उत्तर प्रदेश में लगातार चौथे साल बिजली दरों में बढ़ोत्तरी न होने के बाद अब उपभोक्ताओं की ओर इसमें रियायत की मांग उठायी जाएगी।
प्रदेश के उपभोक्ता बिजली कंपनियों पर निकले 7988 करोड़ रुपये के सरप्लास के एक एवज में रियायत दिए जाने की मांग को लेकर विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व याचिका दायर करेंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि याचिका में उपभोक्ताओं को 10 फीसदी रिबेट दिए जाने की मांग की जाएगी। उनका कहना है कि वास्तव में वितरण कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 25133 करोड़ रुपये सरप्लस निकलता है जिसको लेकर मामला आयोग में चल रहा है।
हालांकि वर्तमान में आयोग ने 7988 करोड़ रुपये बकाया की बात को मान लिया है। अब इस सरप्लस के एवज में प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में 10 फीसदी की कमी की जानी चाहिए।
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि नयी दरें लागू हो जाने के बाद और बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) की मंजूरी के बाद अब किसानों को फ्री बिजली दिया जाना आसान हो सकता है।
वर्मा का कहना है कि आकलन के मुताबिक अगर प्रदेश सरकार 1661 करोड़ रुपये की सब्सिडी पावर कारपोरेशन को दे देती है तो किसानों को मुफ्त बिजली मिलने की राह खुल जाएगी।
परिषद अध्यक्ष का कहना है कि आयोग की ओर से जारी बिजली दरों के आदेश में कंपनियों की कुल राजस्व आवश्यकता बिना किसी सब्सिडी के 85105 करोड़ रुपये आंकी गयी है। इसमें से उपभोक्ताओं का सरप्लस 7988 करोड़ निकाल दें तो कम से कम 10 फीसदी दर कम हो सकता है। सोमवार को परिषद इस संबंध में आयोग के मने याचिका दाखिल करेगा।
उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के बिजली कंपनियों फैसले पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि नियामक आयोग इस पर आने वाले खर्च को उपभोक्ताओं से लिए जाने के प्रस्ताव को खारिज कर चुका है। ऐसे में स्मार्ट पर आने वाले 25000 करोड़ रुपये के खर्च को बिजली कंपनियों का उठाना होगा जो कि उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर करेगा।