने के संकेतों के बीच दोनों देशों के रिश्तों में सुधार होता नजर आ रहा है। दोनों एशियाई देशों के अमेरिकी कारोबारी जंग में उलझे होने की भी इसमें भूमिका है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते कायम होने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर गत एक अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बधाइयों का आदान प्रदान हुआ। भारत चीन को मान्यता देने वाले शुरुआती देशों में शामिल है।
गत अक्टूबर में रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर बैठक के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात हुई थी। पांच साल पहले गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी। उस घटना में कम से कम 24 भारतीय और चीनी सैनिक मारे गए थे। तब से कई दौर की सैन्य और कूटनयिक वार्ता हो चुकी है।
मोदी ने मार्च में एक अमेरिकी पॉडकास्ट में कहा था कि भारत और चीन 2020 के पहले के हालात बनाने के लिए काम कर रहे हैं। मुर्मू को भेजे अपने संदेश में शी ने कहा कि चीन-भारत रिश्तों को आगे बढ़ाना सही चयन था। मंगलवार को दिल्ली स्थित चीन के दूतावास ने एक समारोह का आयोजन भी किया जहां केक काटा गया और विदेश सचिव विक्रम मिस्री और भारत में चीन के राजदूत शू फेइहॉन्ग ने भाषण दिए। दोनों पक्षों ने मिलकर काम करने की इच्छा जताई। मिस्री ने कहा कि 75वीं वर्षगांठ ने द्विपक्षीय रिश्तों को नए सिरे से तैयार करने का अवसर मुहैया कराया है।
चीन को उम्मीद है कि मोदी इस वर्ष ठंड के मौसम में तिआनजिन में शांघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में शिरकत करेंगे।
भारत और चीन सैद्धांतिक तौर पर सीधी उड़ानें बहाल करने के लिए सहमत हो गए हैं। इन उड़ानों को 2020 में चीन की शून्य कोविड नीति के तहत औश्र उसी जून में सीमा पर हुई झड़प के बाद स्थगित कर दिया गया था। दोनों पक्षों ने नदी जल संबंधी डेटा साझा करने पर भी बातचीत की।
अधिकारियों के मुताबिक दोनों देशों के नागर विमानन मंत्री हवाई सेवा समझौतों पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन सीधी उड़ानें बहाल होने में अभी समय लग सकता है। चीनी दूतावास के मुताबिक चीन ने इस वर्ष अब तक 70,000 भारतीयों को वीजा प्रदान किया है। परंतु कैलाश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को लेकर कोई अधिसूचना नहीं जारी की गई है। दोनों देशों ने इन गर्मियों में भारतीयों के लिए इस तीर्थ को खोलने पर सहमति बनाई थी।
पत्रकार वीजा का मुद्दा अनसुलझा है। चीन की सरकार ने जहां 2023 में अधिकांश भारतीय मीडिया को वीजा नहीं जारी किया था वहीं अब उसने परस्पर वीजा जारी करने की इच्छा जताई है। भारत सरकार जिसने एक समय चीनी मीडिया को असंगत अनुपात में वीजा जारी किए थे, उसने नए सिरे से कोइ अभिरुचि नहीं दिखाई है। विदेश नीति विश्लेषकों का कहना है कि सीमा पर अभी भी अविश्वास की स्थिति है और ‘अमेरिकी कारक’ भारत-चीन संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
भारत के पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन के मुताबिक चीन की सेना और विदेश मंत्री वांग यी के वक्तव्यों ने दिखाया है कि चीन का रुख सकारात्मक है लेकिन जहां तक सीमाओं की बात है, रुख में कोई उल्लेखनीय बदलाव अभी सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अतीत की तरह जवान वापस बैरकों में नहीं गए हैं। गौरतलब है कि 1962 की जंग के बाद गलवान झड़प दोनों देशों के बीच की सबसे गंभीर लड़ाई थी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चीन अध्ययन के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा कि सैनिक पीछे हट गए हैं लेकिन वे वास्तविक नियंत्रण रेखा से कुछ ही दूरी तक हटे हैं। वहां एकत्रित सैन्य हथियारों में से ज्यादातर यथास्थिति हैं। उन्होंने कहा कि सामरिक स्तर पर अनिश्चितता बरकरार है।
एक अधिकारी के मुताबिक दोनों देशों ने सीमा के कुछ हिस्से में संयुक्त गश्त आरंभ की है। बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 100 से अधिक देशों और क्षेत्रों से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ की घोषणा कर दी। इसमें चीन पर 34 फीसदी का नया शुल्क लगाकर कुल टैरिफ 54 फीसदी कर दिया गया। भारत पर 27 फीसदी का टैरिफ लगाया गया है। सरन ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा लेकिन चीन और भारत के लिए बेहतर होगा कि वे इस अनिश्चित समय में मिलकर काम करें।’ कोंडापल्ली ने भी कहा कि ट्रंप टैरिफ दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित कर रहा है। चीन, अमेरिका से भी आगे भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच 118.4 अरब डॉलर का कारोबार हुआ जिसमें भारत का घाटा करीब 85 अरब डॉलर था।