राजधानी भोपाल के निकट रायसेन जिले में स्थित सांची कस्बा जो यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल अपने बौद्ध स्तूपों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, उसे जल्दी ही मध्य प्रदेश की पहली सोलर सिटी घोषित किया जा सकता है।
ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया, ‘सांची को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का काम पूरा हो चुका है। हम केवल नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि हम उन्हें जमीन पर भी उतार रहे हैं।’
उल्लेखनीय है कि सांची कस्बा कर्क रेखा पर स्थित है और यह बात उसे सौर ऊर्जा के अवशोषण के लिए आदर्श बनाती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हाल ही में कहा था कि इस परियोजना के तहत सांची के हर घर में सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली का पहुंचना सुनिश्चित किया जाएगा।
सोलर सिटी की योजना के तहत शहर में छतों पर सोलर पैनल लगाए गए हैं, सोलर पार्क और पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए है। 5 मेगावॉट और दो मेगावॉट क्षमता के दो सोलर पॉवर स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं।
परियोजना का क्रियान्वयन करने वाली नोडल एजेंसी मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम के मुताबिक सांची में सालाना 30 लाख यूनिट बिजली की आवश्यकता है और वहां सालाना 56 लाख यूनिट बिजली के उत्पादन की व्यवस्था की जा रही है।
सांची को सोलर सिटी बनाने की परियोजना का अधिकांश खर्च सरकारी क्षेत्र की ऊर्जा कंपनियों के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉंसिबिलिटी (CSR) फंड से आया है।