प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दूसरे इंडिया एनर्जी वीक (आईईडब्ल्यू) का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में नाइजीरिया, लीबिया, सूडान और घाना समेत 17 प्रमुख तेल उत्पादक देशों के ऊर्जा मंत्री शामिल होंगे।
सम्मेलन का आयोजन करने वाले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि इस दौरान प्रधानमंत्री वैश्विक तेल और गैस कंपनियों के सीईओ एवं विशेषज्ञों से भी मुलाकात करेंगे।
इस बैठक में सऊदी अरब की अरामको और रूस की रोसनेफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
पिछले साल आयोजित इंडिया एनर्जी वीक सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत हरित परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उसे तेल और गैस जैसे पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में भी भारी निवेश करने की आवश्यकता है।
मंत्रालय ने बताया कि इंडिया एनर्जी वीक में नियामकीय संस्थाओं, नवीकरणीय और वैकल्पिक ईंधन संगठनों और कंपनियों के अधिकारियों के साथ-साथ नीति शोधकर्ता एवं परामर्शदाता वक्ता के रूप में सम्मिलित होंगे।
इनमें पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन के महासचिव हैथन अल घाइस भी शामिल हैं। सम्मेलन में प्रमुख जोर स्थिरता पर होगा। इसलिए इस सम्मेलन में वैश्विक नीति निर्धारक सतत ऊर्जा के भविष्य पर विचार-विमर्श करेंगे।
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस सम्मेलन से भारत वैश्विक मंच पर ऊर्जा क्षेत्र के लिए नीति निर्धारक की भूमिका में मजबूत होकर उभरेगा। वैश्विक तेल मांग में भारत की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत है जिसके 11 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। भारत की गैस मांग तो 500 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।
इस सम्मेलन में 100 से अधिक देशों से लगभग 35,000 प्रतिभागियों, 350 प्रदर्शकों, 400 वक्ताओं और 4,000 प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है।
यह कार्यक्रम गोवा में आयोजित होगा, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस मौके पर वह विकसित भारत, विकसित गोवा 2047 कार्यक्रम के तहत लगभग 1,330 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी करेंगे।
प्रधानमंत्री यहां नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाटरस्पोर्ट्स के नए परिसर का भी उद्घाटन करेंगे। यह अपने तरह का अनूठा संस्थान होगा, जिसमें आम लोगों और सैन्य बलों के लिए वाटरस्पोर्ट्स एवं बचाव गतिविधियों के विकास से संबंधित 28 पाठ्यक्रम संचालित होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी नए ओएनजीसी समुद्रीय बचाव केंद्र का दौरा भी कर सकते हैं। कंपनी ने बताया कि यह अपने तरह का संयुक्त सी सर्वाइवल ट्रेनिंग सेंटर है। इससे देश में वैश्विक मानकों वाला समुद्री सर्वाइवल ट्रेनिंग पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में मदद मिलेगी।
इस संस्थान में प्रति वर्ष 10,000 से 15,000 जवान प्रशिक्षण ले सकेंगे। इससे इन जवानों में समुद्र में बचाव अभियान चलाने का कौशल बढ़ेगा और वे संकट की स्थिति में जानें बचाने में सक्षम हो सकेंगे।