उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र की शुरुआत बिजली संकट और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विपक्ष के हंगामे के साथ हुई। बिजली संकट पर चर्चा की मांग न माने जाने पर विपक्षी समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन भी किया।
सोमवार से उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र की शुरुआत हुई है। पहले दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने बिजली संकट पर सदन का काम रोक कर चर्चा कराए जाने की मांग की। सपा सदस्यों ने बिजली-पानी संकट को लेकर सदन में जोरदार नारेबाजी की और इसे गंभीर बताते हुए चर्चा की मांग की।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि इस विषय को चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया गया है। प्रश्नकाल के बाद एक बार फिर से सपा सदस्यों ने सदन का काम रोक कर दो घंटे के लिए बिजली पर चर्चा कराए जाने को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। सपा सदस्य कमाल अख्तरने सदस्यों के साथ मिलकर बिजली कटौती, जर्जर वितरण व्यवस्था, किसानों की फसल बर्बादी और बिल वसूली के नाम पर उत्पीड़न का मसला उठाया।
सपा सदस्यों के आरोपों के जवाब में ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा ने कहा कि इस राज्य में जो बिजली की समस्या है, उसके ऐतिहासिक कारण भी हैं। एक ऐतिहासिक कारण तो ये भी है कि पिछली सरकारों ने ठीक काम नहीं किया, जो किया भी उसमें गुणवत्ता का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सबसे ज्यादा विद्युत आपूर्ति उत्तर प्रदेश में हो रही है। 30,618 मेगावॉट की बिजली की आपूर्ति उत्तर प्रदेश में हो रही है। भारत के इतिहास में किसी भी राज्य में पहले कभी भी इतनी बड़ी आपूर्ति नहीं हुई।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि सपा सरकार के समय से ढाई गुना ज्यादा बिजली हम दे रहे हैं। वर्ष 2013-14 का मैक्सिमम लोड था 12,327 मेगावॉट। अब इसकी हमारे कार्यकाल से तुलना करें तो साफ देख सकते हैं कि ढाई गुना से ज्यादा यानी 30,618 मेगावॉट की आपूर्ति योगी सरकार में हो रही है। 2013-14 में 81,598 मिलियन यूनिट की सप्लाई की गई थी। जबकी, योगी सरकार ने वर्ष 2023-24 में 1,47,701 मिलियन यूनिट यानी दोगुनी बिजली सप्लाई की है।
मंत्री एके शर्मा ने कहा कि विपक्ष ने प्रक्रियाओं को सही ढंग से पूरा किया होता तो ऐसी दिक्कतें न होतीं। पहले की सरकारों ने इंफ्रास्ट्रक्चर में इनवेस्ट नहीं किया था इसलिए यह स्थिति बनी है। उन्होंने बताया कि अनपरा में 800 मेगावाट की दो यूनिट लगाने का एमओयू हो गया है तथा धरातल पर काम होना शुरू हो गया है। तीन यूनिट के जरिए 1800 मेगावॉट प्रोडक्शन की ओर भी हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। हमने बाहर से और बिजली लेने के लिए भी तथा कोयले की खदानों का उपयोग करते हुए 1600 मेगावाट के नए पावरप्लांट लगाने की निविदा जारी कर दी है।
हम अपनी थर्मल एनर्जी कैपेसिटी को दोगुना बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं। सोलर ऊर्जा पर भी फोकस करके प्रदेश में हम यह कैपेसिटी बढ़ा रहे हैं। सोलर में हम 5000 की कैपेसिटी एड करने वाले हैं, पंप स्टोरेज में हम 2500 मेगावाट व थर्मल में 10,600 मेगावाट की कैपेसिटी बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं। वर्तमान क्षमता से 5 गुना ज्यादा क्षमता हम अगले 10 वर्षों में विकसित करने जा रहे हैं।