इस सप्ताह होने जा रही जी-20 (G-20) की ऊर्जा में परिवर्तन को लेकर होने जा रही मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ‘भविष्य के ईंधन’ पर एक गठजोड़ बनाने और टिकाऊ जलवायु वित्तपोषण का अपना एजेंडा पेश करने जा रहा है। अधिकारी ने यह जानकारी दी। भारत की अध्यक्षता में जी-20 के एजेंडे में ऊर्जा में परिवर्तन भी शामिल है और इसमें वित्तपोषण संबंधी समझौते की उम्मीद की जा रही है।
इस सप्ताह गोवा में होने जा रही मंत्रिस्तरीय बैठक चौथी ऊर्जा परिवर्तन कार्यसमूह की बैठक से पहले होगी। उम्मीद की जा रही है कि इसमें जी-20 देशों के ऊर्जा व जलवायु विभाग से जुड़े हिस्सेदार भाग लेंगे।
सरकार ने एक बयान में कहा है कि जी-20 की बैठक से अलग केंद्रीय बिजली, नवीन एवं नवीककरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह यूरोपियन यूनियन और 7 देशों जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय बैठक भी कर सकते हैं। भविष्य की ऊर्जा में जैव ईंधन और हाइड्रोजन शामिल हैं।
भारत ने पहले ही ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस (जीबीए) का गठन करने की घोषणा की है, जिसमें अमेरिका संस्थापक सदस्य होगा। अलायंस की योजना से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर जी-20 देशों ने अलायंस को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है और हमें उम्मीद है कि मंत्रिस्तरीय बैठक में मजबूत प्रतिबद्धता उभरकर सामने आएगी।
भारत चाहता है हाइड्रोजन की स्पष्ट परिभाषा
जैव ईंधन के प्रमुख उत्पादकों में से एक ब्राजील भी रुचि लेने वाले अन्य देशों के साथ मिलकर जीबीए की रूपरेखा तैयार कर रहा है। एक अन्य ईंधन हाइड्रोजन पर भी मंत्रिस्तरीय बैठक में चर्चा होगी, जो भारत सहित विभिन्न देशों में जगह बना रही है।
भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की भी घोषणा की है। सूत्रों का कहना है कि बहरहाल भारत हाइड्रोजन की स्पष्ट परिभाषा चाहता है। बिजली मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘एक बार परिभाषित हो जाने पर इससे हमें (हाइड्रोजन उत्पानद और निर्यात की योजना वाले जी-20 देश) निर्यात नीति का मसौदा बनाने, आवश्यक उत्पादन और निर्यात के नियमन तैयार करने में मदद मिलेगी।