केंद्र सरकार लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आयात पर रोक लगाने के तौर-तरीकों पर विचार कर रही है। समझा जाता है कि सरकार शुरुआत में आयात को मौजूदा स्तर से 5 फीसदी कम करने की संभावना तलाश रही है ताकि आयात सीमा लागू होने पर भी देश में लैपटॉप और अन्य उपकरणों की आपूर्ति में कोई व्यवधान न हो।
सरकार द्वारा अगस्त 2023 में चीन पर निर्भरता कम करने के लिए चुनिंदा आईटी हार्डवेयर उत्पादों के आयात के लिए लाइसेंस जारी करने की योजना के संदर्भ में यह घटनाक्रम काफी अहम है। हालांकि कंपनियों, उद्योग निकायों और अमेरिका जैसे प्रमुख व्यापार भागीदारों द्वारा चिंता जताए जाने के बाद सरकार ने प्रस्तावित लाइसेंस की व्यवस्था की जगह ऑनलाइन आयात परमिट के लिए नवंबर 2023 से नई आयात प्रबंधन प्रणाली लागू की गई थी। लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर सहित 7 आईटी हार्डवेयर को नई आयात प्रबंधन प्रणाली के तहत लाया गया था। यह व्यवस्था 31 दिसंबर तक के लिए की गई है।
नई व्यवस्था की समयसीमा खत्म होने से पहले आयात को घटाने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली योजना पर नए सिरे से विचार किया जा रहा है। एक सूत्र ने कहा कि देश में विनिर्माण करने वालों और उसकी योजना बनाने वालों ने भी आयात सीमा की आवश्यकता बताई है ताकि वे उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत ‘मेक इन इंडिया’ का लाभ उठा सकें। इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस संबंध में उद्योग के साथ बातचीत कर रहा है।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि इस तरह की बंदिश लगाने की वजह से वैश्विक स्तर पर व्यापार प्रतिबंध युद्ध में फंसने की आशंका से अवगत होने के बावजूद सरकार देश में विनिर्माण को बढ़ावा के लिए आयात पर पाबंदी लगाने की आवश्यकता पर विचार कर रही है। कम से कम दो नई वैश्विक कंपनियां अगले अप्रैल से भारत में विनिर्माण शुरू करने की योजना बना रही हैं।
एक सूत्र के अनुसार सरकार पाबंदी लगाने से पहले कई काम कर रही है। वह देश में विनिर्माण की प्रगति पर नजर रख रही है, साथ ही यह सुनिश्चित कर रही है कि आपूर्ति में किसी तरह से बाधा उत्पन्न न हो। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में पीएलआई योजना को आगे बढ़ाते समय समान अवसर बनाए रखने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला भी महत्त्वपूर्ण है।
यह पूछे जाने पर कि आईटी हार्डवेयर के आयात को कितना कम करने की योजना है, तो अधिकारी ने कहा कि अभी इसकी मात्रा पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि 2025 के अंत तक 5 फीसदी आयात घटने का निर्णय लिया गया है और इसकी आधिकारिक घोषणा के बिना नियम लागू किया जा सकता है।
वित्त वर्ष 2024 के दौरान 8.7 अरब डॉलर मूल्य के इन सात आईटी हार्डवेयर उत्पादों का आयात किया गया था। इनमें चीन की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी थी। कंप्यूटर के आयात में चीन की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी रही। मौजूदा आयात प्रबंधन प्रणाली 31 दिसंबर तक लागू है।
एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार वाणिज्य विभाग के अंतर्गत आने वाला विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा उद्योग के लाभ के लिए आईटी हार्डवेयर उत्पादों के आयात पर क्या करें और क्या न करें के लिए मानक दिशानिर्देश जारी किया जा सकता है।
चीन के साथ भारत के संबंधों में हाल ही में सुधार हुआ है लेकिन उद्योग पर नजर रखने वालों का मानना है कि अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी भारत के लिए चीजों को जटिल बना सकती है। जो बाइडन के नेतृत्व वाले प्रशासन के तहत भी भारत को चुनिंदा आईटी हार्डवेयर उत्पादों के लिए आयात निगरानी प्रणाली पर दबाव का सामना करना पड़ा था। हालांकि दिल्ली की वैचारिक संस्था ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार चीन पर अमेरिका का रुख असंगत है।
जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए सौर सेल और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे चीनी सामान पर शुल्क और प्रतिबंध लगाता है लेकिन जब अन्य देश इसी तरह के कदम उठाते हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों पर असर पड़ सकता है तो उसका विरोध होता है। भारत के पास अपनी लैपटॉप विनिर्माण क्षमता को विकसित करने की जरूरत है। वैश्विक पीसी और लैपटॉप बाजार में चीन की हिस्सेदारी 81 फीसदी है और वहां किसी तरह के व्यवधान का वैश्विक असर पड़ सकता है।’