उत्तर प्रदेश के 26 बड़े शहरों में सार्वजनिक यातायात को सुलभ बनाने के लिए अगले सात सालों में 12000 से ज्यादा बसों की खरीद व सुविधाओं के विकास के 15700 करोड़ रुपये की जरूरत है।
नगर परिवहन को उन्नत बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के नगरीय परिवहन निदेशालय और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिलकर ‘मेरी बस, मेरी सड़क’ पहल की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य राज्य में एक सतत नगरीय परिवहन को प्रोत्साहित करना है। इस पहल के अंतर्गत, यूएसएआईडी समर्थित क्लीनर एयर एंड बेटर हेल्थ (सीएबीएच) परियोजना के तहत नगरीय परिवहन निदेशालय के मार्गदर्शन में तीन स्वतंत्र शोध अध्ययनों को भी प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययनों में, सीईईडब्ल्यू ने उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में 2031 तक आवश्यक बसों की संख्या; बस स्टॉप और फुटपाथ जैसे आधारभूत ढांचे और निवेश संबंधी आवश्यकताओं के साथ-साथ एक उन्नत सार्वजनिक परिवहन के लाभों का आकलन किया है।
‘मेरी बस, मेरी सड़क’ कार्यक्रम में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2031 तक प्रतिदिन कम से कम 60 लाख यात्रियों को सेवाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश में 12,000 से अधिक नगरीय बसों की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों ने अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने से होने वाले लाभों को भी रेखांकित किया है। सीएनजी बसों की तुलना में ई-बसें 23-32 प्रतिशत तक सस्ती होंगी और वाहनों से होने वाले प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी लाएंगी, जिससे समग्र वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) में सुधार होगा। रिपोर्ट यह भी संकेत करती है कि उन्नत बस सेवाएं आने पर 40 लाख लोग दोपहिया और तिपहिया वाहनों की जगह पर बसों को अपना सकते हैं, जिससे सड़कों पर भीड़-भाड़ में कमी आएगी।
डॉ. राजेंद्र पेंसिया, निदेशक, नगरीय परिवहन निदेशालय, उत्तर प्रदेश सरकार, ने कहा कि विकसित भारत के उद्देश्यों को पूरा करने हेतु, नगरों को सशक्त सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों से सुसज्जित होना होगा, ताकि यात्री सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके और बढ़ते ट्रैफिक जाम जैसे दुष्प्रभावों को भी रोका जा सके। डॉ. हिमानी जैन, सीनियर प्रोग्राम लीड, सीईईडब्ल्यू ने कहा, कि वर्ष 2047 तक भारत की शहरी आबादी दोगुनी होकर 80 करोड़ से ज्यादा हो जाने का अनुमान है। जैसे-जैसे शहर आर्थिक विकास के इंजन बन रहे हैं, उन्हें सुरक्षित और आरामदायक आवागमन की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए भीड़ भाड़, प्रदूषण और सड़क सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा।
उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में परिवहन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कार्यक्रम में जारी किए गए अध्ययनों के मुताबिक 2031 तक उत्तर प्रदेश के 26 प्रमुख शहरों में दैनिक यात्रा की आवश्यकता पूरी करने के लिए आवश्यक बसों की खरीद के लिए 15,700 करोड़ रुपये का संयुक्त व्यय चाहिए होगा। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री और संभावित बस यात्री चाहते हैं कि उनके गंतव्य स्थल तक आवागमन की सुविधा में सुधार हो और वाहन मिलने में कम से कम समय लगे। अध्ययनों में पाया गया है कि 40 फीसदी से अधिक वर्तमान बस यात्री अपनी यात्रा के शुरुआती या अंतिम हिस्से में पैदल चलते हैं, जो बस प्रणाली को एक बेहतर फुटपाथ नेटवर्क से जोड़ने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बस यात्री ने बस सेवा के समय पर आने और निर्धारित समय-सारणी के पालन को प्राथमिकता दी है और 40 फीसदी से अधिक बस यात्रियों ने वर्तमान बस सेवा के प्रतीक्षा समय को औसत से कम अंक दिए हैं, इसलिए यात्रियों की संतुष्टि को बढ़ाने और नए यात्रियों को जोड़ने के लिए समय पर सेवा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है।