वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि जी-20 बैठक में क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक व्यापक एवं समन्वित वैश्विक नीति तैयार करने और नियामकीय व्यवस्था बनाने के मुद्दे पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि जी-20 के सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
सीतारमण ने गांधीनगर में जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर (एफएमसीबीजी) की तीसरी बैठक समाप्त होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बैठक में जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर ने लोगों और दुनिया की बेहतरी को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया।
साथ ही अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने, सभी के लिए वैश्विक विकास को मजबूत करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था की दमदार, संतुलित एवं समावेशी वृद्धि को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई।
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सीतारमण ने कहा, ‘क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक व्यापक और समन्वित वैश्विक नीति तैयार करने और नियामकीय व्यवस्था बनाने के बारे में भी चर्चा हुई।’ उन्होंने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता कर रहे भारत ने समूह के समक्ष डिजिटल ढांचागत सुविधा के मुद्दे को रखा है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘भारत ने अपनी अध्यक्षता में डिजिटल ढांचागत सुविधा के एजेंडे को जी-20 की बैठक में उठाया। सदस्यों ने वित्तीय समावेशन एवं उत्पादकता के लाभ को तेजी से आगे बढ़ाने में डिजिटल ढांचागत सुविधा (डीपीआई) की महत्त्वपूर्ण भूमिका का समर्थन किया।’
सीतारमण ने कहा कि कर्ज को लेकर बिगड़ती स्थिति पर भी जी-20 सदस्य देशों ने विचार-विमर्श किया। बैठक में खराब होती कर्ज की स्थिति को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करने और ऋण समस्या से जूझ रहे देशों के लिए समन्वित उपाय किए जाने पर बातचीत हुई। कर्ज समाधान के लिए साझा व्यवस्था तैयार करने पर चीन की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘चीन का रुख उत्साहजनक था।’
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जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उनके परिचालन वाले देशों में न्यूनतम कर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक कर मानदंडों में व्यापक बदलाव से जुड़ी रणनीति पर चर्चा की। बैठक में कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय कराधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए संबंधित पक्षों से विचार भी आमंत्रित किए गए।
इससे कर चोरी पर लगाम लगाने के उपाय लागू करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्रालय ने कहा कि ‘द्वि-स्तंभ समाधान’ लागू करने और कर पारदर्शिता के लिए क्षमता निर्माण की रणनीतियों पर चर्चा के लिए वित्त मंत्रियों और गवर्नरों को आमंत्रित किया गया था।