भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने गुरुवार को बताया कि उत्तरी अरब सागर में, गुजरात तट के पास, शुक्रवार तक एक चक्रवात बनने की संभावना है। हालांकि, इस चक्रवात का भारतीय तटरेखा पर असर होने की संभावना बहुत कम है। क्योंकि सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र के ऊपर बना गहरा दबाव 30 अगस्त तक उत्तर अरब सागर की ओर बढ़ने वाला है।
गुरुवार सुबह IMD के सेटेलाइट डेटा से पता चला कि गहरा दबाव पश्चिम की ओर खिसक गया है। यह भुज से लगभग 60 किमी उत्तर-पश्चिम, नलिया से 80 किमी उत्तर-पूर्व और कराची, पाकिस्तान से 270 किमी पूर्व-दक्षिण-पूर्व में स्थित था।
IMD ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा, “यह दबाव पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ेगा। यह कच्छ और सौराष्ट्र एवं पाकिस्तान के तटों के पास उत्तर-पूर्वी अरब सागर में प्रवेश करेगा। इसके 30 अगस्त को चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना है।”
अगर यह चक्रवात बनता है, तो यह अगस्त महीने में अरब सागर में 1964 के बाद दूसरा चक्रवात होगा। इस चक्रवात को ‘असना’ नाम दिया है। इसका नामकरण पाकिस्तान ने किया था।
मानसून के दौरान चक्रवात बहुत कम बनते हैं। इस अवधि में 31 से 50 किमी प्रति घंटे की गति वाली दबाव प्रणालियां बनती हैं। ये प्रणालियां ऊर्ध्वाधर रूप से (vertically) 6 से 9 किमी तक फैल सकती हैं और क्षैतिज रूप से (horizontally) हजारों किलोमीटर तक फैली होती हैं। इन मानसूनी दबावों का कोर ठंडा होता है। ये पश्चिम की ओर बढ़ते समय दक्षिण की ओर झुक जाते हैं। ऊर्ध्वाधर हवा के तेज बहाव और दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं के प्रतिरोध के कारण, जून से सितंबर के बीच बनने वाले दबाव सामान्यतः चक्रवात में नहीं बदलते हैं। IMD ने यह जानकारी अपनी रिलीज में दी।
IMD के आंकड़ों के अनुसार, 1961, 1964 और 2022 में अरब सागर में दबाव या उनके तीव्र होने की घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन इनमें से कोई भी चक्रवात में नहीं बदला। हालांकि, 1926, 1944 और 1976 में भूमि पर दबाव के चक्रवात में बदलने के मामले सामने आए थे।
दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में मौसम की स्थिति के अनुसार, तटीय कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश, यानम, लक्षद्वीप, केरल और माहे में हल्की से मध्यम बारिश की व्यापक संभावना है। तेलंगाना और आंतरिक कर्नाटक में भी हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। रायलसीमा और तमिलनाडु, जिसमें पुडुचेरी और कराइकल शामिल हैं, में भी पूरे सप्ताह अलग-अलग स्थानों पर बारिश हो सकती है।