उत्तर प्रदेश में बनने वाले निजी औद्योगिक पार्कों में 75 फीसदी से ज्यादा भूखंड छोटे व मझोले उद्यमों को दिए जाएंगे। निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने वालों को प्रदेश सरकार एक फीसदी के ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराएगी। इस काम के लिए प्रदेश सरकार 2500 करोड़ रुपये का रिवाल्विंग फंड बनाएगी। इस काम के लिए इस बार के बजट में ही 300 करोड़ रुपये का प्रावधान कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने निजी औद्योगिक पार्कों के विकास की प्लेज योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस योजना का पूरा नाम प्रमोटिंग लीडरशिप एंड इंटरप्राइज फार डेवलपमेंट आफ ग्रोथ इंजिन्स है। इसे तहत औद्योगिक पार्कों को निजी प्रवर्तक बिल्ड ओन व आपरेट के आधार पर संचालित करेंगे।
प्रस्ताव के मुताबिक निजी प्रवर्तक 10 से 50 एकड़ तक जमीन पर औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए भूमि के स्वामित्व के कागजात सहित आगणन जिला उद्योग केंद्र को उपलब्ध कराएंगे। इसके तहत क्लस्टर आधारित औद्योगिक पार्कों के विकास से संबंधित प्रस्तावों को वरीयता दी जाएगी।
पार्क में कम से कम एक एकड़ जमीन एक इकाई को दिया जाना अनिवार्य होगा और कुल विकसित जमीन में से 75 फीसदी एमएसएमई के लिए आरक्षित होगा। पार्क के लिए प्रस्तावित जमीन प्रदेश सरकार के पक्ष में बंधक रखी जाएगी। भूखंड के आवंटन, संचालन व अवस्थापना सुविधाओं के रखरखाव की जिम्मेदारी निजी प्रवर्तक की होगी।
औद्योगिक पार्क में चाहारदीवारी, कंक्रीट रोड, नाली, कलवर्ट, बिजली, पेयजल व सीवेज का विकास करने की भी जिम्मेदारी निजी प्रवर्तक की ही होगी। पार्क तक पहुंच मार्ग का निर्माण राज्य सरकार कराएगी।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्लेज योजना के तहत 2500 करोड़ रुपये के रिवाल्विंग फंड का कॉर्प्स बनाया जाएगा जिसके एवज में 300 करोड़ रुपये प्रावधान वित्तीय वर्ष 2022-23 में ही कर दिया गया है।
फंड के लिए बाकी की धनराशि की व्यवस्था अगले पांच सालों के बजट में अलग-अलग की जाएगी। योजना के तहत 10 से 50 एकड़ भूमि पर एमएसएमई पार्क विकसित करने वाले उद्यमियों को जिलाधिकारी दर पर जमीन की कुल कीमत का 90 फीसदी एक फीसदी ब्याज पर प्रदेश सरकार उपलब्ध कराएगी। बाकी की धनराशि की व्यवस्था निजी क्षेत्र को अपने आप अथवा बैंक ऋण के जरिए करनी होगी।
पार्क के आंतरिक विकास की लागत की गणना अधिकतम 50 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर पर की जाएगी। विकासकर्ता को जमीन की खरीद पर लगने वाले स्टांप शुल्क में सौ फीसदी की छूट दी जाएगी।
औद्योगिक विकास विभाग की ओर से निजी क्षेत्र को दी जाने वाली धनराशि दो समान किस्तों में दी जाएगी। पहले तीन साल तक निजी प्रवर्तक से एक फीसदी का साधारण ब्याज लिया जाएगी जबकि चौथे साल से ब्याज दर 6 फीसदी सालाना होगी। निर्धारित अवधि में धनराशि की वापसी न होने पर सरकार के पक्ष में बंधक रखी जमीन का स्वामित्व प्रदेश सरकार का हो जाएगा। जिसे बिक्री कर सरकार बकाया वसूल करेगी।