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सुप्रीम कोर्ट के पूरे हुए 75 साल, परिसर के विस्तार के लिए 800 करोड़ रुपये की मिली मंजूरी

प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वोच्च अदालत की डिजि-एससीआर (सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट), डिजिटल कोर्ट 2.0 और अदालत की नई वेबसाइट जैसी महत्वपूर्ण पहलों का भी उद्घाटन किया।

Last Updated- January 28, 2024 | 11:00 PM IST
Supreme Court completes 75 years, gets approval of Rs 800 crore for expansion of campus सुप्रीम कोर्ट के पूरे हुए 75 साल, परिसर के विस्तार के लिए 800 करोड़ रुपये की मिली मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि प्रत्येक भारतीय नागरिक को आसान तरीके से न्याय पाने का हक है और सुप्रीम कोर्ट इसका प्राथमिक माध्यम है। उच्चतम न्यायालय की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई 28 जनवरी 1950 को हुई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘एक देश की न्यायिक व्यवस्था सर्वोच्च न्यायालय से निर्देशित होती है। यह सुनिश्चित करना हमारे ऊपर है कि देश के कोने-कोने में न्याय व्यवस्था तक लोगों की पहुंच हो।’ इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए देश में ई-कोर्ट व्यवस्था के तीसरे चरण को मंजूरी दी गई थी। इसके लिए आवंटित राशि दूसरे चरण से चार गुना अधिक है।’

न्यायिक व्यवस्था के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर बात करते हुए मोदी ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए 2014 से अब तक 7000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि आवंटित की गई है।

केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2023 में ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए 7000 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। इससे पहले चरण के लिए यह आवंटन मात्र 1,670 करोड़ रुपये ही था। यही नहीं, सर्वोच्च न्यायालय की इमारत के विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए भी 800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब यह उम्मीद की जानी चाहिए कि कोई यह कहते हुए याचिका दायर नहीं करेगा कि यह धन की बर्बादी है, जैसा कि सेंट्रल विस्टा निर्माण के दौरान किया गया था।

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वोच्च अदालत की डिजि-एससीआर (सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट), डिजिटल कोर्ट 2.0 और अदालत की नई वेबसाइट जैसी महत्वपूर्ण पहलों का भी उद्घाटन किया। उन्होंने इस बात पर भी संतोष जताया कि सुप्रीम कोर्ट में अन्य भाषाओं में फैसलों का अनुवाद शुरू हो गया है। उन्होंने देश की अन्य अदालतों द्वारा भी ऐसा ही कदम उठाए जाने की उम्मीद की।

उन्होंने कहा, ‘सशक्त न्यायिक प्रणाली विकसित भारत का हिस्सा है। सरकार लगातार काम कर रही है और भरोसेमंद न्यायिक प्रणाली बनाने के लिए कई फैसले ले रही है। जन विश्वास विधेयक इसी दिशा में उठाया गया कदम है। भविष्य में इससे न्यायिक प्रणाली पर अनावश्यक बोझ कम होगा।’

उन्होंने कहा कि मध्यस्थता संबंधी कानून से अदालतों पर बोझ कम होगा क्योंकि इससे वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र में सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भारत के जीवंत लोकतंत्र को मजबूत किया है और व्यक्तिगत अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं जिससे देश के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश को नई दिशा मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि जीवन की सुगमता, व्यापार करने में आसानी, यात्रा और संचार और न्याय में आसानी राष्ट्र की सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘तीन नए आपराधिक न्याय कानून बनने से भारत की कानूनी, पुलिस और जांच प्रणाली ने एक नए युग में प्रवेश कर लिया है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सैकड़ों साल पुराने कानूनों से नए कानूनों की ओर प्रवेश सुचारू हो। इस संबंध में, हमने सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्य पहले ही शुरू कर दिया है।’

मोदी ने इस बात का भी जिक्र किया कि उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी को हाल ही में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, अन्य न्यायाधीश, शीर्ष विधि अधिकारी और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी पर मौजूद थे।

First Published - January 28, 2024 | 11:00 PM IST

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