उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना से जुड़ी धोखाधड़ी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। NDTV में छपी खबर के मुताबिक, 5 मार्च को आयोजित एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में, प्रीति यादव नाम की एक महिला ने योजना का लाभ उठाने के लिए अपने ही भाई कृष्णा से शादी कर ली। यह घटना तब हुई जब प्रीति का असल दूल्हा रमेश यादव समय पर कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंच सका।
यह जोड़ा पहले से ही शादीशुदा था, लेकिन उन्होंने योजना के तहत ₹51,000 हासिल करने के लिए खुद को अविवाहित दिखाया। जांच के बाद, भाई-बहन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और एक ग्राम विकास अधिकारी को निलंबित कर दिया गया।
योजना के तहत शादी करने वाले जोड़ों को ₹51,000 की सहायता राशि दी जाती है। इसमें से ₹35,000 दुल्हन के बैंक खाते में भेजे जाते हैं, ₹10,000 गिफ्ट के लिए, और ₹6,000 समारोह के लिए दिए जाते हैं।
इसके पहले जनवरी में बलिया में 240 से अधिक अयोग्य लोगों ने योजना का लाभ उठाने के लिए अपना नामांकन कराया था। जांच के लिए 20 टीमें गठित की गईं और घर-घर जांच की गई। इसके बाद 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें कुछ सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं।
इस घटना के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने नवविवाहित जोड़ों के विवरण को आधार से जोड़ने का निर्णय लिया है। राज्य के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार कार्यक्रम में जोड़ों को मौके पर ही विवाह प्रमाण पत्र देगी।