प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के देशों से कोविड महामारी के बाद मजबूत आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने और देशों के बीच संपर्क यानी कनेक्टिविटी बेहतर करने का आह्वान किया। उन्होंने उज्बेकिस्तान के समरकंद में संगठन के 22वें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए आज कहा कि इसे हासिल करने के लिए मध्य एशियाई देशों और भारत जैसे सदस्य देशों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी जरूरी है।
मोदी ने कहा, ‘वैश्विक महामारी और यूक्रेन संकट के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में कई तरह का खलल पड़ गया है, जिससे दुनिया को ऊर्जा और खाद्य के अभूतपूर्व संकट से जूझना पड़ रहा है। एससीओ को हमारे क्षेत्र में एक भरोसेमंद, लचीली और विविधता से भरी आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत होगी।’ उन्होंने एससीओ के सदस्य देशों से एक दूसरे को अपने-अपने क्षेत्र से गुजरने का पूरा अधिकार देने का आग्रह भी किया। उनका इशारा पाकिस्तान की ओर था, जो समय-समय पर भारत को अपने हवाई क्षेत्र से उड़ने से रोकता रहा है।
प्रधानमंत्री ने आज नेताओं के दो सत्रों में भाग लिया। पहले सत्र में एससीओ के सदस्य देशों- भारत, चीन, पाकिस्तान, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान- ने क्षेत्र में सुरक्षा एवं आर्थिक सहयोग जैसे पारस्परिक हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। दूसरे सत्र में एससीओ वार्ता के छह भागीदारों में बातचीत हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री आज अन्य एससीओ नेताओं के साथ कई द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे और देर रात भारत लौट आएंगे।
सत्र के दौरान भारत ने एक साल के लिए एससीओ की अध्यक्षता स्वीकार की। भारत 2023 में 23वें एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी भी करेगा। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत को अध्यक्षता स्वीकार करने पर बधाई दी और कहा कि उनका देश भारत का समर्थन करेगा।
प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में भारत में तेजी से उभर रहे स्टार्टअप के माहौल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हम हर क्षेत्र में नवाचार के साथ हैं। आज भारत में 70,000 से अधिक स्टार्टअप हैं और इनमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। एससीओ के अन्य सदस्य भी हमारे इस अनुभव का लाभ उठा सकते हैं। हम स्टार्टअप एवं नवाचार पर विशेष कार्य समूह गठित कर अपना अनुभव एससीओ सदस्य देशों के साथ साझा करने को तैयार हैं।’
मोदी ने खाद्य सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया। विश्व भर में खाद्य असुरक्षा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समस्या का एक समाधान मोटे अनाज की खेती और उपभोग को बढ़ावा देना हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह सुपरफूड है, जिसे एससीओ देशों में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के कई हिस्सों में हजारों सालों से उगाया जा रहा है और यह खाद्य संकट से निपटने के लिए पारंपरिक, पोषण से भरपूर तथा किफायती विकल्प है। उन्होंने कहा कि हमें एससीओ के तहत ‘मिलेट फूड फेस्टिवल’ के आयोजन पर विचार करना चाहिए।