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भारत और चीन ने बढ़ाए दोस्ताना हाथ

मोदी और शी चिनफिंग की वार्ता: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और सीमा विवाद के समाधान पर जोर

Last Updated- October 23, 2024 | 10:42 PM IST
Improvement in diplomatic relations between India and China does not have much impact on economic relations: GTRI भारत, चीन के राजनयिक संबंध सुधरने का आर्थिक संबंधों पर अधिक असर नहींः GTRI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर वार्ता हुई। पांच साल बाद पहली बार हुई इस बातचीत में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख विवाद के समाधान के लिए हुए समझौते का समर्थन किया और अधिकारियों को लद्दाख में सीमा विवाद सुलझाने के लिए आगे बातचीत जारी रखने के निर्देश दिए।

मोदी ने कहा कि मतभेदों को सीमा पर शांति भंग करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। दोनों नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि परिवक्वता, बुद्धिमत्ता के साथ एक-दूसरे की संवेदनशीलता, हितों, चिंताओं और संभावनाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित कर दोनों देश शांतिपूर्ण, स्थिर और लाभदायक द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ा सकते हैं।

बैठक में मोदी ने मतभेदों और विवादों को उपयुक्त रूप से निपटाने तथा इन्हें शांति एवं स्थिरता को प्रभावित नहीं करने देने के महत्त्व को रेखांकित किया। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत-चीन संबंध दोनों देशों के लोगों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।’ उन्होंने कहा, ‘परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों को राह दिखाएंगे।’

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि दोनों नेताओं ने उल्लेख किया कि भारत-चीन सीमा विवाद मुद्दे का हल करने और सीमावर्ती इलाकों में शांति व स्थिरता बरकरार रखने के लिए विशेष प्रतिनिधियों को अहम भूमिका निभानी होगी। मोदी और शी ने विशेष प्रतिनिधियों को शीघ्र बैठक करने और अपने प्रयास जारी रखने के निर्देश दिए। मिस्री ने कहा, ‘हम विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक उपयुक्त समय पर होने की उम्मीद कर रहे हैं।’

विदेश सचिव ने कहा कि मोदी और शी ने द्विपक्षीय संबंधों की रणनीतिक एवं दीर्घकालिक दृष्टिकोण से समीक्षा की तथा उनका मानना है कि दोनों देशों के बीच स्थिर संबंध का क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
मिस्री ने कहा कि मोदी और शी, दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि परिपक्वता और समझदारी के साथ तथा एक-दूसरे का सम्मान कर भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण और स्थिर संबंध हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द की बहाली से संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की गुंजाइश बनेगी। उन्होंने कहा कि अधिकारी अब आधिकारिक वार्ता तंत्र का उपयोग करके रणनीतिक संवाद बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर चर्चा करने के लिए अगले कदम उठाएंगे। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में 2020 में उत्पन्न हुए मुद्दों के पूर्ण समाधान और सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए हाल में हुए समझौते का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मतभेदों और विवादों से उपयुक्त रूप से निपटने और इन्हें शांति व स्थिरता भंग करने की अनुमति नहीं देने के महत्त्व को रेखांकित किया।’

बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी देशों और दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘यह बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व में भी योगदान देगा।’ बयान के अनुसार, ‘दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संवाद बढ़ाने और विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग की संभावना तलाशने की आवश्यकता पर जोर दिया।’

युद्ध का समर्थक नहीं भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन विवाद का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से करने का स्पष्ट रूप से आह्वान करते हुए बुधवार को यहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है। मोदी ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई और कहा कि ब्रिक्स विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘हम युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं। जिस तरह हम एक साथ मिलकर कोविड जैसी चुनौती से पार पाने में सक्षम हुए, उसी तरह भावी पीढ़ियों के वास्ते सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नए अवसर पैदा करने में निश्चित रूप से सक्षम हैं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों की भी वकालत की और कहा कि इस खतरे से लड़ने में कोई ‘दोहरा मापदंड’नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा ‘आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए, हमें सभी के एकनिष्ठ, दृढ़ समर्थन की आवश्यकता है। इस गंभीर मामले पर दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है। साथ ही मोदी ने कहा कि समूह के देशों को युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। (साथ में एजेंसियां)

First Published - October 23, 2024 | 10:39 PM IST

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