भारत-बांग्लादेश सीमा पर मौजूद लैंड पोर्ट पर यात्रियों की आवाजाही सामान्य दिनों की तरह ही हो रही है। यह कार्गो टर्मिनल दूसरी तरफ से आने वाले ट्रकों से भरा हुआ दिख रहा है, जबकि कुछ ट्रक माल लदान का इंतजार कर रहे हैं। पिछले महीने तक खराब रहा माहौल अब पटरी पर लौटने लगा है।
पेट्रापोल दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लैंड पोर्ट है जो कोलकाता से महज 80 किलोमीटर दूर है। वहां अब स्थिति सामान्य होने लगी है। बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार गिर गई थी और उसका असर शुरू में यात्रियों की आवाजाही पर पड़ा था। व्यापार कुछ समय के लिए थम सा गया था। पूर्वी सीमा पर चौकी पर सन्नाटा दिख रहा था।
मगर अब स्थिति तेजी से बदलने लगी है।
यात्रियों की एक लंबी कतार यात्री टर्मिनल की ओर बढ़ती दिखाई देती है। बांग्लादेश जाने वाले कई लोग भारी कंबल लेकर चलते हैं। जबकि दूसरी तरफ से भारत में प्रवेश करने वाला एक ढाकी ने बताया कि दुर्गा पूजा आने वाली है।
बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को लगभग दो महीने हो चुके हैं। सीमा पर स्थिति सामान्य दिख रही है, लेकिन वीजा जारी करने पर पाबंदी सबसे बड़ी बाधा है।
पेट्रापोल के आव्रजन अधिकारियों ने कहा कि 5 से 7 अगस्त के बीच यात्रियों की आवाजाही में जबरदस्त गिरावट दिखी थी। उन्होंने कहा, ‘उसके बाद धीरे-धीरे उसमें सुधार होने लगा और 20 सितंबर तक आंकड़ा 6,700 के पार पहुंच गया। उसके बाद आंकड़ा लगभग 6,000 के आसपास स्थिर है।’
मगर उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से आने वाले ज्यादातर यात्रियों के पास पहले से ही जारी वैध भारतीय वीजा है। खबरें बताती हैं कि चिकित्सा और विशेष मामले जैसी कुछ श्रेणियों में ही वीजा जारी किए जा रहे हैं। बताया गया कि भारतीय वीजा आवेदन केंद्र सीमित क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।
बांग्लादेश से आए एक यात्री ने बताया कि केवल मेडिकल वीजा ही जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर 100 आवेदन करते हैं, तो 40 को ही वीजा मिल रहे हैं।’
मगर इलाके में मौजूद मुद्रा विनिमय की दुकानों ने राहत की सांस ली है। सुप्रदीप विश्वास ने कहा कि अगस्त में कारोबार काफी घट गया था। उन्होंने कहा, ‘मगर अब कारोबार काफी बेहतर है जो सामान्य के मुकाबले 50 से 60 फीसदी तक पहुंच चुका है। जिनके पास चिकित्सा और कारोबारी वीजा थे, वे आ रहे हैं।’
मुद्रा विनिमय का काम करने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि अब कारोबार बढ़ने लगा है। उन्होंने कहा, ‘मगर यह पहले जैसा नहीं है। इसकी राह में वीजा ही एकमात्र समस्या है।’
एक छोटे आकार का होटल एवं रेस्तरां सिमंता अगस्त के शुरुआती दिनों में बंद हो गया था। हालांकि करीब एक पखवाड़े बाद लोगों की आवाजाही में सुधार होने पर उसे दोबारा खोला गया है। उसके मालिक ने बताया, ‘जिनके पास पहले से वीजा है, वे ही आ रहे हैं। अभी कारोबार से केवल लागत की भरपाई हो पा रही है।’
पेट्रापोल-बेनापोल (बांग्लादेश की तरफ) सीमा व्यापार और यात्री आवागमन के लिहाज से भारत-बांग्लादेश का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थलीय क्रॉसिंग है। भारत और बांग्लादेश के बीच स्थल मार्ग से होने वाला करीब 30 फीसदी व्यापार पेट्रापोल के जरिये होता है।
दोनों तरफ यात्रियों की आवाजाही को मिलाकर यहां रोजाना करीब 6,000 से 7,000 लोगों की आवाजाही होती है। मगर त्योहारों के समय और विशेष रूप से दुर्गा पूजा के दौरान दैनिक आवाजाही 10,000 ये 12,000 लोगों तक पहुंच जाती है।
क्या इस बार भी ऐसा होगा? एक आव्रजन अधिकारी ने कहा, ‘अगर वीजा जारी करने की प्रक्रिया सामान्य हो गई तो ऐसा अवश्य होगा। पहले से जारी किए गए वीजा के आधार पर त्योहारी आवाजाही को ध्यान में रखते हुए यह आंकड़ा 8,000 से 9,000 होना चाहिए।’
मौजूदा टर्मिनल के सामने तैयार हो रहे विशाल यात्री टर्मिनल भविष्य में यातायात बढ़ने की ओर इशारा करता है। करीब 60,000 वर्ग मीटर में फैला यह टर्मिनल स्टील के मेहराबों के साथ आधुनिक समय के हवाई अड्डे जैसा दिखता है। शापूरजी पल्लोनजी समूह द्वारा करीब 435 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस टर्मिनल को रोजाना 20,000 से 25,000 यात्रियों को संभालने के लिहाज से डिजाइन किया गया है।
एलपीएआई (भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण) के एक अधिकारी ने कहा कि इसका परिचालन अक्टूबर में शुरू होने की उम्मीद है। बगल के कार्गो टर्मिनल पर ट्रकों की आवाजाही दिख रही है और चेसिस डिस्पैच के लिए लाइन में लगे हैं। अधिकारियों का कहना है कि कार्गो की आवाजाही में तेजी आई है।
फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन के महासचिव सजल घोष ने कहा कि पेट्रापोल से निर्यात के लिए हर दिन 200 से 250 ट्रक निकाले जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘व्यापार के प्रवाह में सुधार हुआ है। मगर बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति वहां के आयात को सीमित कर रही है। आम तौर पर ट्रकों की संख्या 300 से 350 होती है।’
सीमा पर व्यापार सामान्य होने की प्रक्रिया में है। माल की आवाजाही को बेहतर करने के उद्देश्य से आठ लेन वाला एक नया कार्गो गेट बनकर तैयार है। इसे मैत्री गेट नाम दिया गया है। मगर पूरी क्षमता पर बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के लिए अनुकूल राजनीतिक माहौल बेहद जरूरी है।