facebookmetapixel
ED ने Reliance Power के CFO को ₹68 करोड़ फर्जी बैंक गारंटी केस में गिरफ्तार कियाBuying Gold On Diwali: सोना-चांदी में निवेश के लिए ETFs या FoFs? एक्सपर्ट्स ने बताया क्या है बेहतर विकल्पटाटा संस की लिस्टिंग से मजबूत होंगे ट्रस्ट्स और शेयरधारक: एसपी समूह का बयानUS Tariffs: अमेरिका-चीन में फिर भड़का ट्रेड वॉर, ट्रंप ने लगाया 100% टैरिफEditorial: टिकाऊ कर व्यवस्था से ही बढ़ेगा भारत में विदेशी निवेशपीएसयू के शीर्ष पदों पर निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों का विरोधपहले कार्यकाल की उपलब्धियां तय करती हैं किसी मुख्यमंत्री की राजनीतिक उम्रवित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के दौरान प्रतिभूतियों में आई तेजीलक्जरी ईवी सेगमेंट में दूसरे नंबर पर जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडियाअगले तीन साल के दौरान ब्रिटेन में 5,000 नई नौकरियां सृजित करेगी टीसीएस

भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त व अन्य अधिकारियों को बुलाया; कनाडा के छह राजनयिक निष्कासित

सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से भारतीय राजनयिकों को जोड़ने के कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए भारत ने यह कार्रवाई की है।

Last Updated- October 15, 2024 | 6:11 AM IST
Trudeau condemns attack on Canada temple; High Commission issues statement ट्रूडो ने कनाडा के मंदिर पर हमले की निंदा की; उच्चायोग ने जारी किया बयान

भारत ने सोमवार को कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया तथा कनाडा से अपने उच्चायुक्त और ‘‘निशाना बनाए जा रहे’’ अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को वापस बुलाने की घोषणा की। सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से भारतीय राजनयिकों को जोड़ने के कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए भारत ने यह कार्रवाई की है।

भारत द्वारा उच्चायुक्त संजय वर्मा और कुछ अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्णय कनाडा के प्रभारी राजदूत स्टीवर्ट व्हीलर्स को विदेश मंत्रालय में तलब किए जाने के कुछ ही समय बाद आया। व्हीलर्स को स्पष्ट रूप से संदेश दिया गया कि भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को निराधार तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।

अमेरिकी अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने कनाडा के कुछ अधिकारियों का नाम जाहिर किए बिना उनके हवाले से खबर प्रकाशित की है कि कनाडा ने सोमवार को छह भारतीय राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है जिनमें वर्मा और टोरंटो में वाणिज्य दूतावास के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। समझा जाता है कि वर्मा और अन्य अधिकारी अगले कुछ दिन में कनाडा से लौट आएंगे।

विदेश मंत्रालय ने देर शाम जारी बयान में कहा कि भारत ने प्रभारी राजदूत व्हीलर्स और उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट सहित कनाडा के छह राजनयिकों को 19 अक्टूबर की रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने को कहा है। निष्कासित किए गए अन्य राजनयिकों में मैरी कैथरीन जोली, इयान रॉस डेविड ट्राइट्स, एडम जेम्स चूइप्का और पाउला ओरजुएला (सभी प्रथम सचिव) शामिल हैं।

भारत ने भारतीय उच्चायुक्त वर्मा के खिलाफ आरोपों को ‘‘मनगढ़ंत’’ और ‘‘बेतुका’’ बताते हुए इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे से जुड़ा बताया, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को कल कनाडा से एक ‘‘राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में एक मामले के सिलसिले में चल रही जांच की ‘निगरानी’ में हैं’’।

विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने कनाडा के प्रभारी राजदूत को तलब किया और उनसे कहा गया कि हिंसा और उग्रवाद के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाइयों ने भारतीय राजनयिकों और अन्य अधिकारियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हमें उनकी सुरक्षा की मौजूदा कनाडा सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और निशाना बनाए जा रहे अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह भी सूचित किया गया है कि भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को ट्रूडो सरकार के समर्थन के जवाब में भारत आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।’’

पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज कर दिया। कनाडा के प्रभारी राजदूत व्हीलर्स ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उनकी सरकार ने वही किया है जो भारत लंबे समय से कहता आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘कनाडा ने भारत सरकार के एजेंटों और कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक के हत्यारों के बीच संबंधों के प्रामाणिक और खारिज नहीं किए जा सकने वाले साक्ष्य प्रदान किए हैं। अब समय आ गया है कि भारत अपने वादे पर खरा उतरे और उन आरोपों की जांच करे।’’

व्हीलर्स ने कहा, ‘‘यह दोनों देशों के और हमारे देशों की जनता के हित में है कि इसकी तह में जाएं। कनाडा इस मामले में भारत के साथ सहयोग को तैयार है।’’ इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था ‘‘भारतीय राजनयिकों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाने के कनाडा की सरकार के इन नवीनतम प्रयासों के जवाब में’’ आगे कदम उठाने का भारत अधिकार रखता है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे और कनाडा सरकार ने तब से हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ सबूतों का एक अंश भी साझा नहीं किया है।’’ विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘दिसंबर 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में उनका स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है कि वह इस संबंध में कहां तक जाना चाह रहे थे।’’

भारत का इशारा जाहिर तौर पर किसान आंदोलन के दौरान कनाडा के नेता के बयानों की ओर था। कनाडा के हालिया आरोपों पर विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इससे कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए यह भारत को बदनाम करने की जानबूझकर रची गई रणनीति है।’’

उसने कहा कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के प्रति बैरपूर्ण स्वभाव लंबे समय से स्पष्ट है। मंत्रालय ने कहा कि ट्रूडो ने 2018 में भारत की यात्रा की थी जिसका मकसद वोट बैंक को साधना था, लेकिन यह उन्हें असहज करने वाली साबित हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं।’’

उसने कहा, ‘‘उनकी सरकार एक ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर है, जिसके नेता भारत के प्रति खुलेआम अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामला और बिगड़ गया।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘कनाडाई राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचनाओं के घेरे में आई उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को इसमें शामिल किया है।’’ उसने कहा कि भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यह कोई संयोग नहीं है कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री ट्रूडो को विदेशी हस्तक्षेप पर एक आयोग के समक्ष गवाही देनी है।’’ उसने कहा, ‘‘यह भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है जिसे ट्रूडो सरकार ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लगातार बढ़ावा दिया है।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस उद्देश्य से ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों और सामुदायिक नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह दी है। इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी देना भी शामिल है।’’

उसने कहा, ‘‘इन सभी गतिविधियों को बोलने की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है। अवैध रूप से कनाडा में प्रवेश करने वाले कुछ लोगों को तेजी से नागरिकता प्रदान की गई। कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध से जुड़े लोगों के संबंध में भारत सरकार के कई प्रत्यर्पण अनुरोधों की अनदेखी की गई है।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा भारत के सबसे वरिष्ठ सेवारत राजनयिक हैं, जिनका 36 वर्षों का शानदार करियर रहा है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘वह जापान और सूडान में राजदूत रह चुके हैं, जबकि इटली, तुर्किये, वियतनाम और चीन में भी सेवा दे चुके हैं। कनाडा सरकार द्वारा उन पर लगाए गए आरोप हास्यास्पद हैं और अवमानना ​​के योग्य हैं।’’

उसने कहा, ‘‘भारत सरकार ने भारत में कनाडा के उच्चायोग की गतिविधियों का संज्ञान लिया है जो वर्तमान शासन के राजनीतिक एजेंडे पर काम करता है।’’ पिछले सप्ताह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो के बीच लाओस में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से इतर ‘संक्षिप्त बातचीत’ हुई थी।

First Published - October 15, 2024 | 6:11 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट