facebookmetapixel
भारत की चीन को टक्कर देने की Rare Earth योजनानेपाल में हिंसा और तख्तापलट! यूपी-नेपाल बॉर्डर पर ट्रकों की लंबी लाइन, पर्यटक फंसे; योगी ने जारी किया अलर्टExpanding Cities: बढ़ रहा है शहरों का दायरा, 30 साल में टॉप-8 सिटी में निर्मित क्षेत्रफल बढ़कर हुआ दोगुनाबॉन्ड यील्ड में आई मजबूती, अब लोन के लिए बैंकों की ओर लौट सकती हैं कंपनियां : SBIअगस्त में Equity MF में निवेश 22% घटकर ₹33,430 करोड़ पर आया, SIP इनफ्लो भी घटाचुनाव से पहले बिहार को बड़ी सौगात: ₹7,616 करोड़ के हाईवे और रेलवे प्रोजेक्ट्स मंजूरBYD के सीनियर अधिकारी करेंगे भारत का दौरा, देश में पकड़ मजबूत करने पर नजर90% डिविडेंड + ₹644 करोड़ के नए ऑर्डर: Navratna PSU के शेयरों में तेजी, जानें रिकॉर्ड डेट और अन्य डिटेल्समद्रास HC ने EPFO सर्कुलर रद्द किया, लाखों कर्मचारियों की पेंशन बढ़ने का रास्ता साफFY26 में भारत की GDP 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी हो सकती है: Fitch

अमेरिकी प्रतिबंध से कच्चे तेल के दाम व ढुलाई लागत में होगी वृद्धि

ट्रेडर्स और विश्लेषकों ने कहा कि रूसी तेल के बड़े खरीदार भारत और चीन को आपूर्ति कम होने और अन्य देशों पर निर्भरता से कीमतों में तेजी आएगी और इससे ढुलाई की लागत बढ़ेगी।

Last Updated- January 12, 2025 | 11:17 PM IST
Crude oil prices and transportation costs will increase due to US sanctions अमेरिकी प्रतिबंध से कच्चे तेल के दाम व ढुलाई लागत में होगी वृद्धि

अमेरिका द्वारा रूस के उत्पादकों व जहाजों पर प्रतिबंध से चीन और भारत के तेलशोधक कारोखानों को पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अमेरिका से ज्यादा कच्चा तेल खरीदना होगा। ट्रेडर्स और विश्लेषकों ने कहा कि रूसी तेल के बड़े खरीदार भारत और चीन को आपूर्ति कम होने और अन्य देशों पर निर्भरता से कीमतों में तेजी आएगी और इससे ढुलाई की लागत बढ़ेगी।

शुक्रवार को अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने रूसी तेल उत्पादकों गैजप्रोम नेफ्ट और सर्गुटनेफ्टेगास के साथ-साथ रूस का तेल ले जाने वाले 183 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका के इन प्रतिबंधों का मकसद रूस का राजस्व कम करना है, जिसका इस्तेमाल वह यूक्रेन के साथ युद्ध में कर रहा है।

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों और 7 देशों के समूह द्वारा 2022 में कीमत की सीमा तय करने के कारण तमाम टैंकरों ने भारत और चीन को तेल पहुंचाना शुरू कर दिया था और रूसी तेल यूरोप की जगह एशिया पहुंचने लगा। ईरान से तेल पहुंचाने वाले कुछ टैंकर भी प्रतिबंध के दायरे में हैं।

चीन के व्यापार से जुड़े 2 सूत्रों ने कहा कि नए प्रतिबंधों से रूस के तेल का निर्यात गंभीर रूप से प्रभावित होगा, जिससे चीन से स्वतंत्र रिफाइनरों को रिफाइनिंग में कटौती करने पर बाध्य होना पड़ेगा। सूत्रों ने अपना नाम सार्वजनिक करने से मना किया, क्योंकि वे मीडिया से बात करने को अधिकृत नहीं हैं।

केप्लर के प्रमुख माल ढुलाई विश्लेषक मैट राइट ने एक नोट में कहा है कि नए प्रतिबंधित जहाजों में 143 तेल टैंकर शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल 5,300 लाख बैरल रूसी तेल की आपूर्ति की है, जो देश में समुद्र मार्ग से कुल तेल ढुलाई का करीब 42 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि इसमें से करीब 3,000 लाख बैरल तेल की आपूर्ति चीन को की गई है, जबकि शेष में से ज्यादातर भारत भेजा गया है। राइट ने कहा, ‘इन प्रतिबंधों से उपलब्ध जहाजों के बेड़े में उल्लेखनीय कमी आएगी, जो रूस से तेल की डिलिवरी करती हैं और कम अवधि के हिसाब से इससे माल ढुलाई की दरें बढ़ेंगी।’

सिंगापुर के एक कारोबारी ने कहा कि उल्लिखित टैंकरों ने पिछले 12 महीने में चीन को करीब 9,00,000 बैरल प्रतिदिन रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा, ‘यह बड़ा असर डालने वाला है।’

पिछले साल के शुरुआती 11 महीनों में भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात सालाना आधार पर 4.5 प्रतिशत बढ़तर 17.64 लाख बैरल प्रतिदिन या भारत के कुल तेल आयात का 36 प्रतिशत हो गया है। पाइपलाइन से आपूर्ति सहित चीन को भेजा जाने वाला कच्चा तेल 2 प्रतिशत बढ़कर 990.8 लाख मीट्रिक टन या उसके कुल आयात का 20 प्रतिशत रहा है।

First Published - January 12, 2025 | 10:37 PM IST

संबंधित पोस्ट